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Friday, August 31, 2012
प्यारे मित्रो ! पिछले कुछ दिनों में 'जय माँ हिंगुलाज' की निर्माण
प्रक्रिया में
कुछ ऐसे अनुभव हुए जिन्होंने मन को आनन्द से भर दिया . इन
ख़ुशनुमा
एहसासों को मैं आपके साथ बांटना चाहता हूँ . जिन लोगों के साथ
भी काम
किया, सभी ने इतना मृदुल व्यवहार किया कि यह विश्वास और ज़्यादा
मजबूत
हो गया कि सरस्वती के सच्चे साधक चाहे कितने ही ऊँचे शिखर पर
क्यों न
जा बैठें...अपनी विनम्रता नहीं छोड़ते.........
ऊर्जा का अथाह भण्डार : कीर्तिदान गढ़वी
गुजराती लोक संगीत के
सुप्रसिद्ध कलाकार कीर्तिदान गढ़वी से जब हमने दो
रचनाएं गाने के लिए
कहा तो पहले तो उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि
वे समयाभाव के कारण इतनी
दूर नहीं आ सकते.......लिहाज़ा हम उदास हो गये
क्योंकि उन दो गानों को
हमने बनाया ही कीर्ति भाई के लिए था . इसलिए
किसी और का स्वर लेने के बजाय
हमने गीत ही छोड़ने का मन बना लिया लेकिन
मुम्बई रवाना होने के ठीक एक दिन
पहले ख़ुद उन्होंने फोन किया कि मैं सापुतारा
आ रहा हूँ........अगर चाहो
तो रास्ते में आपकी रेकॉर्डिंग करते हुए निकाल
जाऊँगा . ये सुन कर पारस
सोनी ( संगीत संयोजक) और मेरी ख़ुशी का ठिकाना
न रहा .
कीर्तिदान गढ़वी आये....गायन किया और ऐसा ज़बरदस्त किया कि मन आनन्द
से झूम उठा. स्वर मन्दिर स्टूडियो सूरत का कोना कोना नाच उठा, ऐसा एहसास
हुआ..........उल्लेखनीय है कि कीर्तिदान जी ने न केवल अपने ऊर्जस्वित
व्यक्तित्व
से हमें दीवाना कर दिया बल्कि माँ हिंगुलाज में श्रद्धा के
कारण पारिश्रमिक भी बहुत
कम लिया . मुझे भरोसा है कि कीर्तिदान का आगमन
सिर्फ़ और सिर्फ़ माँ
हिंगुलाज की अनुकम्पा से हुआ . कदाचित माँ
हिंगुला ख़ुद चाहती थीं कि कीर्ति
भाई आये और उनकी महिमा गाये
...........
धन्यवाद कीर्तिदान ! जय हो माँ हिंगुला !
-अलबेला खत्री
अगली पोस्ट में.............भजन सम्राट पद्मश्री अनूप जलोटा ( जारी )
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Thursday, August 30, 2012
तीन सामयिक कह-मुकरियां
निर्दोषों का वह हत्यारा
जन जन ने उसको धिक्कारा
किया कोर्ट ने ठीक हिसाब
क्या सखि अजमल ? नहिं रे कसाब
वो सबका इन्साफ़ करेगा
नहिं हत्याएं माफ़ करेगा
ख़ून का बदला लेगा ख़ून
क्या सखि मुन्सिफ़ ? नहिं कानून
हुआ आज हर्षित मेरा मन
करूँ ख़ूब उनका अभिनन्दन
काम कर दिया उसने अनुपम
क्या सखि मन्नू ? नहिं वोह निकम
-अलबेला खत्री
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प्यारे मित्रो !
यह बताते हुए मुझे ख़ुशी है कि 'जय माँ हिंगुलाज' एलबम का 80 %
काम
पूर्ण हो चुका है . भजन सम्राट अनूप जलोटा, साधना सरगम,
पार्थिव गोहिल,
कीर्तिदान गढ़वी, अर्णब चटर्जी, दिपाली सोनी व
अलबेला खत्री द्वारा
स्वरबद्ध किये गये भजनों में अब मिक्सिंग और
कोरस का काम पूरा होते ही
वीडियो का काम शुरू हो जाएगा .
