काँटों की डगर पर,
चले जा तू बेख़बर,
रात-दिन चल, चलने में ही भलाई है
इक तेरी पलकों में
नहीं यार रिमझिम,
देख मेरी आँखों में भी बरसात आई है
तेरा ही तो साथी होगा,
तेरा ही तो भाई होगा
जिसने कि तुझ पर गोलियां चलाई है
बचना है जीना है तो
भाग इस नगरी से
शहर मेरे का हर आदमी कसाई है
# lauuhter ke phatke with albela khatri
17 dec. 10.00 P.M. on STAR ONE
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
7 comments:
शहर मेरे का हर आदमी कसाई है !
बहुत खूब ! लाजबाब खत्री साहब !
waah........ati uttam.
बहुत सुन्दर अलबेला जी.
सच कहा आपने।
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छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?
सुन्दर अभिव्यक्ति
इस नगरी से भागना ही होगा
अच्छी रचना...
नीरज
कैसे जी पायेंगे कसाइयों के गाँव में?
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