क्रोध करने का मतलब है
आत्मशान्ति खोना,
अपने ऊपर नियन्त्रण खोना,
विचार की स्पष्टता खोना,
परिस्थिति पर पकड़ खोना
और अक्सर
अपने निकटवर्ती लोगों का मान खोना........
- टीकमचंद वारडे
www.albelakhatri.com
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
-
शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
16 comments:
सुन्दर रचना
बिलकुल सटीक....
सुविचार
सुन्दर
अभी थोड़ी देर में एक आचार्य जी इसी विषय पर आपको भी टिपण्णी देने वाले है, चिंता मत करो !
bahut din baad sir...badhiya baat kahi
बेहतरीन! बिलकुल सही. इसी बात पर पसंद का एक चटका भी.
सही कहा
इस पोस्ट पर तो चटका लगाना ही पड़ेगा
क्रोध तो आ जाता है मगर झट से ठण्डा पानी पी लेते हैं!
अमृत वचन !
सटीक ...
सत्य वचन महाराज !
सत्य वचन,
श्री श्री श्री १००८ अलबेलानंद जी महाराज कि जय! (बुरा मत मानियेगा)
बहुत ही सुन्दर विचार के साथ सठिक बात लिखा है आपने! क्रोध आदमी की अच्छाई को बुराई में बदल देता है और क्रोध करना सेहत के लिए हानिकारक है तथा दूसरों पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है! आदमी को हमेशा हँसते हुए और सबके साथ सुन्दर व्यव्हार के साथ पेश आना चाहिए!
इस पोस्ट पर तो चटका लगाना ही पड़ेगा
हां जिस तरह से आपकी बताई बातें बिल्कुल सत्य हैं , उसी तरह से ये भी सत्य ही है कि क्रोध का आना एक स्वाभाविक मानवीय गुण/दुर्गुण है ।
ध्यान रखेंगें जी क्रोध से दूर रहें
प्रेरणा के लिये धन्यवाद
प्रणाम
Post a Comment