आदमी शक्तिशाली हो,
लेकिन अपनी शक्ति न दिखाए
तो लोग उसका तिरस्कार ही करते हैं ।
आग जब तक लकड़ी में छिपी रहती है
तब तक कोई भी उसे लांघ जाता है,
मगर जलती हुई को नहीं ।
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या तो जैसा अपने को बाहर से दिखाते हो
वैसा ही भीतर से बनो,
या जैसे भीतर हो
वैसे ही बाहर से दिखाओ ।
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जो नम्रतापूर्वक
किसी गुमराह को रास्ता बताता है,
उसके समान है
जो अपने चिराग से
दूसरे का चिराग रोशन करता है ।
- अज्ञात महापुरूष
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
अलबेला जी होना भी यही चाहिए मनुष्य को दो चेहरों के साथ नही रहना चाहिए जैसा है वैसा ही दिखना चाहिए..बहुत ही सुंदर वचन...प्रस्तुति के लिए आभार
manushya ko maulikta nahi khona chahiye
बहुत अच्छे सुविचार....
बहुत बढ़िया बड़े भाई ! लगे रहिये !
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