गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है..........
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इन पर किसी प्रकार के भ्रष्टाचार का आरोप मत लगाना
लो जी ,
होगया मंत्रीमंडल का विस्तार .....
अनेक महानुभावों ने
ओथ "ली"
शपथ "ग्रहण की"
या
कसम "खाई "
और ये कार्य सब के सामने सम्पन्न हुआ
कोई चोरी छुपे नहीं
अब कल कोई इन पर किसी प्रकार के भ्रष्टाचार का आरोप
मत लगाना
_________________अरे यार जिस काम की शुरुआत ही
"लेने"
+ग्रहण करने
+खाने से होती है
उस में खाने पीने की छूट तो होनी ही चाहिए
..हा हा हा हा हा हा हा हा
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
ये आज की औरत है ! इस्पात से बनी है ..........
महक ये कहती है कि गुलात से बनी है
कार्तिक के शबनमी क़तरात से बनी है
नाज़ुकी ऐसी, गोया जज़्बात से बनी है
पर ये सब कयास है
पूरी तरह बकवास है
क्योंकि तज़ुर्बा कहता है कि
दर्दात से बनी है
ज़र्फ़ से, ज़ुर्रत से, ज़ोर के
हालात से बनी है
सुबहा न जिसकी आ सकी,
उस रात से बनी है
ये औरत,
आज की औरत है !
इस्पात से बनी है
चोंच से ज़्यादा सूखे हैं बस्ती के नल, आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
न तो जीना सरल है न मरना सरल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
कल नयी दिल्ली स्टेशन पे दो जन मरे
रेलवे ने बताया कि ज़बरन मरे
अब मरे दो या चाहे दो दर्जन मरे
ममतामाई की आँखों में आये न जल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
तप रहा है गगन, तप रही है धरा
हर कोई कह रहा मैं मरा, मैं मरा
प्यास पंछी की कोई बुझादे ज़रा
चोंच से ज़्यादा सूखे हैं बस्ती के नल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
एक अफज़ल गुरू ही नहीं है जनाब
जेलों पर है हज़ारों दरिन्दों का दाब
ख़ूब खाते हैं बिरयानी, पी पी शराब
हँस रहे हैं कसाब, रो रहे उज्ज्वल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
कुर्सी के कागलों ने जहाँ चोंच डाली
देह जनता की पूरी वहां नोंच डाली
सत्य अहिंसा की शब्दावली पोंछ डाली
मखमलों पे मले जा रहे अपना मल
आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल
- अलबेला खत्री
हास्यकवि अलबेला खत्री का नया शाहकार 'हे हनुमान बचालो' अब बाज़ार में आने को तैयार
लीजिये प्यारे दोस्तों !
अलबेला खत्री हाज़िर है अपना नया ऑडियो एलबम लेकर...........जहाँ
तक मेरा मानना है, इस नये सृजन को लोगों का भरपूर स्नेह मिलेगा और
ये घर-घर बजेगा
निवेदन यही है कि इसे अपनी मंगल कामनाओं से पोषित करें, कई दिनों
की कड़ी मेहनत के बाद हमारी टीम ये काम पूर्ण कर पाई है
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
मैं कहती थी न ...जापानी तेल बहुत अच्छी चीज़ है रोज़ लगाना चाहिए
कल शाम को जब मैं मुम्बई से सूरत आ रहा था तो मेरे सामने की सीट पर
मेरी ही उम्र का एक व्यक्ति, अपेक्षाकृत कम उम्र की और ज़बरदस्त खूबसूरत
महिला के साथ बैठा था और लगातार मुझे देखे जा रहा था . पहले तो मैंने
ध्यान नहीं दिया लेकिन जब वो कुछ ज़्यादा ही बारीकी से देखने लगा तो मैंने
पूछा - क्यों भाई साहेब ? क्या मैंने आपसे कभी कुछ उधार लिया था ?
वो बोला नहीं....तो मैंने कहा - फिर क्या कारण है कि आप लगातार मुझे इस
तरह घूर रहे हैं ?
