चित्त के प्रसन्न होने से सब दुःख नष्ट हो जाते हैं । जिसका चित्त प्रसन्न,
निर्मल हो गया है उसकी बुद्धि भी शीघ्र स्थिर हो जाती है
- गीता
जो अपनी छलकती आँखों से, पवित्र विचारों से, मीठे शब्दों से और
शुभ कार्यों से आनन्द बरसाता है, लोग उसको हमेशा प्रसन्न रखते हैं
-अज्ञात महापुरूष
कार्य-रत रहने से ही चित्त को प्रसन्नता मिलती है । मैं एक ऐसे
आदमी को जानता हूँ जो एक शमशान-यात्रा से हर्षमस्त लौटा,
सिर्फ़ इस कारण कि उसका इन्तेज़ाम उसके सुपुर्द था
-बिशप होर्न
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
7 comments:
achhi prastuti...
Hasya ratn samman ke liye haardik subhkamnayne
सत्य वचन। आभार।
अच्छी प्रस्तुति!
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
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बुधवार के चर्चा मंच पर आपकी पोस्य का चयन किया है जी!
http://charchamanch.blogspot.com/
अच्छी प्रस्तुति !!
nice!
ज़िम्मेदारी का एहसास कराती अच्छी पोस्ट
उस व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी व्यवस्थित ढंग से निभाने से खुशी मिल रही थी!...सुंदर प्रस्तुति!
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