प्यारे भाई अनवर जमाल,
अक्सर तुम मेरे ब्लॉग पर आ कर, मेरी पोस्ट पर टिप्पणी के
बहाने अपने कुछ लिंक छोड़ते रहते हो, परन्तु स्वामी दयानंद
सरस्वती को तुमने कहीं का नहीं छोड़ा यार. इतनी दुर्गति कर दी
उनकी कि वे ख़ुद आज शर्म के मारे रो रहे होंगे वैकुण्ठ में कि
हाय रे ये क्या किया ..........
शाबास........सत्यार्थ प्रकाश के विवेचन की आड़ में जिस प्रकार
तुमने अपनी लेखनी और चतुराई का दुरूपयोग किया है वह
लाजवाब है . इसके लिए तुम्हें जितना भी पुरस्कार मिला होगा
वह कम होगा . तुम गज़ब के छिद्रान्वेषण करते हो प्यारे, हिन्दू
धर्म और मान्यता की तो तुमने फाड़ कर रख दी........गज़ब की
रिसर्च की यार........तुम्हारी टुच्ची और वैमनस्यपूर्ण आलेख माला
पढ़ते पढ़ते मुझे यकीन हो गया है कि तुम यों ही किसी मान्यता पर
भरोसा नहीं करते होवोगे, जब तक परख नहीं लेते ठोक बजा कर
तब तक तुम एतमाद नहीं करते . इस बिना पर मैं दावे के साथ
कह सकता हूँ कि तुमने तो अपने बाप को भी बाप कहने से पहले
उनका डीएनए टेस्ट कराया होगा और कई जगह करवाया होगा
तब कहीं जा कर बाप को बाप कहा होगा . वैसे कहना मत किसी
से..........अगर नहीं कराया हो तो अभी भी करा सकते हो क्योंकि
स्वामी दयानंद का जो अपमान तुमने किया है वो अलबेला खत्री की
नज़र में आगया है . और संयोग की बात है कि मैंने भी स्वामी दयानंद
का ख़ूब अध्ययन किया है . तो तैयार रहना भाई...मेरी आने वाली एक
पोस्ट आपसे कुछ सवाल करने वाली है .
जय हिन्द !
गीतकार अलबेला खत्री, संगीतकार रामलक्ष्मण और गायक कुमार सानू फिल्म " चिट्ठी आई है" की ऑडियो रिकार्डिंग पर |
14 comments:
what happened?
GURU DEV SAHI JABAV DIYA APNE
URU DEV BILKUL SAHI SHIK DIYA HAI AAPNE
तुमने तो अपने बाप को भी बाप कहने से पहले
उनका डीएनए टेस्ट कराया होगा और कई जगह करवाया होगा
तब कहीं जा कर बाप को बाप कहा होगा.......nice
अनवर हो या कोई और, जब भी कोई किसी दूसरे धर्म के खिलाफ लिखता है तो मैं हमेशा से ही उसका विरोधी रह हूँ. परन्तु स्वामी दयानंद के मामले में बात अलग है.
स्वामी दयानंद ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में इस्लाम और क़ुरआन-ए-करीम के खिलाफ बिना जानकारी के ज़बरदस्ती और भद्दी बातें कही हैं. इसलिए उनकी बातों का जवाब दिया जाना बिलकुल भी गलत नहीं माना जा सकता है.
किसी को भी किसी भी दूसरे धर्म के खिलाफ बे-सर पैर और वैमनस्य बढाने वाली बातें लिखने या बोलने की इजाज़त नहीं होनी चाहिए, चाहे वोह अनवर जमाल हो या स्वामी दयानंद और फिर कोई और....
दो अलग-अलग धर्मों के अनुयायियों की पृष्ठ भूमि अलग-अलग होती है, इसलिए सोचने का तरीका भी अलग होता है. इसलिए मुख्य समस्या तब उत्पन्न होती जब हम अपनी सोच के हिसाब से दूसरों की मान्यताओं को परखते हैं और उनपर इलज़ाम लगाते हैं....
पूरी दुनिया में धार्मिक वैमनस्य और बड़ी-बड़ी लड़ाइयों का मूल कारण यही है.... अगर ध्यान से देखो तो कोई धर्म ऐसी बातों की इजाज़त नहीं देता है...
@ शाहनवाज जी,
किसी भी व्यक्ति को किसी भी धर्म की छीछालेदार करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. विशेषकर अपने धर्म का प्रचार करने के क्रम में अन्य धर्मों को नीचा दिखाना तो पूर्णतः वर्जित होना चाहिए यह बात मैं मानता हूँ और इसलिए स्वीकार करता हूँ कि इस्लाम हो या हिन्दूत्व, सब अपनी अपनी जगह सही हैं और सभी के धर्म ग्रंथों में मानव मात्र के लिए हितोपदेश हैं .
