फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, नव वर्षा के समय बादल झुक जाते
हैं और सम्पत्ति के समय सज्जन विनम्र हो जाते हैं - परोपकारियों का
स्वभाव ही ऐसा होता है
-कालिदास
मनुष्य ख़ाक से पैदा हुआ है, यदि वह ख़ाकसार ( नम्र ) नहीं है
तो वह मनुष्य नहीं है
-अज्ञात महापुरूष
धर्म में पहली चीज़ क्या है ? धर्म में पहली, दूसरी और तीसरी चीज़ -
नहीं, सबकुछ विनम्रता है
-ऑगस्टाइन
नम्रता माने लचीलापन, लचीलेपन में तनने की भी शक्ति है,
जीतने की कला है और शौर्य की पराकाष्ठा है
-विनोबा भावे
अगर हमें स्वर्ग जाना है तो नम्र होना ही पड़ेगा ; क्योंकि वहां
छतें ऊँची पर दरवाज़ा नीचा है
-हैरिक
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
सुंदर मननीय सुक्तियां।
आभार, अलबेला जी
चाणक्य मतानुसार तो सरलता और सीधापन भी एक सीमा तक हो तो ही अच्छा. जंगल में सबसे पहले सीधे वृक्षों को ही काटा जाता है, टेढो को कोई नहीं छूता !
खैर सबके अपने अपने अनुभव है, अपनी जगह सभी ठीक है. सूत्र तो सभी विचारणीय है.
ब्बहुत सुंदर जी.
जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें।
bhdhaiiiiiiiiiii sundr lekh ke pahle bad me janmshtmi ki
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