सावधान ! ख़बरदार !! होशियार !!!
दिल्ली के मन्त्रियों को भले ही सुरक्षा की ज़रूरत न हो, परन्तु दिल्ली के अवाम को तो अब अपने और अपने बच्चों के लिए सुरक्षा मांग ही लेनी चाहिए क्योंकि मज़ाक मज़ाक में उसने ऐसे लोगों को हुक्मरान बना दिया है जिनका कोई भरोसा नहीं कि कब, किस मासूम को खेलने के अपराध में जेल जाना पड़ जाए -
हा हा हा पता नहीं कब किस बाप को इसलिए जेल जाना पड़ जाए कि उसने ऐसी अपराधी औलाद पैदा की कि जो क्रिकेट खेलती है और अपनी गेन्द से मन्त्रीजी की गाड़ी के काँच तिड़का देती है
दिल्ली वालो! अगर कुछ दिन पहले सचमुच आपने उनके कांच तोड़ दिए होते तो आज ये दिन न देखना पड़ता
राखी के पाखण्ड पर, दिल्ली वाले दंग
दो दिन में दिखला दिया, अपना असली रंग
अपना असली रंग, मुखौटा उतर गया है
आम होगया ख़ास, ज़ेहन तक असर गया है
पाई पहली बार, कार जब नौ-दस लाखी
भूल गई औक़ात, लाज खूंटी पर राखी
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
राखी के पाखण्ड पर, दिल्ली वाले दंग |
3 comments:
कभी कभी प्रतिक्रिया से मन समझ आ जाता है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (07-01-2014) को पाक चाहता आप की, सेंटर में सरकार; चर्चा मंच 1485 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सही बात...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...अलबेला जी, काफी अरसे बाद आना हुआ आप के ब्लॉग पर....आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
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