धर्म के नाम पे रक्त बहाना मेरे बस की बात नहीं
अपने घर में आग लगाना मेरे बस की बात नहीं
पौड़ी-आयत-ऋचा-वर्ड-लोगास-ताओ सब प्रिय मुझको
किसी एक को श्रेष्ठ बताना मेरे बस की बात नहीं
यों तो मैं भी स्वार्थ के वश मैला हो जाया करता हूँ
किन्तु वतन पर दाग़ लगाना मेरे वश की बात नहीं
बेशक मुझको मदिरा पीने में संकोच नहीं लेकिन
पितृपक्ष में पैग लगाना मेरे बस की बात नहीं
कवि-सम्मेलन के मंचों पर गीत सुनाया करता हूँ
सड़े-गले चुटकुले सुनाना मेरे बस की बात नहीं
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
14 comments:
"यों तो मैं भी स्वार्थ के वश मैला हो जाया करता हूँ
किन्तु वतन पर दाग़ लगाना मेरे वश की बात नहीं"
बहुत खूब!
आप की रचना वाकई काबिल-ए-तारीफ है अलबेला जी!
झूठी जय-जय-कार करना...मेरे बस की बात नहीं....
इसीलिए आप हम सबको प्रिय हैं जी..
यों तो मैं भी स्वार्थ के वश मैला हो जाया करता हूँ
किन्तु वतन पर दाग़ लगाना मेरे वश की बात नहीं
....bahut sahi..
लाजवाब!
ग़ज़ल बनाना तो जरूर आपके बस की बात लगती है जनाब, लिखते रहिये ..
पौड़ी-आयत-ऋचा-वर्ड-लोगास-ताओ सब प्रिय मुझको
किसी एक को श्रेष्ठ बताना मेरे बस की बात नहीं
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बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं!
अलबेला जी बहुत खूबसूरत गज़ल । एक एक शेर बढिया पर ये सबसे ज्यादा मन को भा गया ।
यों तो मैं भी स्वार्थ के वश मैला हो जाया करता हूँ
किन्तु वतन पर दाग़ लगाना मेरे वश की बात नहीं
बेहतरीन...
आज तो आपको प्यार करने का जी करता है अलबेला भाई ! दिल से निकली हुई यह रचना बेहतरीन कृतियों में से एक मानी जानी चाहिए !! हार्दिक शुभकामनायें !!
is baar to chaa gaye albela ji
waah waah kya khoob likha hai
sundar bhaav darshati rachna ..
badhayi kabool kare..
बेशक मुझको मदिरा पीने में संकोच नहीं लेकिन
पितृपक्ष में पैग लगाना मेरे बस की बात नहीं
मेरे पितृ तो काफी शौक़ीन मिजाज थे इसलिए बुरा नहीं मानते :)
अच्छी पंक्तिया लिखी है ........
यहाँ भी आये और अपनी बात कहे :-
क्यों बाँट रहे है ये छोटे शब्द समाज को ...?
सुन्दर अभिव्यक्ति ..
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