तुम्हारी हार में मुझको मेरी ही हार लगती है
तुम्हारे जाने की बातें तेज़ तलवार लगती है
मोहब्बत में कोई भी गेम निर्णायक नहीं होगा
धड़कने धड़कनों से वस्ल को तैयार लगती है
ये एहसास-ए-मोहब्बत है, जो दिल वालों को होता है
ये वायरस लग गया जिसको, वो हँसने में भी रोता है
मुझे जाना पड़ेगा पर, मैं जल्दी लौट आऊंगा
तुम्हारी आँख का आँसू, मेरा दामन भिगोता है
कुछ लोग मिस करेंगे
कुछ लोग किस करेंगे
हम तो चले सफ़र पर
अपना बिजनिस करेंगे
रोज़ तुम फोटो न बदलो लिबास की तरह
फेस बुक पे मिलो फ़क़त एहसास की तरह
गुलाबों की तरह मत रंग दिखलाया करो
ज़िन्दगी में काम आओ कपास की तरह
ख़ुशियाँ मोहताज़ नहीं होतीं किसी हासिल की
तुमने मस्ती नहीं देखी क्या किसी गाफिल की
हम तो सर भी कलम करालें अपना तो क्या है ?
बस तबस्सुम एक मिल जाये मुझे क़ातिल की
अब तो मैं हद से गुज़र जाऊं तो भी तम नहीं
चाहे जितना दर्द हो, पर आँख होगी नम नहीं
तुमने जब इकरार कर लिया है मोहब्बत का
सफ़र में मर भी गया, तो अब होगा ग़म नहीं
8 को अहमदाबाद, 9 को धार,
11 को जयपुर और 14 को सागर विश्व विद्यालय
के प्रोग्राम करने जा रहा हूँ पर जाते जाते आपके
लिए आज की तुकबन्दियाँ छोड़ के जा रहा हूँ...........
L.P.S. of USA ke sammelan 1999 me sh. c.m.patel,albela khatri, naranji patel aur d.v.patel san jose cl.USA me albela khatri ki pustak ka lokarpan karte hue |
3 comments:
achhi hai rachna ,
एक नए ब्लागर के लिए लिखने से अधिक पढ़ना सुविधाजनक होता है.
हिंदी में टिप्पणी करना भी अभी कठिन है.
जमे रहिये...डटे रहिये...
नए साल की हार्दिक सुभकामनायें /
आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२५) में शामिल की गई है /आप मंच पर पधारिये और अपने सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है /
http://hbfint.blogspot.com/2012/01/25-sufi-culture.html
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