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Albela Khatri

आइये मित्रो ! स्वागत करें हम हिन्दी ब्लोगिंग की सर्वाधिक लवली लेडी बबली उर्फ़ उर्मि चक्रवर्ती का



दोस्तों
!


जिनकी छोटी छोटी रोमेन्टिक कविताओं पर हम सदैव खुल

कर प्रशंसात्मक टिप्पणियाँ करते आए हैं वे मुखर और बिन्दास

ब्लोगर बबली अर्थात उर्मि चक्रवर्ती इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में नहीं,

भारत में हैं



वे यहाँ लगभग दो महीने रहेंगी............फिलहाल पौण्डिचेरी में हैं,

वहाँ से कोलकाता जायेंगी......तत्पश्चात हम भी उनके लिए

मुलाकात का एक ऐसा अवसर बनायेंगे कि उनका अभिनन्दन भी

हो जाए और ब्लोगर्स की काव्य-संध्या भी हो जाए...........



मेरा मानना है और तहेदिल से मानना है कि इतनी प्यारी शख्सियत

यहाँ, अपने मुल्क में आई हुई है तो हम सभी को उनका मन से

मुखरित स्वागत करना चाहिए..............



तो देर किस बात की.... जल्दी से अपना स्वागतीय कमेन्ट लिख

भेजिए ताकि उन तक ये सन्देश पहुंचे कि हम अपने ब्लोगर

मेहमान का कितना गर्मजोशी से स्वागत करते हैं



और हाँ...........जिन्हें ये सन्देह हो कि बबली कोई महिला नहीं

बल्कि छद्म नाम से प्रोफाइल है उन्हें मैं विश्वास दिलाता हूँ कि वे

बाकायदा महिला हैं और वही हैं जिनका फोटो हम उनके ब्लोग्स

पर देखते आए हैं.........



परसों जब उनका फोन आया और जब बिना उनके बताये मैंने

उन्हें पहचान लिया तो वे बड़ी खुश हुईं..........आइये उन्हें थोड़ा

और खुश करें........शब्दों के स्वागतमाल पहनाकर..........




स्वागत है बबली जी आपका


आपके अपने देश,


अपने घर और अपने आँगन में......




-अलबेला खत्री


19 comments:

डॉ महेश सिन्हा December 14, 2009 at 8:57 PM  

सुस्वागतम

समय चक्र December 14, 2009 at 9:34 PM  

भारत की भूमि पर बबली जी का हार्दिक स्वागत है ...
महेंद्र मिश्र
जबलपुर
09926382551

Himanshu Pandey December 14, 2009 at 10:01 PM  

स्वागत है ! हम हर्षित हैं ।

राजीव तनेजा December 14, 2009 at 10:05 PM  

बबली जी...तहे दिल से आपका स्वागत है..

अवधिया चाचा December 14, 2009 at 11:30 PM  

बबली जी का स्‍वागत है, उनका अवध आना हो तो हमें सूचना ज़रूर दें, अब तो दो ही इच्‍छा हैं एक बबली जी को देखना (सुनना या पढना) दूसरा अवध को देखना,

अवधिया चाचा
जो कभी अवध न गया

चटका न. 4 हमने नहीं दिया विश्‍वास करना

संजय भास्‍कर December 15, 2009 at 12:08 AM  

welcome to india babli ji

Udan Tashtari December 15, 2009 at 2:50 AM  

स्वागत बबली जी का और अनेक शुभकामनाएँ.

Gyan Darpan December 15, 2009 at 6:41 AM  

बबली जी का हार्दिक स्वागत है

अजय कुमार झा December 15, 2009 at 7:38 AM  

स्वागत है बबली जी ,
उम्मीद है कि अपने देश से वे फ़िर कुछ अनमोल यादें लिए हुए जाएंगी ...

अजय कुमार December 15, 2009 at 8:25 AM  

अपने देश , अपने परिवेश और अपनों के बीच आपके अपने आपका तहेदिल से स्वागत करते हैं ।

Mohammed Umar Kairanvi December 15, 2009 at 11:57 AM  

अलबेला जी मैं संकट मैं हूँ स्‍वागत के लिए मैं उन्‍हें पहचानूंगा कैसे, या उनकी यही पहचान काफी है कि सबसे सुन्‍दर हिन्‍दी ब्‍लागर हैं, मैं अबतक आपके द्वारा नारियों से परिचित होता रहा हूँ, माशाअल्‍लाह सबसे यादगार मामला रहा, कल ही मैंने रचना जी को आँटी कहा था लेकिन बात भारतीय संस्‍क़ति की आगई तो फिर रचना खाला हो गईं, बबली जी को न पहचानने पर उन्‍हें बताईयेगा नया ब्‍लागर है इसी साल तो हिन्‍दी ब्‍लागिंग मैं आया है इतना नया है अभी तो इसे बलागवाणी डंडा भी नही मिला परन्‍तु घुच्‍ची गीली करने वाली बात उन्‍हें न बताईयेगा

Ghost Buster December 15, 2009 at 1:31 PM  

ढेरों बधाइयां और शुभकामनाएं, सभी बंटियों को.

RAJ SINH December 15, 2009 at 2:17 PM  

अलबेला भाई हमें न भूल जाना . फ़िलहाल मैं भी भारत मुम्बई में हूँ . इधर उनका आना हो तो खबर देना और हमें भी शामिल करना .
और आप तो अलबेले हो ही .rajsinhasan@gmail.com

Dr. Zakir Ali Rajnish December 15, 2009 at 2:22 PM  

बबली जी का भारत में स्वागत है।
------------------
छोटी सी गल्ती, जो बड़े-बड़े ब्लॉगर करते हैं।
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।

Pankaj Parashar December 15, 2009 at 2:43 PM  

भारत में हम उनको खुशआमदीद कहते हैं। क्या वे दिल्ली तशरीफ लाएंगी?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' December 15, 2009 at 7:19 PM  

स्वागतम कर रहा आपका हर सुमन!
आप आये हैं घर खिल उठा है चमन!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' December 15, 2009 at 7:24 PM  

दिल के तारों से गूँथे सुमन हार कुछ,
मंजु-माला नही, तुच्छ उपहार कुछ,
राह तकते तुम्हारी, वतन के सुजन!
आप आये चहाँ खिल उठा है चमन!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' December 15, 2009 at 8:23 PM  

स्वागतम कर रहा आपका हर सुमन!
आप आये हैं घर, खिल उठा है चमन!!

दिल के तारों ने गूँथे सुमन हार कुछ,
मंजु-माला नही, तुच्छ उपहार कुछ,
राह तकते तुम्हारी, वतन के सुजन!
आप आये हैं घर, खिल उठा है चमन!!

आपने पाई नेमत हैं तप-जाप से,
धन्य भारत का मन हो गया आपसे,
आपके साथ आया सुगन्धित पवन।
आप आये हैं घर खिल उठा है चमन!!

प्राण बसते तुम्हारे, भरत धाम मे,
देश की गन्ध लाई, तुम्हे गाम मे,
स्वागतम-स्वागतम, स्वागतम-स्वागतम!!
आप आये हैं घर खिल उठा है चमन!!

Arvind Mishra December 15, 2009 at 8:49 PM  

सुस्वागतम !

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