इस एलबम के गीतों की रचना व
कम्पोजीशन अलबेला खत्री ने की
है जबकि संगीत संयोजन पारस सोनी ने किया है
. आशा है, यह
भेन्ट आपको पसन्द आएगी .
जय माता दी
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Saturday, August 25, 2012
जंगे-आज़ादी के जांबाज़ सूरमा अमर बलिदानी राजगुरु के जन्म दिवस पर
आज
तिरंगे को सलाम करते हुए तीन कह-मुकरियां विनम्र श्रद्धांजलि के रूप में
सादर समर्पित कर रहा हूँ
सब कुछ अपना हार गये वो
प्राण भी अपने वार गये वो
बिना किये कुछ भी उम्मीद
ऐ सखि साधु ? नहीं शहीद !
देशभक्ति का काम कर गये
अपने कुल का नाम कर गये
खौफ़ उन्हें न सका खरीद
ऐ सखि शायर ? नहीं शहीद
मुल्क हमारा हमें बचाना
गौरव इसका और बढ़ाना
हमें दे गये यह ताकीद
ऐ सखि गांधी ? नहीं शहीद
जयहिन्द !
-अलबेला खत्री
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Friday, August 24, 2012
आओ सम्वाद करें
चमन में मुरझाते हुए फूलों पर
जंगल में ख़त्म होते बबूलों पर
माली से हुई अक्षम्य भूलों पर
सावन में सूने दिखते झूलों पर
कि कैसे इन्हें आबाद करें........आओ सम्वाद करें
गरीबी व भूख के मसलों पर
शहर में सड़ रही फसलों पर
भटकती हुई नई नस्लों पर
आँगन में उग रहे असलों पर
थोड़ा वाद करें, विवाद करें........आओ सम्वाद करें
शातिर रहनुमा की अवाम से गद्दारी पर
हाशिये पर खड़ी पहरुओं की खुद्दारी पर
मिट्टी के माधो बने हर एक दरबारी पर
बेदखल किये गये लोगों की हकदारी पर
थोड़ा रो लें, अवसाद करें .........आओ सम्वाद करें
ज़ुल्म अब तक जो हुआ, जितना हुआ हमने सहा
न तो ज़ुबां मेरी खुली और न ही कुछ तुमने कहा
किन्तु अब खामोशियाँ अपराध है
अब गति स्वाभिमान की निर्बाध है
तोड़ना है चक्रव्यूह अब देशद्रोही राज का
हर बशर मुँह ताकता है क्रांति के आगाज़ का
बीज जो बोया था हमने रक्त का, बलिदान का
व्यर्थ न जा पाए इक कतरा भी हिन्दुस्तान का
साजिशें खूंख्वारों की बर्बाद करें ....आओ सम्वाद करें ....आओ संवाद करें
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
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कविता,संवाद,साजिश,क्रांति,michhami dukkadam, jainism,jain, paryushan, mahavir,terapanth |
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Wednesday, August 22, 2012
सिल्कसिटी सूरत के सर्वप्रथम एवं सुप्रतिष्ठित दैनिक लोकतेज़ के मुख्य
पृष्ठ पर इन दिनों मेरी एक "कह-मुकरी" रोज़ाना प्रकाशित हो रही है.
ओपन
बुक्स ऑन लाइन के माननीय प्रबन्धन सदस्य सर्वश्री योगराज
प्रभाकर,
अम्बरीश श्रीवास्तव, गणेश जी बागी, सौरभ पाण्डेय समेत अन्य
विद्वानों के
सान्निध्य में कविता के अनेक आयामों को सीखने का लाभ लेते
हुए मैं स्वयं
को पहले से ज़्यादा ऊर्जस्वित और परिष्कृत पा रहा हूँ .
ओ बी ओ के प्रधान संपादक योगराज जी से प्रेरित हो कर मैंने कह-मुकरियां
लिखना शुरू किया और जब इसमें रस आने लगा तो लोकतेज़ के संपादक
कुलदीप
सनाढ्य से कहा कि मैं इस विधा पर लम्बा काम करना चाहता हूँ
तो उन्होंने
एक रचना रोज़ाना प्रकाशित करने का निर्णय तुरन्त ले लिया .
