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ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

सम्भ्रांत पाठक क्षमा करें, यह कोई आम पोस्ट नहीं है बल्कि आवेश में हरामखोर बेनामी के नाम लिखी गई एक लम्बी गाली है




परम
अपमाननीय बेनामी जी !
#@$%^&!`(+) =
हरामी जी !

अगर आप इस गलतफ़हमी में हैं कि मैं आपको पहचान नहीं

सकता तो ये बात ज़ेहन से निकाल दीजियेक्योंकि ताड़ने

वाले क़यामत की नज़र रखते हैंमैं केवल आपको बल्कि

आपके बॉस को भी जानता हूँ जिसको ख़ुश करने के लिए आप

इस तरह की ओछी हरकतें करते हैं



क्यों करते हो इतनी मशक्कत ? क्यों रात को दो बजे छुपते छुपाते

आते हो मेरे ब्लॉग पर और टिप्पणी के रूप में गन्दगी कर जाते हो ?



बनारस से सूरत कोई दूर तो नहीं है..... जाओ एक दिन, या मुझे

बुलालो ! कर लेते हैं बात, जो भाषा तुम समझते हो उस भाषा में कर

लेते हैं, जितनी देर चाहो उतनी देर कर लेते हैं . यों भद्दी टिप्पणियों से

क्या मिलने वाला है आपको ?



पहले तो आप अपनी मादरजात भाषा में टिपियाते हो फिर मैंने

आपकी टिप्पणी प्रकाशित नहीं की इसलिए आप मुझे फट्टू बताते

हो ..........ये क्या बात हुई भला ? अरे भाई, ब्लॉग मेरा है, मुझे इसका

पूरा अधिकार है कि टिप्पणी छापूँ या छापूँ - आप किस अधिकार

से मुझे फट्टू बताते हैं ?



मैं तो जो लिखता हूँ डंके की चोट लिखता हूँ और अपने नाम से

लिखता हूँ - फोटो लगा लगा कर लिखता हूँ ....जबकि तुममे

अपना नाम बताने की हिम्मत है शक्ल दिखाने की - तब बताओ

-
तुम ही बताओ फट्टू कौन है ?



मेहरबानी करके भविष्य में मेरे ब्लॉग की तरफ रुख मत करना

अगर करो भी तो टीका-टिप्पणी मत करना क्योंकि मेरे ब्लॉग पर

टिप्पणी करने के लिए कर्ता को एक बाप की औलाद होना अनिवार्य

हैघर में पता कर लेना और टेस्ट-वेस्ट भी करा लेना जहाँ तक

मेरा ख्याल है तुम बहुत सी संस्कृतियों का संगम निकलोगे



सॉरी ! आपकी किस्मत में छेद है - रुकावट के लिए खेद है


Albela Khatri, Online Talent Serach, Hindi Kavi




19 comments:

डा० अमर कुमार October 27, 2010 at 10:59 AM  


यह फट्टू क्या होता है, अलबेला जी ?
आजकल बड़ा नाम सुना है, कोनो नवा ज़िनावर है, क्या ?

डा० अमर कुमार October 27, 2010 at 11:02 AM  


इसकी नहीं होती, भाई !
पहले तो टिप्पणी धर लिहौ, अब बताते हो ऍप्रूवल ?
दिनदहाड़े वाली टिप्पणियाँ ऍलाउड होनी चाहिये !

Satish Saxena October 27, 2010 at 12:05 PM  

कमाल का लेख है सारे अलंकारों से युक्त यह लेख सुन्दर है , मोहक है , विशेषण युक्त है !
एक ही शब्द आपत्तिजनक है वह है हरामी मगर उसमें जी लगाकर रोचक और सम्मानित बना दिया गया है ! कलाकार हो यार ...
अरे रे रे ...कलाकार तो हो ही , यह बेनामी बेचारे को पता नहीं था जो इतनी अच्छी टिप्पणी दे गया :-)))
बेनामी को इतना ढेर सारा सम्मान दिया फिर भी टिप्पणी नहीं बताई
बहुत जुलुम है सरदार ..
ढेर सारी संस्क्रतियों का संगम क्या होता है ???

खैर यह है कौन जो तुमसे मज़ाक कर गया अलबेला गुरु ??
आज आनंद आ गया आपकी पोस्ट पर ! आभार

Aruna Kapoor October 27, 2010 at 12:25 PM  

...वैसे बेनामी टिप्पणीओं के लिए यहां परमिशन नहीं होनी चाहिए!....इस सुविधा का लोग गलत इस्तेमाल कर रहे है!

अन्तर सोहिल October 27, 2010 at 12:25 PM  

वाह!
इसे कहते हैं शुर्पनखा की नाक-चोटी काटना।
सही लिखा जी आपने

प्रणाम

राज भाटिय़ा October 27, 2010 at 1:05 PM  

वो मारा पापड्वाले को मजा आ गया जी, इन्हे जबाब भी ऎसा ही देना चाहिये, ताकि दुसरो को तंग करने से पहले इस जोर दार थप्पड को याद रखे. धन्यवाद

Unknown October 27, 2010 at 1:24 PM  

@ श्री सतीश सक्सेना जी !
@ अन्तर सोहेल जी !
@ डॉ अमर कुमार जी !
@ डॉ अरुणा कपूर जी !

आपके शब्दों के लिए आभारी हूँ . मैं एक ही टिप्पणी में आप चारों की जिज्ञासा का समाधान कर देता हूँ .

