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पिछली पोस्ट में मैंने कहा था कि नक्सलवाद को ख़त्म करने का
फार्मूला अगली पोस्ट में दूंगा तो ये लो.....मैंने अपना वादा पूरा किया
ये रहा मेरा नया आलेख :
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लीजिये चिदम्बरम जी !
फ़ार्मूला हाज़िर है ।
आपको कोई पहाड़ नहीं तोड़ना, कोई गंगा नहीं लानी स्वर्ग से और
न ही ख़ून खराबा करना है । आपको अपनी बुद्धि और सामर्थ्य से
केवल इतना करना है कि आग को बुझाने के लिए पेट्रोल का प्रयोग
बन्द करके पानी की धारा बहा दें..........
आपको केवल इतना करना है कि नक्सलवादियों की बन्दूकों का
रुख मोड़ दें ।
आपको केवल इतना करना है कि सरकार के प्रति नहीं, सत्ता के
प्रति नहीं, बल्कि देश और देश की जनता के प्रति ईमानदार हो
जाएँ । बाकी काम तो चुटकी बजाने जैसा है ।
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ये लोग जिन्हें हम नक्सलवादी कहते हैं, ये रोज़ाना कोई न कोई
वारदात कर रहे हैं और निर्दोष लोग मर रहे हैं । मैं समझता हूँ
इनकी किसी से कोई ज़ाति रन्जिश नहीं है । ये तो कठपुतलियां हैं
उन ताकतों की जो इन्हें पैसे के दम पर नचा रही हैं । अर्थात ये सब
भाड़े के हत्यारे हैं जो दुश्मन देशों से मिले हुए हैं और अपने साथ
हुए शोषण अथवा अत्याचार अथवा भेदभाव का बदला भी ले रहे
हैं और रुपया भी कमा रहे हैं । मज़े की बात ये है कि ये कोई पराये
नहीं हैं, अपने ही लोग हैं, इसी माटी के लाल हैं । अब अपने लोगों को
कोई अपने ही खिलाफ इस्तेमाल करके देश में अराजकता और
आतंक का माहौल बनादे, इससे ज़्यादा डूब मरने की बात आपके
लिए और आपकी हुकूमत के लिए और क्या हो सकती है ?
लिहाज़ा अब आप ये कीजिये कि सबसे पहले खजाने की थैलियाँ
खोलिए.................और तौल दीजिये इन नक्सलवादियों को रुपयों से,
इतना रुपया इन्हें दे दीजिये कि इन्होंने कभी कल्पना भी न की
हो.... साथ ही इन सब को अपनी सशस्त्र सेना के जैसी सुविधाएं,
इज़्ज़त और राष्ट्र भक्ति से ओत प्रोत वातावरण दे कर इस बात
के लिए राज़ी कीजिये कि ये अब देश में नहीं बल्कि देश के लिए
गोलियां चलाएंगे ।
पैसे में बहुत बड़ी ताकत होती है जनाब ! खरीद लीजिये इनको पैसे
दे कर, बहुत से लोग झट से बिक जायेंगे क्योंकि उनको भरोसा
हो जायेगा कि अगर देश के लिए लड़ते हुए मर भी गये तो उनका
परिवार तो आराम की ज़िन्दगी इज़्ज़त के साथ जी सकेगा ।
अब समस्या है वो लोग जो बिकने को तैयार नहीं होंगे, तो वो भी
कोई समस्या नहीं ...जो लोग बिक जायेंगे, वे ही उनसे भी निपट
लेंगे....अर्थात नक्सलवादियों के पास दोनों विकल्प होंगे कि या तो
ख़ूब सारा पैसा लेकर इज़्ज़त के साथ देश के लिए काम करो या
फिर अपने ही साथियों के हाथों मारे जाओ ।
उनके बाल बच्चों और परिवारजन को कहो कि वे भी उन्हें समझाएं
और एक बार पूरी ईमानदारी से देश की मुख्यधारा में शामिल हो
जाएँ । इन्सान इतनी नरम मिट्टी का बना है चिदम्बरम जी कि
उनके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है ।
बस, फिर क्या है...........जो काम वो यहाँ कर रहे हैं वही काम आप
उनसे दुश्मन देश में कराओ...अगर वो दुश्मन को चोट पहुंचा सके
तो ठीक और अगर इस लड़ाई में मारे जाएँ तो ठीक ...दोनों ही
तरफ भारत का भला है । इस प्रकार कुछ लोग दुश्मन देश में
घुस कर अपने सैनिक वाला काम करेंगे और बाकी लोग शहीद
हो जायेंगे...........जय सिया राम !
मैंने इशारा कर दिया है, अब बाकी सारी बातें सरेआम खोल खोल
कर लिखूं ये मुझे ज़रूरी नहीं लगता ।
आप समझ सकते हैं कि हमारे जवानों को बचाने के लिए पैसा
और नक्सलवादियों की जान अगर पानी की तरह बहाने पड़ें
तो भी सौदा मंहगा नहीं है ।
जय हिन्द !
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hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
9 comments:
कब बंद होगा हत्या का तांडव, कब चेतेगी सरकार ?
बहुत बढ़िया सुझाव!
जय-हिन्द!
मगर खत्री साहब, अमन की चाह किसे है , फिर इनकी दाल-रोटी कैसे चलेगी सवाल वो है !
Idea buraa nahin hai..
अगर इस तरह से इन्होने चुटकी बजाते हुए समस्यायों का समाधान कर लिया तो बाकी समय इन्हें खाली बैठे झख मारनी पड़ेगी...इसलिए ये इन्हें हल नहीं करना चाहते कि कहीं देश की जनता इन्हें बाद में आराम परस्त और नाकारा समझ के गद्दी से ना उतार दे
आपने तो इतनी बड़ी कूटनीतिक सलाह दे डाली.
मसला गंभीर है, समाधान के लिए बड़े निर्णय लेने ही होंगे.
बढ़िया सुझाव!
Advice Super Hai!!
"RAM"
JAI HIND.....
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