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Albela Khatri

सेक्सम शरणम गच्छामि !




सेक्स को लेकर

दुनिया कितनी उत्साहित रहती है,

इसका ज्वलंत उदाहरण है

वयोवृद्ध राजनेता और आन्ध्र प्रदेश के पूर्व राज्यपाल

नारायण दत्त तिवारी का ताज़ा प्रकरण



कोटा में पुल गिरने से कई लोग मर गये - कोई दुःख नहीं हुआ,

चीनी 40 रूपये किलो हो गयी - कोई फ़र्क नहीं पड़ा, बाल्को में

चिमनी गिरने से सैकड़ों मजदूर मर गये थे - हमें याद नहीं,

कसाब अभी तक ज़िन्दा है - हमें परवाह नहीं, लूट-पाट की

घटनाएँ बढती जा रही हैं - हम निश्चिन्त हैं लेकिन 86 वर्ष के

एक परिपक्व और सम्मानित व्यक्ति पर ज़रा सा आरोप लग

गया तो आग लग गयी हमारे मानस में ..................


सभी इस समाचार में मज़ा ढूंढ रहे हैं


मुझे कोई मतलब नहीं है तिवारी से और ही मतलब है आरोप से,

मैं तो ये देख चुका हूँ कि लोग पान खाने भी अक्सर उसी दूकान पर

जाते हैं जिसके काउंटर में विभिन्न प्रकार के नग्न चित्रों को दर्शाने

वाले कण्डोम नज़र आते हैं


कुल मिलाके ज़माना सेक्स का दीवाना था, है और आगे भी रहेगा

इसलिए कुछ ख़ास आलेख और कुछ ख़ास किस्म के हास्य के लिए

अपनेराम ने भी एक नया ब्लॉग शुरू कर दिया

sexm sharanam gacchhami

ताकि अपने कुछ ख़ास पाठकों को उनकी खुराक दे सकूँ

वैसे ये ब्लॉग केवल वयस्कों के लिए ही होगातो जो स्वयं को

वयस्क समझते हों, वे मेरे इस नए ब्लॉग का आनन्द ले सकते हैं


-अलबेला खत्री




6 comments:

Udan Tashtari December 30, 2009 at 12:23 AM  

हम तो अगले साल व्यस्क होंगे. :)

यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

आपका साधुवाद!!

नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

राज भाटिय़ा December 30, 2009 at 2:12 AM  

अरे बाबा क्या गजब कर रहे है? वेसे आप की बात से सहमत हुं कि सब मजा ले रहे है, किसी को फ़ुरसत नही की सचाई भी देखे

Randhir Singh Suman December 30, 2009 at 7:40 AM  

galat bat hai .nice

पी.सी.गोदियाल "परचेत" December 30, 2009 at 12:32 PM  

आप इन बातो को सोचने का मौका ही कब देते हो ?

परमजीत सिहँ बाली December 30, 2009 at 4:50 PM  

अलबेला जी, पता नही हम कब वयस्क होगें:))

SHIVLOK December 30, 2009 at 7:56 PM  

THOO-THOO KARENGE,

PAR MAJE BHII LOOTENGE

YAHII HAI JAMAANE KAA CHARITRA

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