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Albela Khatri

बिफ़रने के बाद तो मेरा बाप मुझे काबू न कर सके, चैनल वालों की तो बिसात ही क्या ? मैंने वहां रौला पा दिया




बहुत से दर्शकों को याद है  कि  एक टीवी प्रोग्राम में  मेरा और राखी सावंत का 

ज़बरदस्त झगड़ा हुआ था और अंततः  राखी  के षड़यंत्र को कुचलते हुए मैंने  

वह मुक़ाबला  जीता था . हालांकि बात पुरानी हो चुकी है  परन्तु अनेक लोग  

उसके बारे में कुछ न कुछ पूछते रहते हैं . इसलिए आज  मैं  स्वयं  बताता हूँ 

कि सोनी टीवी पर एक प्रोग्राम आता था  "कॉमेडी का बादशाह-हसेगा इण्डिया" 

जिसके सूत्रधार और निर्णायक थे  राजू श्रीवास्तव और राखी सावंत  जबकि 

एक निर्णायक अतिथि कलाकार होता था .  प्रोग्राम का फोर्मेट  ऐसा था  कि  

दो कलाकार  दो-दो बार  अपनी हास्य प्रस्तुति देते थे  जिसके दृष्टिगत  तीनों 

निर्णायक  दोनों चरणों में  अंक देते थे . अंत में जिस प्रतियोगी  के अंक ज्यादा 

होते थे वह खेल में बना रहता  और  दूसरा खेल से बाहर हो जाता .  प्रस्तुति  

नॉन स्टॉप होती थी  जिसमे रिटेक  के चांस नहीं थे . प्रत्येक कलाकार  को 

प्रत्येक चरण में कम से कम 20  मिनट की  प्रस्तुति देनी होती थी. 



यह प्रोग्राम पूरी तरह से भारतीय था  और भारतीय कलाकारों के बीच  ही 

स्पर्धा होती थी . जितने वाले को  कॉमेडी का बादशाह की पगड़ी  पहनाई जाती . 

प्रोग्राम बनाने वालों ने मुझे भी बुलाया था सो अपन  भी चले गए . अब चले 

गए तो चले गए ...यार  कोई पाप थोड़े कर लिया !  लोग तो मशहूर होने  के 

लिए किसी भी  हद तक चले जाते हैं, मैं तो सिर्फ़  कॉमेडी शो में ही गया था 

...हा हा हा हा खैर.....उन दिनों मेरे पुराने मित्र वी आई पी का जलवा था उस 

प्रोग्राम में........वह  तीन-चार  मुक़ाबले लगातार  जीत चुका था  परन्तु  

अंततः कलकत्ता के कृष्ण सोनी से  पराजित  हो गया . इसी कृष्ण सोनी के

साथ मेरा पहला एपिसोड था  जिसे मैंने  सहज ही जीत लिया था . लेकिन 

हार-जीत को हम दोनों ने ही  खेल का हिस्सा मान कर  बस प्रस्तुति का 

मज़ा लिया . इसके बाद एक मुकाबला  और मैंने फ़तेह किया जिसके बाद  

अचानक  चैनल वालों का मूड बदल गया और उनहोंने  इस भारतीय प्रोग्राम 

को  इंडो-पाक  मुकाबला बनाते हुए  पाकिस्तानी कलाकार बुला लिए  व  

एक निर्णायक भी पाकिस्तानी  काशिफ़ आरिफ़ को नियुक्त कर दिया तथा  

मेरा मुकाबला  वहां के  विख्यात  सुल्तान से करा दिया . उसदिन  राखी 

सावंत पहले ही मन बना चुकी थी  पाकिस्तानियों को जिताने का . 



अब मज़े की  बात ये है कि  मैंने तो  नॉन स्टॉप  प्रस्तुति दी, भारत - पाक  

रिश्तों को बढाने वाली  बातों को लेकर प्रस्तुति दी  और  सारी स्क्रिप्ट मेरी 

ख़ुद की  थी  जबकि  सुलतान साहब  ने  चैनल द्वारा दी गयी स्क्रिप्ट  को 

परफ़ॉर्म किया  और वह भी अटक अटक कर.....खास बात ये कि  उन्होंने 

अपने ही देश के उन बड़े कलाकारों का उपहास किया जिनका हम  यहाँ बहुत 

सम्मान करते हैं  जैसे कि गुलाम अली, मेहँदी हसन, रेशमा  और  अदनान 

शामी . परन्तु  इस पर  राखी ने  मुझे दस में से चार दिया  और उसे नौ, राजू 

भाई ने हमें आठ - आठ दिया  और काशिफ़ ने उसे आठ मुझे सात अंक दिए. 

इस प्रकार मैं  पहले चक्र में छ : अंक पिछड़ गया . मैं समझ गया कि निर्णय 

गलत है लेकिन हौसला था कि अभी एक राउण्ड बाकी है ..इस बार फट्टे चक 

दयांगे........


