परचिन्तन, परहित, परसेवा, परमार्थ के काज करूँ
पवन - गति से चलूँ सत्य पे, सदा झूठ से लाज करूँ
वैर - भाव न रखूं किसी से, दो ऐसा वरदान प्रभो !
झुकूं सदा मैं सभी के आगे, सबके हृदय पे राज करूँ
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
9 comments:
झुकूं सदा मैं सभी के आगे, सबके हृदय पे राज करूँ
झुकने की जरुरत नहीं है जी, राज तो आप कर ही रहे हैं।
वाह बहुत खूब कहा है आपने! हर शब्द में इतनी गहराई है और सत्य वचन है जिसे सभी को पालन करना चाहिए! इन पंक्तियों से अच्छी प्रेरणा मिली है !
सुधरने का इरादा कर लिया क्या....
waah achcha socha hamare liye bhi kuch maang lijiye sirji...pata nahi mujh paapi ki sunega bhi ya nahi...
First Vote n Nice Post .रचनाएं अपने रचनाकार का परिचय कराती हैं ।
http://blogvani.com/blogs/blog/15882
ha ha
वह क्या बात है..... बहुत खूब!
बहुत अच्छी रचना ....स्वच्छ मन की सुन्दर अभ्व्यक्ति ...इसे पढ़कर फिर से यकीन हुआ ,,, की सच है एक हास्यकलाकार बहुमुखी प्रतीभा का धनी होता है
इन पंक्तियों से अच्छी प्रेरणा मिली है !
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