भाव बढ़ा पेट्रोल का, रुक गई सबकी सांस
गवर्नमेंट ने कर दिया फिर जनता को बांस
फिर जनता को बांस, मच गई त्राहि त्राहि
उपभोक्ता का रुदन ये दिल्ली सुनती नाहिं
महंगाई ले डूबेगी, घर के बजट की नाव
दिन दिन बढ़ता जा रहा सब चीजों का भाव
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सियासत एक की दुल्हन नहीं कइयों की रानी है
ये है बदनामी मुन्नी की तो शीला की जवानी है
सियासी लोगों की आँखों में जो घड़ियाली आँसू हैं
इलेक्शन में तो मोती है, पर उसके बाद पानी है
ये है बदनामी मुन्नी की तो शीला की जवानी है
सियासी लोगों की आँखों में जो घड़ियाली आँसू हैं
इलेक्शन में तो मोती है, पर उसके बाद पानी है
हास्यकवि अलबेला खत्री जयपुर में काव्य प्रस्तुति देते हुए |
3 comments:
वाह वाह बहुत खूब!
मोहन माखन खा गए, मोहन पीते दुग्ध ।
आग लगा मोहन गए, लपटें उठती उद्ध ।
लपटें उठती उद्ध, जला पेट्रोल छिड़ककर ।
होती जनता क्रुद्ध, उखाड़ेगी क्या रविकर ।
बड़े कमीशन-खोर, चोर को हलुवा सोहन ।
दाढ़ी बैठ खुजाय, अर्थ का शास्त्री मोहन ।।
बहुत सुन्दर..!
महँगाई की चिन्ता धनवानों को अधिक होती है!
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