दूसरे राउण्ड में सुलतान की प्रस्तुति पर  तीनों ने आठ-आठ अंक दिए जिससे  

उसका कुल योग होगया उनचास  जबकि मेरा कुल  जमा अंक था उन्नीस, 

यानी दूसरे दौर  में मैं  तीनों  निर्णायकों से  दस में से  दस अंक लेकर तीस के 

तीस  हथिया लूँ  तब भी  मैं विजयी नहीं हो सकता था . दोनों के बीच मैच टाई 

ही होता था .


अब मेरा माथा ठनका  और मुझे पूरा षड़यंत्र समझ में आ गया .  देखते ही 

देखते मेरे भीतर का राजस्थान जाग गया  और मैं पूरी तरह से गंगानगरी  

हो गया . अब तो मैं बिफ़र गया..और बिफ़रने के बाद  तो  मेरा बाप मुझे  

काबू न कर सके, चैनल वालों की तो बिसात ही क्या ?  मैंने वहां रौला  पा 

दिया ...और  मिडिया वालों से भी कह दिया कि यहाँ  गड़बड़ हो रही है.......

.....इसके बाद तो बहुत कुछ हुआ..........राखी सावंत  को उस दिन मैंने जो 

झाड़ा  है  वह ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी......हालाँकि  उसे  मैंने जो कुछ कहा 

और उसके  तर्कों के जो परखच्चे उड़ाये वो न तो पूरी तरह टीवी  पर दिखाए 

गए और न ही मैं यहाँ बयाँ कर सकता हूँ  क्योंकि  मुझे यहाँ भाषागत मर्यादा 

रखनी है . लेकिन मैंने कोई कसर नहीं  छोड़ी..वह नागिन सी फुफकारती रही  

और मैं सपेरे की  भांति  पुंगी बजाता रहा .



इसके अलावा  दर्शकों को भी ज़बरदस्त लताड़ लगाते हुए  मैंने   प्रोग्राम वहीँ 

छोड़ दिया  और दूसरे चक्र में प्रस्तुति देने से साफ़ मना कर दिया . तब  राजू 

भाई ने मुझे समझा बुझा कर  यह कह के  जोश दिला दिला दिया कि अलबेला 

यार........अभी भी  खेल में रोमांच बाकी है........आज तेरे सामने  चुनौती है,  

ऐसी धाकड़ प्रस्तुति दे  कि तीनों जज  दस में दस देने को मजबूर हो जाएँ.

...........इस प्रकार  टाई होने के चांस हैं और अगले  एपिसोड में  विजयी होने के 

भी  जबकि  खेल बीच में  छोड़ दिया तो  हमारी भी  इज्ज़त जाएगी और चैनल 

के साथ साथ तेरी भी जायेगी.............इसके बाद कोई चैनल वाला तुम्हें 

बुलाएगा भी नहीं. फिर क्या था.......अपन फिर से बन गए सांड और टूट पड़े 

खेत चरने..........ऐसा धमाल किया कि  राखी समेत तीनों  ने दस दस ही दिए

...और खेल बराबरी पर ख़त्म हुआ. अगले एपिसोड में  मैंने सुल्तान को हरा 

दिया और  राखी  के चंगुल से निकाल कर  विजेता वाली पगड़ी  मैंने पहन ही 

ली............बोल बजरंग बली की जय ! 

कॉमेडी का बादशाह में  पहली प्रस्तुति देता  अलबेला खत्री
पहली जीत  के बाद दीपक राजा,  कृष्ण सोनी,  राजू श्रीवास्तव और राखी सावंत के साथ अलबेला खत्री

इन्डो-पाक मुक़ाबले में  पहली मुठभेड़ सुल्तान और अलबेला खत्री के बीच  राखी के साथ गरमा-गरम विवाद पर पूरी हुई

पाकिस्तानी को धूल चटाने के बाद  काशिफ़ आरिफ़  से विजयी पगड़ी पहनते हुए अलबेला खत्री

इस फोटो को देख कर ही आप समझ जायेंगे  कि राखी सावंत कि हवाइयां उड़ी हुई हैं,  सुल्तान  की सल्तनत  खिसकी हुई है,  राजू श्रीवास्तव  हतप्रभ और काशिफ़ आरिफ़ या अल्लाह !  ये क्या हो गया ? की  मुद्रा में  उन्हीं हाथों को घूर रहे हैं जिन हाथों से  मुझे  दस अंक दिए ....मज़े तो सिर्फ़ अपने हैं ........जेब में हाथ डाल कर चौड़े हो कर खड़े हैं पाकिस्तान के सामने     



जय हिन्द !









2 comments:

Anonymous January 24, 2012 at 9:26 AM  

bhai wah ...jalawe he aapke...

Pradeep January 24, 2012 at 7:35 PM  

आ जोरकी करी अलबेला जी :)

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