आम जनता की शुभकामना- 2010 के लिए
तर्ज़ : हम सब को नेक राह चलाना मेरे अल्लाह
फ़िल्म : दादा
दुनिया को स्वाइन फ्लू से बचाना मेरे अल्लाह
दिल्ली को लाइन ब्लू से बचाना मेरे अल्लाह
अल्लाह रहम करना
मौला तू करम करना
सन 2 0 1 0 की हैं शुभकामना यही
अन्तर्हृदय से आ रही है भावना यही
बंगाल में अब कोई नंदीग्राम हो ना पाय
बिहार में फिर कोसी कोहराम ना मचाय
महाराष्ट्र में फिर बर्ड फ़्लू बीमारी न फैले
उत्तर प्रदेश में नया निठारी ना मिले
गुज़रात में फिर गोधरा सी आग ना लगे
खादी पे व खाकी पे कोई दाग़ ना लगे
अल्लाह रहम करना
मौला तू करम करना
सब्ज़ी हो इतनी सस्ती के सब लोग खा सकें
मिलती रहे अब गैस कि रोटी पका सकें
विद्युत कटौती से न कहीं अन्धकार हो
नल में रोज़ाना सुबहो-शाम जल की धार हो
पम्पों पे अब पानी मिला पेट्रोल न मिले
किरयाणे की दुकानों पे कम तौल न मिले
घी, तेल, दूध, मावा में न हों मिलावटें
केला हमें मुफ़्त मिले एप्पल के साथ में
अल्लाह रहम करना
मौला तू करम करना
नींदें हमारी रातों की मच्छर न ले उड़ें
शैम्पू से नहायें तो सर के बाल न झड़ें
बस में या ट्रेन में हमारी जेब न कटे
पूरे बरस में दो से ज़्यादा पैन्ट न फटे
पूंजी बाज़ार में कोई दुर्घटना घट न जाए
सेन्सेक्स इतना न गिरे कि अर्थियां उठ जाएं
फिल्मों का सेन्सर बोर्ड कहीं ढीला हो न जाए
सिनेमा का सफ़ेद पर्दा कहीं नीला हो न जाए
अल्लाह रहम करना
मौला तू करम करना
अडवाणी और अटल में यों ही दोस्ती रहे
मायावती-मुलायम सिंह को कोसती रहे
मोहन की मुरली सोनिया बजाती चली जाये
ममता भी रेल हादसों पे ब्रेक अब लगाए
धोनी क्रिकेटर ही रहें, एक्टिंग में नहीं जाय
सहवाग और युवराज सबके छक्के छुड़ाय
तेन्दुलकर सन्यास न ले, खेलता ही जाय
अगला वर्ल्ड कप हमारा इण्डिया जीत जाय
अल्लाह रहम करना
मौला तू करम करना
सल्लू को कोई परमानेंट सल्ली मिल जाय
करीना को भी अब कहीं तसल्ली मिल जाय
किंग खान को अमेरिका में न अब कोई सताय
हिमेश कहीं से भी गाए, मीठे सुर लगाय
सानिया जो चाहे पहने, कोई उंगली न उठाय
ऐश्वर्या अभिषेक को जल्दी पिता बनाय
भारत की एकता को कोई नज़र न लगाए
पर एकता कपूर से मालिक हमें बचाए
अल्लाह रहम करना
मौला तू करम करना
अब ख़ुदकुशी कहीं कोई किसान न करे
नकली शराब पीने से इन्सान न मरे
बच्चों की जिद्द माँ-बाप को हैरान न करे
घरवाली रोज़-रोज़ परेशान न करे
थानों में पुलिस वाले ज़ुल्म ढाना छोड़ दें
श्री देवानंदजी फ़िलिम बनाना छोड़ दें
सब लोग पीयें, खायें, नाचें करें धमाल
हँसते-हँसाते गुज़रे अबके सबका पूरा साल
अल्लाह रहम करना
मौला तू करम करना
-अलबेला खत्री
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laughter ke phatke
by albela khatri & abhijeet sawant
new year special episod on STAR ONE
31 dec. 2009 10 P.M.