यहाँ ये बताना ज़रूरी समझता हूँ कि स्वामी दयानंद कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं थे.......वे कोई धर्म गुरू नहीं थे, बल्कि एक उग्र स्वभाव वाले विद्वान समाज सुधारक थे . समाज सुधारक के रूप में उन्होंने केवल हिन्दू समाज में ही बुराई नहीं देखी, अपितु उस समय चल रहे लगभग प्रत्येक साम्प्रदायिक संगठन में व्याप्त घिनावनी परम्पराओं का उन्होंने विरोध किया . तब उस महान व्यक्तित्व के लिए अनवर जमाल द्वारा ये कहना कितना द्वेषपूर्ण है कि
"उन्होंने हिन्दू समाज में प्रत्येक स्तर पर व्याप्त पाखण्ड, भ्रष्टचार और अनाचार को खुद अपनी आंखों से देखा । तब उन्होंने अपनी सामर्थ्य भर इसके सुधार का बीड़ा उठाने का निश्चय किया।"
विचारों को व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिये-
किसी भी धर्म के खिलाफ लिखना या उसकी धार्मिक ग्रंथों के खिलाफ बोलना और उसके माने वालों के दिलों को ठेस पहुँचाना सही नहीं | और यदि यह काम कोई स्वामी या गुरु करे तो ताज्जुब होता है कि उसने कैसा ज्ञान प्राप्त किया है ? शांति सन्देश के सिवाए और कुछ परोसना किसी स्वामी या ज्ञानी का काम नहीं|
समाज का सुधार किसी और की धार्मिक किताब के बारे में उल्टा सीधा कहना और वो भी बिना उस किताब के बारे में सत्य जाने संभव नहीं | यदि स्वामी समाज सुधार में विश्वास रखते हैं और किसी धर्म में कोई बुराई दिखती है तो उस धर्म के गुरुओं से बात चीत करें|
अरे सर आप भी कहाँ चक्कर में पड़े हो
यहाँ तो बहुत पहले ही इन लोगो की फजीहत हो चुकी है
उस ब्लॉग पर तो कोई झाकने भी नही जाता.
अयाज जी उन्ही के चेला है
आप जायदा दिमाग पर लोड मत लो ,अच्छी अच्छी रचनाये लिखो
बिलकुल ये सही है
दयायंद ने सबसे जायदा बुराई हिन्दू धर्म की है इस्लाम और इसी धर्म पर तो केवल दो ही चप्टर है
वैसे ये भी सही है
जायदातर मुसलमान धर्म गुरु जम कर हिन्दू धर्म की बुराई करते है जाकिर नाइक इसका सबसे बड़ा उदाहरण है
और जायदातर हिन्दू गुरु हिन्दू धर्म की ही बुराई करते है
Post ka link bhi dena chahiye.
bafhiya pakda.
@Original Poster Albela Khatri
dear khatri - your cheap and uncivilized comment proves the famous saying "khisyani billi khambha noche". If you dotn ahve anything to disprove some1 work then best is - to SHUT UP. Give something constructive or good rather spreading venom. Its ridiculous that you claim that Swami dayanand was not a religious Guru. You are not even dust of Dr. anwar jamal khan. It is better to lit candle than to curse the dark.
मैं आज एक ब्लॉग 'ब्लॉग की ख़बरों' पर गया था, पर वहाँ जाकर परेशान ही हुआ. और टीप द्वारा में अपनी समस्या भी बताई. पर डॉ अनवर जमाल के कान पर सुई भी नहीं रेंगी.
टीप :
आदरनीय डॉ साहेब,
वैसे तो आपके कई ब्लॉग है, पर आपके ब्लॉग “ब्लॉग की खबरें” पर इसी पोस्ट में एक टीप द्वारा में अपनी बात रखना चाहता हूँ,
LIKE कॉलम के अन्तरगत कुछ पोस्ट जो कई महीनो से चमक रही हैं जैसेकि
धर्म के नाम पर ‘सेक्स’ का खेल
सम्भोग रहस्य
यहाँ पर इस पोस्टों के साथ संबद्ध चित्र को देख कर ऐसा लगता है मानो इन ब्लोग्गरों ने कुछ इस टाइप का लेखन किया हो. पर ऐसा कुछ भीं नहीं है. अत: आपसे ये सादर अनुरोध है की उक्त पोस्टों को अपने ब्लॉग से डिलीट कर देवें.
इस विषय में आपसे पहले भी टीप द्वारा सूचित किया है, पर आपने बजाये कुछ कदम उठाने के मेरी टीप ही डिलीट कर दी. एक अनुभवी और विद्वान ब्लोग्गोर है, अत: अपेक्षा करता हूँ कि तुरंत ऐसी पोस्ट डिलीट कर आप स्वस्थ ब्लॉग्गिंग को मज़बूत करेंगे.
सादर
दीपक बाबा
http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/07/blog-post.html
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