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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

देख मेरी आँखों में भी बरसात आई है .........




काँटों की डगर पर,


चले जा तू बेख़बर,


रात-दिन चल, चलने में ही भलाई है




इक तेरी पलकों में


नहीं यार रिमझिम,


देख मेरी आँखों में भी बरसात आई है




तेरा ही तो साथी होगा,


तेरा ही तो भाई होगा


जिसने कि तुझ पर गोलियां चलाई है




बचना है जीना है तो


भाग इस नगरी से


शहर मेरे का हर आदमी कसाई है



# lauuhter ke phatke with albela khatri

17 dec. 10.00 P.M. on STAR ONE





7 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" December 16, 2009 at 12:44 PM  

शहर मेरे का हर आदमी कसाई है !
बहुत खूब ! लाजबाब खत्री साहब !

vandana gupta December 16, 2009 at 12:50 PM  

waah........ati uttam.

वन्दना अवस्थी दुबे December 16, 2009 at 1:03 PM  

बहुत सुन्दर अलबेला जी.

Dr. Zakir Ali Rajnish December 16, 2009 at 3:47 PM  

सच कहा आपने।
--------
छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?

M VERMA December 16, 2009 at 4:41 PM  

सुन्दर अभिव्यक्ति
इस नगरी से भागना ही होगा

नीरज गोस्वामी December 16, 2009 at 6:13 PM  

अच्छी रचना...
नीरज

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' December 16, 2009 at 9:07 PM  

कैसे जी पायेंगे कसाइयों के गाँव में?

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