हँसते-हँसाते गुज़रे अबके सबका पूरा साल - - इस कव्वाली पर अलबेला खत्री और अभिजीत सावंत की जुगलबन्दी देखिये आज रात LAUGHTER KE PHATKE में
Labels: नववर्ष अभिनन्दन गीत शुभकामना गीत
लोग माथा पीट रहे हैं और तुम लिंग पकड़ कर बैठी हो
कहीं स्वाइन फ़्लू जैसा रोग है
कहीं आँगन में पसरा सोग है
कहीं ठण्ड के मारे हड्डियाँ चटक रही हैं
कहीं भूखी बुढ़िया भिक्षा को भटक रही हैं
लेकिन तुम्हें दिखाई नहीं देता
रुदन किसी का सुनाई नहीं देता
इसीलिए
शायद इसीलिए इतना ऐंठी हो !
लोग माथा पीट रहे हैं
और तुम लिंग पकड़ कर बैठी हो
तुम्हारे दिल में ज़रा भी दर्द नहीं है
लगता है
तुम्हारी ज़िन्दगी में कोई मर्द नहीं है
वर्ना ऐसे फालतू काम नहीं करती
भले लोगों को बदनाम नहीं करती
क्योंकि देह जिसकी असंतुष्ट होती है
सारी दुनिया उसके लिए दुष्ट होती है
न तो कोई ढंग का काम कर पाती है
न वह आराम से आराम कर पाती है
देखो ज़रा..........
जग हर्ष मना रहा है
नव वर्ष मना रहा है
और तुम ?
हाँ हाँ तुम !
अपने आपको
भाषा की ज़ंजीरों में जकड़ कर बैठी हो
दुनिया चाँद पर पहुँच गयी
और तुम यहीं लिंग पकड़ कर बैठी हो
लिंग ही पकड़ना था तो
किसी ज्योतिर्लिंग को पकड़ती
काशी में शिवलिंग को पकड़ती
मेवाड़ में एकलिंग को पकड़ती
तुम भी तर जाती
तुम्हारा कुनबा भी तर जाता
ज़हर जित्ता भरा है
तुम्हारे भीतर, वो मर जाता
लेकिन तुम्हारे ऐसे सौभाग्य कहाँ ?
सूर्पनखा के भाग्य में वैराग्य कहाँ ?
उसे तो नाक कटानी है
और लुटिया डुबानी है
हे आधुनिक सूर्पनखा !
पुलिंग और स्त्रीलिंग के झगड़े में क्या सार है ?
मेरी आँखों से देख ! इसके अलावा भी संसार है
मगर तुम जिद्दी प्राणी हो, सच पहचानोगी नहीं
अपने घमण्ड के आगे किसी को मानोगी नहीं
इसलिए
ऐंठी रहो !
ऐंठी रहो !
ऐंठी रहो !
हम तो अपने काम में लग रहे हैं
तुम लिंग पकड़ कर
बैठी रहो !
बैठी रहो !
बैठी रहो !
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Labels: हिन्दी कविता hindi poem
न्यू इयर इन लाफ़्टर के फटके
बधाई रचना सारस्वत और हमीदा अल्ताफ़ सिद्दिकी को !
प्यारे मित्रो !
धीरे - धीरे शुरू हुआ कारवां अब जोर पकड़ रहा है ।
19 और लेखकों ने अपनी स्क्रिप्ट्स भेजी हैं जिनमें से 2
स्वीकृत करके उनकी लेखिकाओं क्रमश:
श्रीमती रचना सारस्वत - बेंगलोर और मोहतरमा हमीदा
अल्ताफ़ सिद्दिकी - फ़िरोज़ाबाद को 2-2 हज़ार रूपये
भेज दिए गये हैं ।
बधाई रचना सारस्वत और हमीदा अल्ताफ़ सिद्दिकी को !
लिखिए, लिखिए और लिखिए..........
लेकिन नक़ल मार कर नहीं, मौलिक लिख कर भेजिए.....
- अलबेला खत्री
Labels: अपनी बात
सेक्सम शरणम गच्छामि !
