क्यों री रचना ?
क्या हुआ ?
कहाँ गये तुम्हारे सब नापसंदीलाल ?
ब्लोगवाणी के साये में ही जी रहे थे क्या ?
ब्लोगवाणी के अभाव में मर गये क्या सब ?
बस ?
इतना ही पोदीना था क्या ?
_______________हा हा हा हा
सात दिन पहले जैसी छोड़ गया था .......वैसी ही मिली
बिना किसी नापसंद के साथ
एक दम कोरी.............निष्कलंक !
चलो अच्छा हुआ
अपनी रचना को बेदाग़ देखकर ख़ुशी हुई
अब अन्य रचनाएं भी कदाचित ऐसी ही मिला करेंगी..............
नापसंदियों का हुआ क्षय
गूंजी रचनाकारों की जय
जय हिन्दी
जय हिन्द !
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hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
8 comments:
बहुत बढ़िया और करारा व्यंग्य!
क्या बात है बहुत खूब भाई...
jay ho guru
jay jay ho
ओम शांति शांति शांति !!!
बहुत सुंदर जी धन्यवा्द
:-)
बेचारे नापसन्दीलाल, बहुत बुरा हुआ उनके लिये
व्यंग अच्छा है ..पर इसमें बेचारी ब्लोगवाणी का क्या कसूर ? यह तो लोगों कि मानसिकता है जो गलत प्रयोग करते हैं .
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