वो बोला - मैं जानना चाहता हूँ कि आपके बाल असली हैं या नकली ? मैंने कहा -
असली . वो बोला - लगते नहीं...........मैंने कहा - खींच कर देखलो भाई...........
पूछा कौनसा शैम्पू लगाते हो ? मैंने कहा - कोई नहीं, मैं शैम्पू से नहीं नहाता..
साबुन ही लगाता हूँ बस......
तो फिर और कुछ लगाते होंगे...उन्होंने पूछा तो मैंने मज़ाक में कहा -
हाँ तेल लगाता हूँ . वो बोले कौनसा ? मैंने कहा - नहीं बताऊंगा वरना आप हंसोगे
...........वो बोला - कोई बात नहीं हमारे हंसने से आपको क्या फ़र्क पड़ता है ?
आप तो बता दो ..मैंने कहा - किसी को बताओगे तो नहीं . वो बोला - नहीं..........तो
मैंने कहा - जापानी तेल लगाता हूँ....इत्ता सुनते ही वो भाई तो चुप हो गया लेकिन
उसके साथ बैठी महिला खिलखिला कर हँस पड़ी और उससे बोली - मैं कहती थी न
...जापानी तेल बहुत अच्छी चीज़ है रोज़ लगाना चाहिए..........इत्ता सुनना था कि
आस पास के लोग भी ठहाके लगाने लगे .
जय हिन्द !
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फ़ांसी देने वाला रस्सा तैयार न हो तो फिर करोड़ों रुपया तैयार रखो अपने दामादों का मौताणा चुकाने के लिए
भाई देश चलाने वाले
डेढ़ हुशियार नेताओ, प्रशासको, अधीनस्थ अधिकारी इत्यादियो !
आपको अफज़ल गुरू
या अजमल कसाब को फांसी पर लटकाने में दिलचस्पी नहीं है
तो कोई बात नहीं,
मुझे भी कोई जल्दी नहीं है उनकी मौत का समाचार बांचने की
लेकिन इतना तो बताओ कि अगर ये लोग तुम्हारे बिना कुछ किये, अगर अपनी
मौत मर गये तो क्या होगा ?
ये सच है कि जो जन्मा है वह एक दिन मरेगा ही..........कब मरेगा ये कोई भी नहीं
जानता, भगवान न करे अगर कसाब या अफजल अगर टें बोल गये और तुम्हारी
हिरासत में बोल गये तो कितना रुपया चुकाओगे मुआवज़े का ?
ये मानवाधिकार वाले, ये राष्ट्रसंघ वाले, ये पाकिस्तान वाले, ये वाले, वो वाले जब
हिसाब मांगेंगे कि कैसे मर गये, तब क्या कहोगे ? इस बात का विचार करो और
फ़ांसी देने वाला रस्सा तैयार न हो तो फिर करोड़ों रुपया तैयार रखो अपने
दामादों का मौताणा चुकाने के लिए
जय हिन्द !