सेक्स को लेकर
दुनिया कितनी उत्साहित रहती है,
इसका ज्वलंत उदाहरण है
वयोवृद्ध राजनेता और आन्ध्र प्रदेश के पूर्व राज्यपाल
नारायण दत्त तिवारी का ताज़ा प्रकरण
कोटा में पुल गिरने से कई लोग मर गये - कोई दुःख नहीं हुआ,
चीनी 40 रूपये किलो हो गयी - कोई फ़र्क नहीं पड़ा, बाल्को में
चिमनी गिरने से सैकड़ों मजदूर मर गये थे - हमें याद नहीं,
कसाब अभी तक ज़िन्दा है - हमें परवाह नहीं, लूट-पाट की
घटनाएँ बढती जा रही हैं - हम निश्चिन्त हैं लेकिन 86 वर्ष के
एक परिपक्व और सम्मानित व्यक्ति पर ज़रा सा आरोप लग
गया तो आग लग गयी हमारे मानस में ..................
सभी इस समाचार में मज़ा ढूंढ रहे हैं ।
मुझे कोई मतलब नहीं है तिवारी से और न ही मतलब है आरोप से,
मैं तो ये देख चुका हूँ कि लोग पान खाने भी अक्सर उसी दूकान पर
जाते हैं जिसके काउंटर में विभिन्न प्रकार के नग्न चित्रों को दर्शाने
वाले कण्डोम नज़र आते हैं ।
कुल मिलाके ज़माना सेक्स का दीवाना था, है और आगे भी रहेगा ।
इसलिए कुछ ख़ास आलेख और कुछ ख़ास किस्म के हास्य के लिए
अपनेराम ने भी एक नया ब्लॉग शुरू कर दिया
sexm sharanam gacchhami
ताकि अपने कुछ ख़ास पाठकों को उनकी खुराक दे सकूँ ।
वैसे ये ब्लॉग केवल वयस्कों के लिए ही होगा । तो जो स्वयं को
वयस्क समझते हों, वे मेरे इस नए ब्लॉग का आनन्द ले सकते हैं
-अलबेला खत्री
Labels: अपनी बात
प्रेम के फूल खिलाऊंगा, गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी इक इल्म है, सुपर डुपर फ़िल्म है
देखूँगा,दिखलाऊंगा ....गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी असहाय है, व्यय अधिक कम आय है
फिर भी काम चलाऊंगा,गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी इक कीर है, सुख व दु:ख ज़ंजीर है
तोड़ इसे उड़ जाऊँगा...गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी अभिषेक है, मन्दिर- मस्जिद एक हैं
सब पर शीश झुकाऊंगा,गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी शृंगार है, दोस्ती है ..प्यार है ...
प्रेम के फूल खिलाऊंगा,गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी अनमोल है, मेरा जो भी रोल है
हँसते हुए निभाऊंगा , गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी पहचान है, सब उसकी सन्तान हैं
बात यही दोहराऊंगा , गीत ख़ुशी के गाऊंगा
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by albela khatri & abhijeet sawant
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Labels: ग़ज़लनुमा like a ghazal
नेताओं में चरित्र नहीं हो सकता
जैसे चाइना
किसी का मित्र नहीं हो सकता
और धतूरे में
कभी इत्र नहीं हो सकता
जूता चाहे साधू का हो
कभी पवित्र नहीं हो सकता
वैसे ही हमारे नेताओं में
कभी चरित्र नहीं हो सकता
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Labels: हास्य-व्यंग्य कविता
रुला रुला दिया आज शंकर महादेवन ने...........
धन्य है संगीत और धन्य हैं संगीत के साधक !
संगीत की साधना, सुर की साधना और शब्द की साधना ईश्वर की
ही साधना और आराधना है जो ह्रदय के नितांत अनछुए भाग को
भी अपने ताप से पिघला देती है ..फिर आंखें तो चीज़ ही क्या है ?
अमूल म्यूजिक का महा मुकाबला कार्यक्रम के विजेता महारथी
शंकर महादेवन ने आज खुल कर गाया ....दिल से गाया और माँ
के लिए ऐसा गाया कि मैं बहता चला गया..बहता चला गया रौ में ...
पता ही नहीं चला कि कब पूरी कमीज़ भीग गयी आंसुओं की धार में...
आज बहुत दिन बाद रोया...खूब रोया और दिल से रोया मैं....
