चलो धुंधलका हटा
एक बड़ा काम पटा
असमंजस का कुहासा तंग कर रहा था
वैमनस्यता का सियाह रंग भर रहा था
आज आकाश कुछ और खुल गया है, यों लगता है
सबको अपना इन्साफ़ मिल गया है, यों लगता है
मन मेरा भी ख़ुश है, शुक्रगुज़ार है
फ़ैसले का स्वागत बार - बार है
निर्णय भी हुआ और न्याय भी.............
ये शुभ संकेत हैं
शेष हम सचेत हैं
सम्मान हो इस फ़ैसले का तो हमारी शान है
क्योंकि ये अब एकता का हिन्दोस्तान है
अब ज़रूरत ही नहीं है गाँठ के उलझाव की
हाथ में जब आ गई हैं कुंजियाँ सुलझाव की
अब अमन के देश को सौहार्द्र की शक्ति मिले
अब वतन को मज़हबी षड्यंत्रों से मुक्ति मिले
हैं यही शुभकामनायें
हैं यही शुभकामनायें
हैं यही शुभकामनायें
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
13 comments:
आपकी भावनाओं का स्वागत है
आपकी ये सार्थक रचना बहुत अच्छी लगी.
आपकी रचना में कई बातें बहुत ही नेक इरादों वाली और भावपूर्ण हैं.
आभार .....
अब अमन के देश को सौहार्द्र की शक्ति मिले
अब वतन को मज़हबी षड्यंत्रों से मुक्ति मिले
न किसी की जीत हुई न किसी की हार ..अफवाओं पर मत जाईये ..यहाँ ओर्जिनल कॉपी पढ़िए
वक़्त जैसे भी, जो भी आता रहे,
आदमी आदमियत से न जाता रहे ..
सुन्दर सामायिक रचना,
लिखते रहिये .....
दिल है कदमो पर किसी के सर झुका हो या न हो
बंदगी तो अपनी फितरत है, खुदा हो या न हो !!
सार्थक रचना...
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
कवि की कविता मात्र में ऊंची उड़ान नहीं होनी चाहिए। उसके जीवन में भी काव्यधारा प्रवाहित होनी चाहिए। आपने एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का परिचय दिया है।
बढ़िया प्रस्तुति .......
अच्छी पंक्तिया लिखी है ........
इसे पढ़े और अपने विचार दे :-
क्यों बना रहे है नकली लोग समाज को फ्रोड ?.
बरसों पुराने इस विवादित मुद्दे पर माननीय हाई कोर्ट का फैसला आज आ गया...इस फैसले को अगर सही ढंग से मान लिया जाए तो इससे बढ़िया और कोई बात नहीं हो सकती लेकिन इसके विरोध में अभी से इससे जुड़े पक्षों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जाने की बाते हो रही हैं...ऐसी स्तिथि देश के लिए अच्छी नहीं...
दरअसल कुछ ताकतें ऐसी हैं जो ये कभी नहीं चाहेंगे कि कभी भी इस मुद्दे का हल हो ...
बढ़िया एवं प्रभाशाली रचना
आमीन... कविता सुन्दर बन पड़ी है सर..
कोई हास्य कवि जब गंभीर मुद्दे पर लिखता हे तो वह रचना और ज्यादा उत्तम होती है...आपकी इस रचना ने यह साबित कर दिया है ...शुभकामनाएं
बहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति।
दो अक्टूबर को जन्मे,
दो भारत भाग्य विधाता।
लालबहादुर-गांधी जी से,
था जन-गण का नाता।।
इनके चरणों में मैं,
श्रद्धा से हूँ शीश झुकाता।।
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