Albelakhatri.com

Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

स्तर कहाँ बिस्तर के युग में शास्त्रीजी !

स्तर कहाँ बिस्तर के युग में शास्त्रीजी !


गुल कहाँ पत्थर के युग में शास्त्रीजी ! !



क्या तो खाए,क्या खिलाये कोई निर्धन !


सौ रुपये अरहर के युग में शास्त्रीजी ! !



कवि त्रिलोचन क्यों किसी को याद आए !


सचिन तेन्दुलकर के युग में शास्त्रीजी ! !



कौन है महफूज़ ? किसको डर नहीं है ?


कसाब--अज़हर के युग में शास्त्रीजी ! !



मैं तो 'अलबेला' फ़क़त इक मसखरा हूँ !


मंचीय लाफ़्टर के युग में शास्त्रीजी ! !




6 comments:

अवधिया चाचा December 10, 2009 at 3:58 PM  

आपने बहुत खूब कहा लाजवाब, हम यानि आपसे प्रेरणा प्राप्‍त शास्‍त्री जी को कहके आए 'सच्चा साहित्यकार कभी टिप्पणियों का मोहताज़ नहीं होता..' और अगर मोहताज है तो हमें बताए, उसकी इच्‍छा हम पूरी कर सकते हैं, हम एक सांस में 10 टिप्‍पणी कर देते हैं, दूसरी में 15 .... और अपने मुँह से क्‍या कहें सब जाने हैं

चटका 3 दे रहा था देते-देते 4 होगया

अवधिया चाचा
जो कभी अवध ना गया

अवधिया चाचा December 10, 2009 at 5:48 PM  

वाह जी वाह, आपने क्‍या खूब कहा, इधर उधर घुच्चियों में घूम के हम फिर आगए इधर, लेके चटका न.5, लगे रहो, खास इस ब्‍लाग पे लगे रहो, इशारा समझो 13 बनाम 40

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' December 10, 2009 at 6:21 PM  

बेमिसाल!
लाजवाब!

शरद कोकास December 10, 2009 at 11:51 PM  

त्रिलोचन शास्त्री जी की स्मृति को नमन ।

Sudhir (सुधीर) December 11, 2009 at 6:10 AM  

सच्ची बात

Pratik Maheshwari December 11, 2009 at 11:00 AM  

वाह क्या कहा है अलबेला जी..
"सच को व्यंग्य में कहना भी एक कला है शास्त्रीजी...
यह तो अलबेला के बाएँ हाथ का खेल है शास्त्रीजी"

Post a Comment

My Blog List

myfreecopyright.com registered & protected
CG Blog
www.hamarivani.com
Blog Widget by LinkWithin

Emil Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Followers

विजेट आपके ब्लॉग पर

Blog Archive