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Albela Khatri

ख़बरदार ! आज की तुकबन्दियाँ केवल वयस्कों के लिए हैं फेसबुकिया मूड में रचित इन मुक्तकों को कच्ची उम्र के लोग न पढ़ें



एक उम्र का साथ नहीं, ये जनम - जनम का साथ है

हम और तुम जो मिले हैं इसमें भी कुदरत का हाथ है


ये अनुपम सम्बन्ध हमारा दुनिया में मिसाल बनेगा


अपनी मोहब्बत, अपनी चाहत, ईश्वर  की  सौगात है 




ये बिन्दू बिन्दू  दीप सजाये लगते हैं


मुझको ये  सब तेरे ही साये लगते हैं


लफ्ज़ जहाँ पर चुप्पी साध लिया करते


वहाँ आपने  अधर हिलाये लगते हैं


ये तड़प स्वयं बतलाती है, तुम  उतर चुकी हो सागर में


तुम मीरा से कान्हा बन कर आई हो नेह  की गागर में


तुम देह नहीं हो देह्तर हो, तुम नाद हो बंशी वाले का 



दुनिया उसकी दीवानी है, जो दीवाना  उस ग्वाले का 




काम भले कितना  मुश्किल हो, किन्तु सरल हो जाएगा


तुम चाहो तो शाम को मिलना भी पोसिबल  हो जायेगा


तुम कहती धूप - छाँव  तक मुँह से कुछ  नहीं  कहती है


मैं कहता हूँ, कह कर देखो, हर लफ़्ज़  ग़ज़ल हो जायेगा



ख्याले यार में गुम वो जानेमन रहता  क्यों नहीं है


मेरी तरह  मस्ती के दरिया  में बहता क्यों नहीं है


हया कैसी मोहब्बत में उसे, डर कैसा बदनामी का


वो मुझसे प्यार करता है तो फिर कहता क्यों नहीं है 




नख से ले शिख तक तुम  प्रेम में पगी हो


इसलिए हे नेहवती ! तुम सबकी  सगी हो


कृष्ण तुम्हारे, तुम कृष्णा की जग जाहिर है 



जब भी देखा मैंने तुमको मीरा सी ही लगी हो 




ह्रदय समर्पित कर तुमको  मैंने नन्हा  उपहार दिया


भला करे भगवान आपका, तुमने इसे स्वीकार किया


कौन पूछता है जग में, किसने किसको कितना चाहा


पर एक बात तो पक्की है कि मैंने तुम से प्यार किया


_____सुप्रभात


_____उर्जस्वित दिवस .......


जय हिन्द !



Rajkot me albela khatri ke audio NAMAN MAHIMA  ka lokarpan samaroh


10 comments:

M VERMA January 7, 2012 at 10:42 AM  

बहुत बढ़िया

Ayaz ahmad January 7, 2012 at 11:10 AM  

आपकी रचना दिल में उतर गई है।
नारी के लिए मछली का तेल बहुत लाभकारी पाया गया है।
11 लाभ हमारे ब्लाग पर देखिए।

Shri Sitaram Rasoi January 7, 2012 at 11:51 AM  

छा गये अलबेला जी बड़ी अलबेली और मस्त पर गहराई की कविता है। बधाई।
डॉ. ओम वर्मा
http://flaxindia.blogspot.com

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' January 7, 2012 at 1:56 PM  

बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति!

मेरा मन पंछी सा January 8, 2012 at 8:32 AM  

बहूत हि बढीया रचना है...

Prakash Jain January 8, 2012 at 9:19 AM  

bahut khoob...

www.poeticprakash.com

vidya January 8, 2012 at 1:34 PM  

वाह..
बहुत बढ़िया.

Kailash Sharma January 8, 2012 at 2:27 PM  

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

विभूति" January 9, 2012 at 1:33 PM  

बहुत सुंदर मन के भाव ...
प्रभावित करती रचना ...

Unknown January 13, 2012 at 4:48 AM  

बहुत सुन्दर रचना ...

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