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केलवा कवि सम्मेलन से पहले आचार्य महाश्रमणजी का वह दिव्यदर्शन और स्नेहिल आशीर्वाद मुझे आजीवन याद रहेगा
वैसे तो मैंने अनेक अवसरों पर दैविक चमत्कारों का अनुभव किया है
परन्तु 06-11-2011 की शाम राजस्थान के केलवा में जैन आचार्य
श्री महाश्रमणजी के चातुर्मास उपलक्ष्य में आयोजित कवि-सम्मेलन से पूर्व
जब मैं उनसे मिलने गया तो पहली ही मुलाकात में उनके दिव्य रूप का
दीवाना हो गया . मुखमंडल अलौकिक तेज़स्विता और अधरों पर चित्ताकर्षक
मुस्कान बरबस ही मुझे प्रेरित कर रही थी कि मैं उस महान सन्त के चरणों में
झुक जाऊं और उनके स्पर्श को प्राप्त करने का प्रयास करूँ परन्तु नज़रें थीं कि
हटाये नहीं हट रही थीं उनकी नज़रों से.........फिर उन्होंने दोनों हाथ उठा कर
जब यशश्वी होने का आशीर्वाद दिया तो मैं धन्य ही हो गया ...........कवि-सम्मेलन
हो गया, बढ़िया हो गया . हरिओम पंवार, नरेन्द्र बंजारा, गोविन्द राठी और मैंने
ठीक-ठाक काम कर दिया . सब लोग चले गये ...मैं सो गया लेकिन एक घंटे बाद
ही जैसे किसी ने मुझे झकझोर कर उठा दिया...कहा - उठ ! तेरे सोने के दिन
लद गये...अब जागृत होकर......धर्मसंघ की सेवा कर ! आँख खुली...तो वहां कमरे में
कोई नहीं था फिर भी जाने क्यों मन में ऐसा एहसास हो रहा था कि कोई है
.................कहीं ये वो ही तो नहीं.......................हो भी सकता है ये मेरा भ्रम हो,
लेकिन यदि सच है तो फिर मेरे अहोभाग्य हैं .
जय हिन्द !
दो नम्बर में रंग गया, इक नम्बर का देश ...सागर में एक शाम शहीदों के नाम
करगिल में अपना बलिदान देने वाले बुंदेलखंड के बहाद्दुर सुपूत
कालीचरण तिवारी के बलिदान दिवस पर सागर शहर में पिछले
१२ वर्षों से एक शानदार और भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है
जिसमे फ़िल्म, टी वी और मंच के सितारे अपनी प्रस्तुतियां देकर
हुतात्मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं
सुप्रसिद्ध साहित्यप्रेमी विद्वान और राजस्व अधिकारी सुबचन राम
के सहयोग से डॉ अंकलेश्वर दुबे अन्नी व उनके मित्र इस आयोजन
को बड़े मन और चाव से करते हैं
इस बार भी यह कार्यक्रम अत्यन्त सफल रहा . फ़िल्म अभिनेता
सुदेश बेरी, लाफ़्टर चैम्पियन हास्यकवि अलबेला खत्री एवं जगदीश
सोलंकी,मदन मोहन समर इत्यादि वीर रस के बड़े कवियों ने ख़ूब
समां बाँधा
ऐसे आयोजन शहर में देश भक्ति के माहौल को बनाये रखने में बड़े
कारगर होते हैं ..मेरी अंतर्मन से बधाई सभी आयोजकों को..........
..................जय हिन्द !
कालीचरण तिवारी के बलिदान दिवस पर सागर शहर में पिछले
१२ वर्षों से एक शानदार और भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है
जिसमे फ़िल्म, टी वी और मंच के सितारे अपनी प्रस्तुतियां देकर
हुतात्मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं
सुप्रसिद्ध साहित्यप्रेमी विद्वान और राजस्व अधिकारी सुबचन राम
के सहयोग से डॉ अंकलेश्वर दुबे अन्नी व उनके मित्र इस आयोजन
को बड़े मन और चाव से करते हैं
इस बार भी यह कार्यक्रम अत्यन्त सफल रहा . फ़िल्म अभिनेता
सुदेश बेरी, लाफ़्टर चैम्पियन हास्यकवि अलबेला खत्री एवं जगदीश
सोलंकी,मदन मोहन समर इत्यादि वीर रस के बड़े कवियों ने ख़ूब
समां बाँधा
ऐसे आयोजन शहर में देश भक्ति के माहौल को बनाये रखने में बड़े
कारगर होते हैं ..मेरी अंतर्मन से बधाई सभी आयोजकों को..........
..................जय हिन्द !
घूस सुन्दरी ने यहाँ, यों फैलाये केश
दो नम्बर में रंग गया, इक नम्बर का देश
दो नम्बर में रंग गया, इक नम्बर का देश
सबको पैसा चाहिए, सबको सुविधा भोग
इसीलिए तो घूस का, फैला इतना रोग