मेरे प्यारे कवि/कवयित्री मित्रो ! अनुभव के आधार पर कहना चाहता हूँ
कि
जो लोग लगातार नया लिखते रहते हैं और सचमुच साहित्य को समृद्ध करना
चाहते हैं उन्हें ओपन बुक्स ऑन लाइन से ज़रूर जुड़ना चाहिए.
अगर
अभी तक आप सदस्य नहीं बने हैं............तो अभी बनिए..........क्योंकि
हिन्दी जगत में इसके अलावा ऐसी दूसरी कोई चौपाल नहीं जहाँ कविता लेखन
सिखाने के लिए सृजन के इतने महारथी एक साथ उपलब्ध हों .
जय ओ बी ओ
जय हिन्दी
जय जय हिन्द !
_अलबेला खत्री
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obo,loktez |
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क्षमापर्व, मिच्छामि, दुक्कड़म, पर्युषण, संवत्सरी,जैन,दिगंबर |
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Tuesday, August 21, 2012
हाय रे ये इश्क़ की बेताबियाँ
ले रही हैं ज़िन्दगी अंगड़ाइयां
क्या कहूँ इस से ज़ियादा आप को
मार डालेंगी मुझे तन्हाइयां
आजकल मातम है क्यूँ छाया हुआ
सुनते थे कल तक जहाँ शहनाइयाँ
दौर है ये ज़ोर की आजमाइशों का
भिड़ रही हैं परवतों से राइयां
चल पड़ा हूँ मैं निहत्था जंग में
लाज रख लेना तू मेरी साइयां
इक जगह टिकती नहीं हैं ये कभी
मुझ सी ही नटखट मेरी परछाइयाँ
इतनी सुन्दर बीवियां दिखती नहीं
जितनी सुन्दर काम वाली बाइयां
'अलबेला' है मसखरा, शायर नहीं
ढूंढिए मत ग़ज़ल में गहराइयां
-अलबेला खत्री
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ग़ज़लनुमा,jai, maa, hinglaj,surat,poery, bhajan |
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Monday, August 20, 2012
वो जब आये, धूम मचाये
आँगन आँगन ख़ुशियाँ लाये
सब कहते हैं ख़ुश आमदीद
क्या सखि साजन ?
नहिं सखि ईद
तन नूरानी, मन नूरानी
सबके घर आँगन नूरानी
चमकदार है इसकी दीद
क्या सखि साजन ?
नहिं सखि ईद
उसकी आमद लगे सुहानी
झूमे नाना झूमे नानी
सारा आलम लगे खुर्शीद
क्या सखि बादल ?
नहीं सखि ईद
-अलबेला खत्री
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ईद, मुबारक, अलबेला,खत्री,कह-मुकरी |
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Saturday, August 18, 2012
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dharam, karam,albela,kavi,hasya,surat, kavita ,poem |
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मित्रता, फ्रेंडशिप,शिव,राम,अलबेला,खत्री,कवि,सूरत,हिंगुलाज, कविता |
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Friday, August 17, 2012
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शान्ति,अमन, अफवाह,सावधान, अलबेला,खत्री,सूरत,हिंगुलाज,हिंगलाज |
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पहले से ही त्रस्त हैं, सीधे सादे लोग
मत फैलाओ भाइयो, अफवाहों का रोग
जन जन आशंकित हुआ, नख से लेकर केश
अफवाहों की आँच में, झुलस न जाये देश
देश हमारा ताज है, देशधर्म सरताज
जब तक इसकी लाज है, तब तक अपनी लाज
किसके सिर में चल रही, हिंसा की खुजलाट
मुझको गर दिख जाये वो, मारूँ उसे चमाट
कर्नाटक हो या असम, चाहे महाराष्ट्र
एक हमारी भावना, एक हमारा राष्ट्र
बीज न बोयें द्वेष का, रखिये मन में नेह
आपस में नेहस्त हों , केरल हो या लेह
सरकारों को कोसना, दुस्साहस कहलाय
लेकिन अपने देश में, मूरख आग लगाय
'अलबेला' विनती करे, जोड़े दोनों हाथ
मिलजुल जीना सीख लो, इक दूजे के साथ
-जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
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Thursday, August 16, 2012
मेरे प्यारे मित्रो ! आपको यह जानकार ख़ुशी होगी कि "ओपन बुक्स
ऑन लाइन"
द्वारा आयोजित "चित्र से काव्य तक " प्रतियोगिता में मेरी
प्रविष्टि को
प्रथम पुरस्कार मिला है . साथ ही "ओपन बुक्स ऑन लाइन"
द्वारा मुझे जुलाई 2012 के लिए महीने का सक्रिय सदस्य घोषित करके
पुरस्कृत किया गया है . आज ही प्रमाण-पत्र और रुपये 2100 का ड्राफ्ट
प्राप्त हुआ है . इस ख़ुश खबर को आपके साथ सांझा कर रहा हूँ......आपकी
दुआ से आज मैं ख़ूब प्रसन्न हूँ.....