लेकिन रुलाने वाले को कोसूँगा नहीं ..बधाई दूंगा !
जय हो !
तुम्हारी जय हो शंकर महादेवन !
जय हो भारतीय संगीत !
जय हिन्द !
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Labels: अपनी बात
डॉ टी एस दराल जितने अच्छे चिकित्सक हैं उतने ही भले आदमी भी हैं
अपने लोकप्रिय चिट्ठाकार और प्रख्यात चिकित्सक
डॉ टी एस दराल जितने अच्छे चिकित्सक हैं उतने ही भले आदमी
भी हैं । ये सबके प्रति नेक भाव रखते हैं और सबके लिए एक ही भाव
रखते हैं । किसी से कभी कोई भेदभाव नहीं करते ।
इनके पास कोई भी मरीज़ जाये, सबका एक जैसा इलाज करते हैं ।
सिर्फ़ दो गोलियां ही देते हैं इस हिदायत के साथ कि एक तो रात को
सोते समय खा लेना और दूसरी सुबह उठ जाओ तो खा लेना
......हा हा हा हा हा हा
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Labels: चुटकुलाबाज़ी
इज़्ज़त की माँ की आँख ! इज़्ज़त को क्या घर में बैठके चाटने का है ? अपुन तो अपना इज़्ज़त हाथ में लिए घूमती हैं ...जितना चाहे ले लो....पर ब्रेक दे दो
ये कोई शीर्षक नहीं है किसी आलेख का
न ही ये सम्वाद है किसी अश्लील फ़िल्म का
ये कहना है उन अनगिनत जवान, ख़ूबसूरत, पढ़ी-लिखी और
अच्छे घरों की ऐसी कन्याओं का जिन्हें न रूपये-पैसे की कमी है
और न ही आगे - पीछे घूमने वाले बॉय फ्रेंड्स की .....
कमी है तो सिर्फ़ उस योग्यता की जो होनी चाहिए । लेकिन फ़िल्म
तारिकाओं के ग्लैमर से आकर्षित ये हज़ारों-हज़ार कन्याएं उस
योग्यता की कमी अपनी देह से पूरी करके आगे आने की होड़ में
इतनी बिन्दास हो गयी हैं कि फर्राटेदार इंग्लिश में गाली के बिना
तो बात ही नहीं करतीं ।
मैं इन पर आज इक बड़ा आलेख लिखने वाला था लेकिन आज का
दिन मैं "कभी ख़ुशी कभी ग़म" में व्यस्त हूँ । क्योंकि यही 25
दिसम्बर का दिन था सन 2001 का जब सुबह 7 बजे मेरे घर
में पुत्र आलोक का जन्म हुआ और मैंने ख़ुशी मनाई, साथ ही उसी
रात अपना वह सब खो दिया......जो पिछले बीस साल की मेहनत
से जुटाया था । भाग्य ने इक पुत्र की इतनी बड़ी कीमत वसूल की
कि मुझ जैसे पत्थर की भी कमर तोड़ कर रख दी । आज बेटा 8
साल का हो गया है और नुक्सान की भी काफी हद तक भरपाई
हो चुकी है लेकिन याद तो आ ही जाती है ....आखिर मैं भी इक
इन्सान हूँ काठ का पुतला तो नहीं । खैर.....................
इन कन्याओं के जूनून के बारे में जब आप जानेंगे तो मुझे यकीं है
कि आपको भी वही वेदना होगी जो कभी मुझे हुआ करती थी...
लोगों को भ्रम है कि नारी की हालत चिन्ताजनक है जब कि देखने
में ये आ रहा है कि नारी की अतिमहत्वाकांक्षा के कारण हालत
नर की चिन्ताजनक हो चुकी है............
जल्द ही आलेख आप तक पहुंचेगा ............
-अलबेला खत्री
Labels: नारी तू नारायणी
श्री रवि रतलामी की laughter ke phatke में एडल्ट कॉमेडी को लेकर चिन्ता और उस पर हास्य कवि अलबेला खत्री का निवेदन



| show details 9:20 AM (35 minutes ago) |
आपको बधाई। पर, एकाध एपीसोड मैंने इसके देखे और इसमें बहुत सारा मसाला घटिया एडल्ट कॉमेडी क्यों होता है? यदि हो सके तो इसे थोड़ा साफ सुथरा रूप दें, तो वाकई मजा आए.
