धर्म को लेकर कभी विवाद न करो ।
धर्म सम्बन्धी
सारे विवाद और झगड़े
केवल यही दर्शाते हैं
कि वहां आध्यात्मिकता का अभाव है ।
धर्म सम्बन्धी झगड़े
सदैव
खोखली और असार
बातों
पर ही होते हैं
धर्म सम्बन्धी
सारे विवाद और झगड़े
केवल यही दर्शाते हैं
कि वहां आध्यात्मिकता का अभाव है ।
धर्म सम्बन्धी झगड़े
सदैव
खोखली और असार
बातों
पर ही होते हैं
- स्वामी विवेकानंद
एक मोची,
जो कम से कम समय में
बढ़िया और मजबूत
जूतों की जोड़ी
तैयार कर सकता है,
अपने व्यवसाय में
वह
उस प्राध्यापक की अपेक्षा
कहीं अधिक श्रेष्ठ है
जो दिन भर
थोथी बकवास
ही करता रहता है
- स्वामी विवेकानंद
5 comments:
आप सही कहते हैं। अज्ञानता ही सारे विवाद का मूल है।
लेकिन जब सत्य पर आरोप लगने लगें और यह कहने लगें कि दुनिया में सारे फ़साद की जड़ ही यह है तो उसके समर्थन में बोलना मजबूरी भी बन जाती है और तब यह सत्य असत्य का संघर्ष बन जाता है और सारी आध्यात्मिकता इसी संघर्ष में निहित हो जाती है। गीता एक आध्यात्मिक उन्नति का ग्रंथ मानी जाती है और वह युद्ध का ही उपदेश है।
अतः संघर्ष और युद्ध सदैव आध्यात्मिकता की कमी से ही नहीं होते बल्कि कभी कभी सत्य और न्याय की रक्षा के लिए भी होते हैं।
ऐसा ही एक दृश्य आप इस लिंक पर देख सकते हैं-
http://kalyugeenarad.blogspot.com/2012/01/blog-post.html
अलबेला खत्री जी ! आप सही कहते हैं। अज्ञानता ही सारे विवाद का मूल है।
लेकिन जब सत्य पर आरोप लगने लगें और यह कहा जाने लगे कि दुनिया में सारे फ़साद की जड़ ही यह है तो उसके समर्थन में बोलना मजबूरी भी बन जाती है और तब यह सत्य असत्य का संघर्ष बन जाता है और सारी आध्यात्मिकता इसी संघर्ष में निहित हो जाती है। गीता एक आध्यात्मिक उन्नति का ग्रंथ मानी जाती है और वह युद्ध का ही उपदेश है।
अतः संघर्ष और युद्ध सदैव आध्यात्मिकता की कमी से ही नहीं होते बल्कि कभी कभी सत्य और न्याय की रक्षा के लिए भी होते हैं।
ऐसा ही एक दृश्य आप इस लिंक पर देख सकते हैं-
http://kalyugeenarad.blogspot.com/2012/01/blog-post.html
वाह!
बहुत बढ़िया!
लोहड़ी पर्व के साथ-साथ उत्तरायणी की भी बधाई और शुभकामनाएँ!
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - लोहडी़ और मकर सक्रांति की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाये - ब्लॉग बुलेटिन
अगर इस दुनिया में
कोई हिन्दू न होता ,
कोई मुस्लमान न होता ,
कोई इसाई न होता ,
कोई धर्म न होता ,
केवल मानव होता ,
केवल इंसान होता ,
इंसानियत होती ,
मानवता होती ,
तो कैसा लगता ,
सोचो सोचो सोचो
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