दो दो पुरस्कार एक साथ मिलने की बात ही अलग है मित्रो..........और मेरे
लिए ये इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मेरा नहीं, लेखनी का सम्मान हुआ है
जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि ओपन बुक्स ऑन लाइन एक ऐसी
साहित्यिक
साईट है जहाँ कविता सिखाई जाती है और सीखी जाती है .
आत्ममुग्ध लोगों
के लिए तो कदाचित वहाँ कुछ नहीं है . परन्तु जो लोग शब्द
साधने को अपना
पूजन -अर्चन समझते हैं उनके लिए वह जगह किसी तीर्थ
से कम नहीं, जहाँ
सर्वश्री सौरभ पाण्डेय, योगराज प्रभाकर, गणेश जी बागी,
अम्बरीश
श्रीवास्तव, संजय मिश्रा हबीब, राणा प्रताप सिंह और धरमेन्द्र कुमार
सिंह
जैसे दिग्गज साहित्यिक हस्ताक्षरों के सान्निध्य में विभिन्न उत्सव
-महा उत्सव होते हैं और कविता के फूल खिलते हैं
नवोदित लोगों को तो वहाँ ज़रूर जाना चाहिए....ऐसा मेरा अनुभव और मत है .
बस एक शर्त है वहाँ टिके रहने के लिए..........सतत सृजन ! क्योंकि वहाँ
केवल
अप्रकाशित रचनाएं ही स्वीकृत होती हैं . तो जल्दी कीजिये और बन जाइए
सदस्य obo के
जय ओ बी ओ
जय हिन्द !
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Wednesday, August 15, 2012
केन्द्रीय मन्त्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव
देशमुख
का निधन महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा शून्य लाएगा .वहीँ
केंद्र
में भी सत्तासीन कांग्रेस ने अपना एक लोकप्रिय और कद्दावर नेता
खो
दिया है .
परमपिता उनको परमशान्ति प्रदान करे
विनम्र श्रद्धांजलि !
जय हिन्द !
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देशमुख, निधन, अलबेला खत्री की श्रद्धांजलि |
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पूछते हैं आप तो
बताऊंगा ज़रूर बन्धु
आज़ादी के बाद जो है हाल मेरे देश में
वोटरों के पेट पीछे
पिचके चले हैं और
लीडरों के फूले- फले गाल मेरे देश में
नीला नीला गगन भी
लगता सियाह आज
धरा हुई शोणित से लाल मेरे देश में
गद्दारों की भीड़ बढती
ही चली जा रही है
खुद्दारों का पड़ा है अकाल मेरे देश में
जय हिन्द !
