सांस में सुर सनसनाना प्यार का
ज़िन्दगी है ताना बाना प्यार का
मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी
आने वाला है ज़माना प्यार का
यों तो हर मौसम का अपना रंग है
पर लगे मौसम सुहाना प्यार का
उफ़ जवानी का ये आलम जानेमन
और उस पर उमड़ आना प्यार का
चीज है अनमोल, पर बाज़ार में
नहीं मिलेगा चार आना प्यार का
बैठे ठाले यों ही कुछ कुछ लिख दिया
ख़ुद-ब-ख़ुद बन बैठा गाना प्यार का
है मुकद्दरमन्द जिसको मिल गया
ज़िन्दगी में गुनगुनाना प्यार का
उस घड़ी मत रोकना "अलबेला" को
जब लबों पर हो तराना प्यार का
जय हिन्द !
gayika Sadhna Sargam, Sangeetkar Arnab aur geetkar Albela Khatri |
6 comments:
बहुत सुंदर, बेहतरीन।
यों तो हर मौसम का अपना रंग है
पर लगे मौसम सुहाना प्यार का
Sundar rachna
वाह! बहुत ही बेहतरीन अलबेला जी.... ज़बरदस्त!!!
वाह पसंद आया आपका
ये तराना प्यार का ।
एक तस्वीर ही उकेर देते मुसव्विर ,
देख लेते जमाना प्यार का ...
बुरा न माने रोचक लगीं गजल .. सुखद अनुभूति बधाईयाँ जी /
सांस में सुर सनसनाना प्यार का
ज़िन्दगी है ताना बाना प्यार का
बेहतरीन प्रस्तुति...आभार
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