आदरणीय रवि रतलामी जी !
नमस्कार ।
सबसे पहले तो आपको धन्यवाद कि आपने मेरे ब्लॉग पर आ कर
अपनी बात कही और मुझे बधाई दी ।
अब सवाल ये है कि "मसाला घटिया एडल्ट कॉमेडी क्यों होता है"
इस पर मेरा निवेदन ये है कि -
* चैनल वालों ने ये मान लिया है कि दर्शक मूर्ख हैं और वाहियात
प्रोग्राम ही पसन्द करते हैं । चूँकि लगभग सभी बड़े चैनल बहुराष्ट्रीय
कम्पनियां हैं जो भारत की पसन्द को महानगरीय जनता के रुझान से
ही आंकते हैं इसलिए भारतीय जीवन की मूल ग्राम्य और कस्बाई
जनता से इन्हें कोई सरोकार ही नहीं है ।
**हास्य के नाम पर हास्यास्पद और फूहड़ काम इसलिए हो रहा है कि
अच्छे लेखन का अकाल है । जब कुछ बेहतरीन लिखा ही नहीं जाएगा तो
अभिनीत कैसे होगा ?
***चैनल वाले ये भी मानते हैं कि अगर एडल्ट कॉमेडी नहीं की गयी तो
trp कम हो जायेगी क्योंकि जिस दर्शक को अश्लीलता देखनी है वह
वही देखेगा , यदि हम नहीं दिखाएँगे तो कोई और दिखायेगा या फिर
दर्शक इंग्लिश चैनल पर जाएगा ...............और कहीं ना कहीं ये सच
भी है कि आज का दर्शक सचमुच गन्दगी पसन्द करने लगा है ।
अगर मैं और किसी का नहीं, अपने ही आठों ब्लोग्स का उदाहरण दूँ तो
पाता हूँ कि उत्तम रचनाएँ पड़ी रह जाती हैं और सस्ता माल पाठक का
पूरा ध्यान खींच लेता है ।
statcounter से अभी- अभी मैंने copy किया है यह लेखा-जोखा कि
नेट पर लोग क्या ढूंढते हैं .........आप स्वयं देख लीजिये.............लोग
मेरे ब्लॉग पर क्या देखना और पढ़ना चाहते हैं :
ये कोई अच्छा संकेत नहीं है , लेकिन रविजी, मैं आपको यकीं
दिलाता हूँ कि laughter ke phatke हो या कोई और प्रोग्राम,
मैं वहां ऐसा कोई काम नहीं करूँगा जिससे मर्यादा भंग होती हो
ख़ुशी की बात ये भी है कि मेरे पहले ही एपिसोड को ज़बरदस्त
प्रशंसा मिली है और उसे अब तक का सबसे अच्छा एपिसोड
माना जा रहा है । इसका कारण सिर्फ़ इतना है कि उसकी स्क्रिप्ट
मैंने ही लिखी थी और मैंने ही प्रस्तुति भी की ....
आने वाली 31 तारीख के लिए जो विशेष एपिसोड मैंने अभिजीत
सावंत के साथ किया है वह और भी उम्दा और रोचक होने के साथ-
साथ सार्थक और साहित्यिक प्रस्तुति साबित होगा, ऐसा मेरा
दृढ विश्वास है
आपने कुछ एपिसोड देखे, आपको मज़ा नहीं आया । अब ज़रा मेरे
कहने से इक झलक यह भी देख लीजिये कि मैंने कैसा काम किया है :
मेरा प्रयास है कि साफ़-सुथरा काम हो और इस पर अमल के लिए
मैंने लेखकों से आलेख भी मांगे और लोगों ने भेजे भी.........अभी तक
6 स्क्रिप्ट स्वीकृत भी कर चुका हूँ.........
शेष तो मेरे हाथ में भी कुछ नहीं है ।
हाँ प्रयास जारी रहेगा ,,,,,,,,,,,,,,भरोसा रखिये.........आपका पुनः
साधुवाद ।
-अलबेला खत्री