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Tuesday, August 14, 2012
सभी दोस्तों को
आज़ादी की सालगिरह अथवा स्वतंत्रता की वर्षगाँठ पर
तहेदिल से मुबारकबाद और आत्मिक बधाइयां
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
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बधाई, आज़ादी,स्वतन्त्रता दिवस,15 अगस्त, जश्ने जम्हूरियत,अलबेला खत्री की मुबारकबाद |
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Monday, August 13, 2012
प्रचंड दंड बाहु चंड योग निद्रा भैरवी
भुजंग केश कुण्डलाय कंठला मनोहरी
निकंद काम क्रोध दैत्य असुर कल मर्दनी
नमोस्तु मात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी
रक्त सिंह आसनी, सावधान शंकरी
कुठार खडग खप्र धार कर दलन महेश्वरी
निशुम्भ शुम्भ रक्तबीज दैत्य तेज भंजनी
नमोस्तु मात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी
जवाहर रत्न बेल केल सर्व कर्म लोलनी
व्याल भाल चन्द्रकेतु पुष्प माल मेखली
चंड मुंड गर्जनी सुनाद विन्ध्यवासिनी
नमोस्तु मात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी
गजेन्द्र चाल काल धूमकेतु चाल लोचनी
उदार नेत्र तिमिर नाश सुशोभ शेष शांकरी
अनादि सिद्ध साध लोक सप्तद्वीप विराजनी
नमोस्तु मात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी
शैल शिखर राजनी जोग जुगत कारिणी
चंड मुंड चूर कर सहस्त्र भुजा धारिणी
कराल केश भेष भूत अनन्त रूप दायिनी
नमोस्तु मात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी
कलोल लोल लोचनी आनन्द कंद दायिनी
हृदय कपाट खोलनी सुशेष शब्द भाषिणी
धर्म कर्म जन्म जात भक्ति मुक्ति दायिनी
नमोस्तु मात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी
अलोक लोक राजनी दिव्य देव वर दायिनी
त्रिलिक शोक हारिणी सत्य वाक्य बोलनी
आदि अन्त मध्य मात तेरो रूप सर्जनी
नमोस्तु मात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी
कुबेर वरुण इन्द्रादि सिद्ध साध रंचनी
अगम्य पंथ दर्श मात जन्म कष्ट हारिणी
श्री रामचंद्र शरण मात अमर पद दायिनी
नमोस्तु मात हिंगुलाज निर्मला निरंजनी
प्रस्तुति
-अलबेला खत्री
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Sunday, August 12, 2012
हरियाणा के लाल ने दिया ख़ूब परिणाम
सारे जग में कर दिया, हिन्दुस्तां का नाम
हिन्दुस्तां का नाम, रजत कुश्ती में पाया
लन्दन में जा भारत का दमख़म दिखलाया
देशवासियों ! आज झूम के ढोल बजाणा
ओलम्पिक में चमका भारत का हरियाणा
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
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प्यारे मित्रो नमस्कार
यह बताते हुए अतीव हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ
कि श्री लेखराज खत्री
और मेरे द्वारा निर्मित की जा रही ऑडियो / वीडियो
"जय माँ हिंगुलाज"
का काम बड़ी तेज़ी से हो रहा है . संगीत जगत में
सुप्रसिद्ध स्वर मन्दिर
के श्री पारस सोनी के अथक श्रम और सतत समर्पित
सहयोग से संगीत
का काम पूरा हो चुका है . अगले हफ्ते सभी भजनों को देश के
जाने माने
गायक - गायिकाओं द्वारा स्वरबद्ध कर लिया जाएगा और उसके बाद
जैसे ही वीडियो सेक्शन पूरा होगा, ये एलबम हिंगुलाज भक्तों के लिए
उपलब्ध करा दिया जाएगा .
मित्रो, यह एलबम मेरे लिए एक ख़ास महत्व रखता है . इसलिए आपकी
दुआ,
आपके स्नेह और आपके आशीर्वाद की मैं तहेदिल से अपेक्षा करता
हूँ .
जय माँ हिंगुलाज
-अलबेला खत्री
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हिन्दू मन्दिर, शक्ति पीठ |
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Monday, August 6, 2012
पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी
फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी
साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है
साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी
जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है
थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी
मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर
अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी
ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी
यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी
हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली
साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी
रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ?
