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Albela Khatri

लीजिये प्रस्तुत है ग़ज़ल स्पर्धा के परिणाम की प्रथम कड़ी

प्यारे मित्रो एवं स्वजनों !
नमस्कार ।


समय आ पहुंचा है " ग़ज़ल स्पर्धा " का परिणाम घोषित करने का,

इसलिए जल्दी जल्दी सब करने की कोशिश कर रहा हूँ । क्योंकि

आपके मन में भी उत्सुकता होगी .......



मित्रो ! सबसे पहले तो मैं कृतज्ञ हूँ उन समस्त लोगों का जिन्होंने

इस स्पर्धा में सहभागी बन कर इसे सफल बनाया, तत्पश्चात आभारी

हूँ उन तमाम हितैषियों का जिन्होंने अपनी शुभकामनाएं भेज कर

मुझे सम्बल दिया ।



सर्वश्री जी के अवधिया, रवीन्द्र प्रभात, डॉ अरुणा कपूर, उस्ताद जी,

काजल कुमार, राजे शा, राजीव तनेजा और उर्मिला उर्मि की सद्भावना

भरी उत्साह पूर्ण टिप्पणियों के लिए हार्दिक धन्यवाद ।



सर्वप्रथम तो मैं ये बताना ज़रूरी समझता हूँ कि ये "ग़ज़ल स्पर्धा"

किसी की प्रतिभा को आंकने अथवा मूल्यांकित करने के लिए नहीं

थी बल्कि इसका उद्देश्य था अधिकाधिक रचनाकारों की अधिकाधिक

चुनिन्दा रचनाएं प्राप्त करना ताकि ज़रूरत पड़ने पर उन्हें काव्य-

संकलन, म्यूजिक एल्बम या टी वी - फ़िल्म जैसे माध्यमों के लिए

प्रस्तावित किया जा सके साथ ही नवोदित लेखकों में लेखन के प्रति

और उत्साह जगा कर उन्हें प्रकाश में लाना और मेधा को विस्तार

-परिष्कार देना । इसके अलावा ब्लॉग जगत में चल रही साम्प्रदायिक

वैमनस्यता से ध्यान हटा कर सृजन में व्यस्त होना भी इस और ऐसी

हर स्पर्धा की मन्शा रही है । अस्तु -



कुल 9 रचनाकारों से 32 ग़ज़लें प्राप्त हुईं जिनमे से कुछ अच्छी हैं, कुछ

बहुत अच्छी हैं और कुछ तो कमाल की हैं । सर्वश्री एम वर्मा, भूपेंद्र सिंह,

पुनीत भारद्वाज, सुनील कुमार और सुश्री श्वेता जिन्दल की रचनाएं

सुन्दर शब्दों से सजी न केवल मार्मिक और भाव भरी ग़ज़लें हैं बल्कि

नये ज़माने की बात करती उम्दा अभिव्यक्ति है । भविष्य में इनसे

और भी बेहतर और ज़्यादा रचनाएं प्राप्त होंगी, ऐसा मेरा विश्वास है ।


श्री रवि रतलामी और श्री शाहनवाज़ सिद्दीकी "साहिल" की रचनाओं

ने अपने विषय और सधे हुए अलफ़ाज़ के शानदार इस्तेमाल से बहुत

प्रभावित किया । नि: सन्देह बहुत ही शानदार ग़ज़लें श्री रवि जी और

श्री शाहनवाज़ जी ने उपलब्ध कराई । परन्तु श्री राजेंद्र स्वर्णकार

की पाँच ग़ज़लें पढ़ कर तो मैं अभिभूत हो गया । भाई वाह ! क्या बात

है ? आज के हालात पर इतनी करारी चोट इतने सहज और सरल

शब्दों में कर देना एक बड़ा हुनर है और इस हुनर के हुनरमन्द को मैं

बड़े अदब से सलाम करता हूँ । अब बात रही श्री रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"

की ......तो भाई वे हैं खलीफ़ा और अपने कद की ही भान्ति काम भी

दिखाते हैं । बेशक यह मानने में हमें कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि

उम्र के इस पड़ाव पर भी वे सतत सक्रिय और समर्पित कवि के रूप

में जिस प्रकार पूर्ण पराक्रम व ऊर्जा सहित सृजन कर रहे हैं, हमें उनसे

प्रेरणा लेनी चाहिए ..खासकर मुझे और मेरे मंचीय साथियों को -



बहरहाल मौसम ख़राब है और नेट प्रोब्लम भी है इसलिए मैं इस पोस्ट

को ज़्यादा न लम्बाते हुए यहीं रोकता हूँ और कोशिश करूँगा कि

अगली पोस्ट जल्दी ही आप तक पहुंचे जिसमे विजेता का नाम

अर्थात स्पर्धा का परिणाम हो और साथ ही प्राप्त हुईं तमाम रचनाएं

भी हों जिन्हें बाँच कर आप स्पर्धा के निर्णय पर अपनी टिप्पणी दे

सकें ।


लेकिन तब तक............

श्री रूपचंद्र शास्त्री जी, श्री राजेंद्र स्वर्णकार जी और सुश्री श्वेता जिन्दल

जी से मेरा विनम्र निवेदन है कि कृपया अपने बैंक खाता की

जानकारी यानी खाता क्रमांक, बैंक का नाम और शाखा इत्यादि मुझे

तुरन्त इन पतों पर E mail करदें - info@albelakhatri.com या

albelakhatri@hasyahungama.com


तो मिलते हैं ब्रेक के बाद................धन्यवाद


-अलबेला खत्री





















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