ख़ुदा को पाने का रास्ता
सिवाय ख़ल्क की यानी दूसरों की ख़िदमत के
और कोई नहीं है ।
माला लेकर 'अल्लाह अल्लाह ' रटने से,
चटाई बिछा कर नमाज़ पढ़ने से
या गुदड़ी ओढ़ लेने से अल्लाह नहीं मिलता ।
- एक सूफ़ी सन्त
अपने रब को याद रखो
और सब चीजों से बे-लगाव हो कर
उसी की तरफ लगे रहो ।
- पवित्र क़ुरान
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
15 comments:
सार बात कह डाली आपने..
बिलकुल सही कहा आपने . मैं तुम्हें वसीयत करता हूं कि अल्लाह से डरते रहना, उस के अहकाम की पाबन्दी करना, उस के ज़िक्र से कल्ब को आबाद रखना, और उसी की रस्सी को मज़बूती से तामे रहना। तुम्हारे और अल्लाह के दरमियान जो रिश्ता है उस से ज़ियादा मज़बूत रिश्ता और हो भी क्या सकता है ? बशर्ते की मज़बूती से उसे थामे रहो। वअज़ व पन्द से दिल को ज़िन्दा रखना, और ज़हद से उस की ख़्वाहिशों को मुर्दा। यक़ीन से उसे सहारा देना, और हुकूमत से उसे पुर नूर बनाना। मौत की याद से उसे क़ाबू में करना, फ़ना के इक़रार पर उसे ठहराना। दुनिया के हादिसे उस के सामने लाना, गर्दिशे रोज़गार से उसे ड़राना। गुज़रे हुओं के वाक़िआत उस के सामने रखना। तुम्हारे पहले वालों पर जो बीती है उसे याद दिलाना। उन के घरों और खण्डरों में चलना फिरना, और देखना कि उन्हों ने क्या कुछ किया, कहां से कूच किया, कहां उतरे, और कहां ठगरे हैं। देखोगे तो तुम्हें साफ़ नज़र आयेगा कि वह दोस्तों से मुंह मोड कर चल दिये हैं, और पर्देस के घर में जा कर उतरे हैं, और वह वक्त दूस नहीं कि तुम्हारा शुमार भी उन में होने लगे। लिहाज़ा अपनी अस्ल मंज़िल का इन्तिज़ाम करो।
http://vedquran.blogspot.com/2010/06/iman-and-wisdom.html
तबाही है उन नमाज़ियों के लिए जो दिखावा करते हैं और लोगों को मांगने पर बरतने की छोटी मोटी चीज़ें तक नहीं देते . कुरान पाक, सुरह अल्माऊन
Jara bach ke bhai jann kanhi koi bewakoof fatwa na jari kar de.
बिलकुल , पाहन पूजे हरी मिले तो मैं पूजू पहाड़ , आस्था अपनी जगह है, और ढकोसलेबाजी अपनी जगह !
सटीक उक्ति.....फिर भी लोग नहीं समझते
हम राम कहें वो रहीम कहें दोनों की गरज अल्लाह से है!
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मगर मुख में राम बगल में छुरी होना
भगवान को गाली देने जैसा ही है!
अच्छा लेख और इसी बात पर हमारी तरफ से एक पसंद का चटका भी.
बिलकुल सही कहा आपने. इन्साफ के दिन, अल्लाह अपने हक माफ़ कर रहा होगा (आखिर उससे बढ़ कर माफ़ करने वाला कौन हो सकता है) लेकिन इंसानों के दुसरे इंसानों पर हक को अगर किसी ने अता नहीं किया होगा, तो उसके बदले में अपनी नेकिया देनी होगी. पडोसी का हक है कि अगर किसी ने पेट भर खाया और पडोसी भूखा रह गया तो यह उसने ज़ुल्म किया और इन्साफ के दिन वह जालिमों में उठाया जाएगा.
सटीक उक्ति.....फिर भी लोग नहीं समझते......
आदाब अर्ज है अलबेला जी,
क्या हाल है? सब खैरियत है?
काफ़ी दिनों के बाद नेट पर आना हुआ है.....आते ही आपका लेख मिल गया....आपकी बात बिल्कुल सही है और इस बात विस्तार से शाहनवाज़ भाई और अनवर भाई ने बता दिया है तो मेरे बताने के लिये कुछ खास नही बचा है...
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"हमारा हिन्दुस्तान"
"इस्लाम और कुरआन"
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nice
बहुत सही कहा आपने खत्री जी!!!
@ब्लॉगर बंधू ध्यान दें, अलबेला खत्री की लगातार सच्ची राह की वह पोस्टें !!! अवश्य पढ़े!!! उम्मीद है कि भविष्य में भी ज़रूर इस तरह की पोस्ट मिलेंगी !!!
@अलबेला जी आप लखनऊ में आये, मैं वहीँ पास में था मगर बहुत ज़रूरी काम से मशरूफ था मुलाक़ात न हो सकी !!! इंशा अल्लाह आपसे जल्द मुलाक़ात करूँगा !!!
आपसे एक गुजारिश है कि आप अगर आज्ञा दें तो आपका साक्षात्कार लखनऊ ब्लॉगर्स असोशियेशन के बैनर तले ले लिया जाए!!!???
आपका चेला
सलीम ख़ान
9838659380
@ प्यारे भाई सलीम खान !
जय हिन्द !
आपकी टिप्पणी पढ़ कर अच्छा लगा........आप जब भी चाहें, जैसे भी चाहें, साक्षात्कार कर सकते हैं
धन्यवाद,
-अलबेला खत्री
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