आओ झूमो, नाचो, डोलो बाबाजी
'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी
-अलबेला खत्री
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Sunday, August 5, 2012
सारे रिश्ते देह के, मन का केवल यार
यारी जब से हो गई , जीवन है गुलज़ार
मन ने मन से कर लिया आजीवन अनुबन्ध
तेरी मेरी मित्रता स्नेहसिक्त सम्बन्ध
मित्र सरीखा कौन है, इस दुनिया में मर्द
बाँट सके जो दर्द को बन कर के हमदर्द
मीत बनो तो यूँ बनो, जैसे शिव और राम
इक दूजे का रात दिन, जपे निरन्तर नाम
मेरी हर शुभकामना, फले तुझे ऐ यार
यश धन बल आरोग्य से, दमके घर संसार
चाहे दुःख का रुदन हो, चाहे सुख के गीत
रहना मेरे साथ में, हर दम मेरे मीत
-अलबेला खत्री
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Friday, August 3, 2012
हुस्न है, मदिरायें है, संगीत है और पान है
बार में जब आ गया तो भाड़ में ईमान है
बाप को चश्मा नहीं और मन्दिरों को दान है
वो समझते हैं इसे, ये स्वर्ग का सोपान है
राज है पाखंडियों का, क़ैद में संविधान है
उन्नति के पथ पे यारो अपना हिन्दुस्तान है
टिड्डियों की भान्ति बढ़ते जा रहे हैं आदमी
खेत से ज़्यादा घरों में पैदा -ए - फ़स्लान है
नोट नकली, दूध नकली, नकली बिकती है दवा
प्यारे नखलिस्तां नहीं है, ये तो नकलिस्तान है
'अन्धा पीसे, कुत्ता खाये' को कहावत मत कहो
यह हमारे वक्त की सबसे सही पहचान है
क्यों न अय्याशी करे वह, लॉटरी जब लग गई
बाप उसका मर गया, वो बन गया धनवान है
लाज लुटती है तो लुट जाये, उन्हें चिन्ता नहीं
काम मिल जाये फ़िलिम में, बस यही अरमान है
हाय रे ! कुछ नोट ले कर, बूढ़े बाबुल ने कहा
शेख साहेब ध्यान से.... बच्ची मेरी नादान है
ठरकी रोगी सोचता है नर्स तो पट जाएगी
यह कोई ज्योतिष नहीं है,बस मेरा अनुमान है
उसने जूठन फेंक दी तो ये उठा कर खा गया
वो भी इक इन्सान था और ये भी इक इन्सान है
दर्द ये महंगाई का है, बाम क्या काम आएगा ?
इसकी खातिर उस गली में भांग की दूकान है
क्या कहूँ 'अलबेला' अब मैं ग़ज़ल का अनुभव मेरा
बहर में कहना कठिन है, बे-बहर आसान है
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
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नयी सुबह
नया उत्साह
नया साहस
नया लक्ष्य
नयी सफलता
नयी उपलब्धियों
और नयी सन्तुष्टि के लिए
नया नमस्कार और नयी शुभकामनायें
__आप सब का दिन शुभ एवं सफलता भरा हो
__अलबेला खत्री
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Wednesday, August 1, 2012
रक्षा-बन्धन के दोहे........
अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद
रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद
आजा बहना बाँध दे, लाल गुलाबी डोर
तिलक लगा कर पेश कर, मुँह में मीठा कोर
राखी के त्यौहार का, आया दिवस महान
इस उत्सव की देश में, सबसे आला शान
गदगद हैं माता-पिता, बच्चों में उत्साह
सम्बन्धों में स्नेह का, धागा बना गवाह
राखी बँधी कलाइयाँ, चमक रहीं चहुँ ओर
इस निर्मल आनन्द का, नहीं मिलेगा छोर
छोटी बहना बोलती, तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल
बहना तेरे प्यार का, बन्धन मेरी शान
नहीं भुलाऊंगा कभी, मैं राखी की आन
प्रतीक्षा पूरी हुई, निकली अनुपम भोर
बहनें ले कर चल पड़ी, तिलक,मिठाई,डोर
सभी भाइयों और सभी बहनों को अलबेला खत्री की ओर से
राखी के त्यौहार पर लाख लाख बधाइयां और अभिनन्दन !
-अलबेला खत्री
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