काश!
हम इतने समर्थ होते
काश!
यह हमारे वश में होता
तो वह मनहूस घड़ी
कभी आने नहीं देते
आपको इस तरह,
असमय जाने नहीं देते
भिड़ जाते हम नियति से,
घमासान मचा देते
खेल जाते प्राणों पर...
आपकी जान बचा देते
लेकिन नहीं ...
कोई उपाय नहीं था
इस विडम्बना से बचने का
कोई तोड़ नहीं था हमारे पास
काल रूपी उस काले अजगर का
जो देखते ही देखते
निगल गया,
समूचा निगल गया
लील गया
हमारी आंखों के सपनों को
उन सपनों के
कुशल चितेरे को
सम्भावनाओं के
भव्य सवेरे को
और हम
ठगे से रह गए
कुछ भी न कर सके
सिवा संताप के
सिवा रुदन के
काश!
हमारी भी कुछ चल जाती
काश!
यह दुःखान्तिका टल जाती
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hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
12 comments:
विधाता हम नहीं कोई और है । ऐसे समर्थ पुरूषों का जाना यही बताता है । हमें भी जाना है । क्या हमने उस लक्ष्य को पा लिया है जिसके लिए विधाता ने हमें रचा है ? सोचिए .....
http://blogvani.com/blogs/blog/15882
....प्रसंशनीय रचना !!!
मेरी भी भावभीनी श्रद्धांजलि!
सच कहा.. पर काश हम वहाँ होते.. कुछ कर पाते..
सटीक रचना
मेरी भी भावभीनी श्रद्धांजलि!
मेरी भी भावभीनी श्रद्धांजलि!
वाह! कमाल की पंक्तियाँ है!
RIP...
"RAM"
आज स्टार न्यूज़ में एक कार्यक्रम में घटनाक्रम के बारे में दिखाया जा रहा था . देख कर लगा वाकई मौत का समय निश्चित होता है.
श्रद्धा नमन
बहुत ही सुन्दर और सराहनीय रचना हैं!
गुड्डू की अम्मा को हमारी भी नमस्ते जी.
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