आज तुम ढीली पड़ गई हो रचना !
इसलिए पीली पड़ गई हो रचना !
लेकिन
वो भी दिन थे ........
जब तुम भी जवान हुआ करती थी
तुम !
हाँ हाँ तुम !
तुम भी जब जवान हुआ करती थी
तो जोश का तूफ़ान हुआ करती थी
लोग
रात-रात भर आनन्द लूटते थे
सीटी बजाते थे, ताली पीटते थे
मैं जब तुम्हें गाता था
तो मज़ा आ जाता था
लेकिन प्रिये ! अब मैं तुम्हारी तरफ नहीं झांकता
क्योंकि आज का श्रोता तेरी कीमत नहीं आंकता
अब तुम जैसी हसीन ग़ज़लों का दौर कहाँ ?
अब तो मंचों पर टोटके चलते हैं
वही सुना रहा हूँ
जैसे तैसे अपनी
दुकान चला रहा हूँ
ऐसा कह कर
मैंने अपनी एक पुरानी ग़ज़ल को चूमा
और सहेज कर रख दिया ऐसे
क़ब्र में
कोई मुर्दा रखा जाता है जैसे
जाने ऐसी और कितनी कोमल रचनाओं को
आलमारी की कब्र में दफ़नाना पड़ेगा
मुझ जैसे रचनाकार को कब तक यों ही
माइक पर चीखना - चिल्लाना पड़ेगा
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hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
11 comments:
ohh ! ati-vedna me likhi gayee RACHNA!!!!!
bahut badiya baat ki aapne
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
dard hi dard.....
kunwar ji,
आईये जानें … सफ़लता का मूल मंत्र।
आचार्य जी
अरे खत्री साहब ! आज तो आपकी दुकान पे चार चाँद लग गए,ज़रा बाहर ब्लोग्बानी वाली गली में तो आकर देखो !
ek kavi ka dard acchhe se ukera hai aapne. sadhuwad.
@ अरे गोदियाल साहेब ये तो कुछ भी नहीं, जो आप को दिख रहा है वो तो केवल हरम के हिजड़ों का जूलूस है, असली चाँद देखने हों तो मेरे dashboard पर मिलेंगे जो मैंने सहेज कर रखे हैं, प्रकाशित नहीं किये......
लोगों ने ( जिन बेनामियों के माता पिता अज्ञात हैं ) ऐसे ऐसे प्रयोग किये हैं गालियों के कि मन करता है ताबीज बनाकर अपनी तमाम रचनाओं यानी कविताओं को पहना दूँ........
कुल मिला कर stat counter बुलन्दियों पर है...हा हा हा हा .बधाई हिन्दी ब्लॉग जगत को इतने पाठक मिलने के लिए !
सारे चांद रौशन होकर चमक रहे हैं।
अपनी आभा चहुं ओर बिखेर रहे हैं।
:):)
अच्छा है भाई ....
वाह क्या पोल खोली है?
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दिल की जुबाम होठों पर आ ही गई!
ek kavi ka dard bade kareene se dikhaya sir...par itne napasand ke chatke kyun...
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