दो दिन पहले मेरी एक पोस्ट पर श्रीमान बेनामी जी ने एक टिप्पणी की.........उस टिप्पणी में मुझे एक घटिया कवि बता कर अपनी भड़ास निकली, यहाँ तक मुझे कोई एतराज़ नहीं, मैं उसे प्रकाशित कर देता लेकिन इत्ती सी बात को उन्होंने बड़े ही गन्दे लफ़्ज़ों में लिखा, इसलिए मैंने नहीं छापी.

आज फिर उन्होंने टिप्पणी की जिसमे बार बार मुझे फट्टू कह कर आरोप लगाया कि जब मुझमे उनकी टिप्पणी छापने की हिम्मत ही नहीं तो मैं ब्लॉग जैसे सार्वजनिक मंच पर आया ही क्यों ?

ये तो वही बात हो गई कि जब तुम में पत्नी के हाथ से बेलन की मार खाने की हिम्मत नहीं तो ब्याह कराया ही क्यों ?

अरे भाई.........ब्याह हमने इसलिए कराया है क्योंकि हमें घर-संसार बसाना था और ब्लॉग इसलिए बनाया क्योंकि हमें अपनी लेखन कला से लोगों को आनन्द देते हुए अपना भी प्रचार-प्रसार करना था

चलो लो............जोश जोश में आखिर मेरे हाथ से बेनामी जी के कमेन्ट पारित हो ही गये........अब आपको भी दिखा ही देता हूँ





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jahan aap jaise kavi kahlane lage vahan aisa hi to hoga, aur nahi to kya.......
jinke liye mahaj paisa hi sab kuchh ho saraswati putra hone ke bad bhi, ek dusre ka jugad lagane wale kavi... vahan aur kya hoga, so called kaviyon ke bich....


________


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are wah, fat gai? kal maine jo comment kiya tha vo chhaapa hi nai? nai maloom tha ki apne desh ke bade bade kavi itne fattu hote hain ki ek comment se hi unki fat jati hai aur comment publish nai karte, itni fat ti hai to blog jaise sarvjanik manch me aate kyon ho fattuo?

Manish aka Manu Majaal October 27, 2010 at 1:46 PM  

क्या कहें जनाब.. बस ignore करिए और लगे रहिये अपने काम में और क्या ...

honesty project democracy October 27, 2010 at 3:31 PM  

अलबेला खत्री जी ये बेनामी कोई और नहीं बल्कि जाने माने ब्लोगर प्रजाति के हैं जिनकी आदत है ऐसे फर्जी ID बनाकर जगह-जगह गंद फैलाना,अपने बिरोधियों के बारे में अनाप सनाप लिखना ..इनसे परेशान होने की जरूरत नहीं इनको हरामी कहकर आपने हरामी शब्द का मान भी घटा दिया है....ये हरामी कहने के लायक भी नहीं हैं ..कई ब्लोगर हैं जो ऐसे ब्लोगरों को जानते हुए भी उनके पोस्टों पर जाकर उनकी वाह-वाही करतें हैं ..हमने तो ऐसे लोगों के ब्लॉग पर अब जाना ही छोड़ दिया है जो इस तरह के फर्जी ID बनाकर ब्लॉग लिखने के पागलपन के शिकार है...तथा एक दो ब्लॉग अपने आधे अधूरे ID के साथ भी लिखतें हैं ..वैसे आपकी पोस्ट इन बेनामियों के लिए बहुत ही शिक्षाप्रद है..कास उनको कुछ शिक्षा मिल पाती...

Udan Tashtari October 27, 2010 at 5:25 PM  

ऐसे लोगों को इग्नोर करते चलें..बेकार आपने एक पोस्ट लिखने में समय लगाया. इतना समय देने लायक नहीं होते यह लोग.

Gyan Darpan October 27, 2010 at 5:42 PM  

लानत है ऐसे लोगों पर जो बेनामी बनकर अपनी करतूतों के चलते गालियाँ खा रहे है |

Arvind Mishra October 27, 2010 at 7:35 PM  

भैया आपने बनारस का नाम लिया मोहे आपत्ति है इस पर ..बेनामी और वह भी बनारस का ..कहीं और ढूंढिए ..गलतफहमी हुयी है आपको -जो बना रस से लगाव रखता है ऐसे हरकत नहीं करता !

well wisher October 27, 2010 at 9:05 PM  

आम इंसान आज भी शांति पसंद है, और शांति चाहता है. हम एक बहुजातीय, बहुभाषीय, बहुधर्मीय देश भारत के नागरिक हैं, और यह हमरा धर्म है की अपनी एकता और अखंडता को शांति और प्रेम सन्देश से बचाएं.

Coral October 27, 2010 at 9:31 PM  

सॉरी ! आपकी किस्मत में छेद है - रुकावट के लिए खेद है ।

हा हा हा ... बहुत सही ... बेनामी टिप्पणी वालों की किस्मत खेदजनक ही होती है ...

दीपक बाबा October 27, 2010 at 11:08 PM  

ऐसे लोगों को ज्यादा तवज्जो मत दीजिए...... नहीं तो इनके हौंसले और बदते जायेंगे..


आपने मोडरेट कर दिया बहुत है.



“दीपक बाबा की बक बक”
प्यार आजकल........ Love Today.

राजीव तनेजा October 27, 2010 at 11:18 PM  

ऐसे बेनामी तो अपनी जात दिखाते ही रहेंगे...
वीर तुम बढे चलो...धीर तुम बढे चलो...

संगीता पुरी October 28, 2010 at 12:13 AM  

वीर तुम बढे चलो...धीर तुम बढे चलो...

Taarkeshwar Giri October 28, 2010 at 7:30 AM  

Mubarak ho kam se kam ek naya shabd aur mill _ FATTU Ji aur HARAMI JI


Thanks

राम त्यागी October 28, 2010 at 8:34 AM  

सही लिखा है आपने ...

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