जब तक तुझे दूसरे की फ़जीहत पर गुदगुदी होती है,
तब तक तुझ में दुष्टता बाकी है ।
-हरि भाऊ उपाध्याय
दुष्टों के दोषों की चर्चा करने से अपना चित्त प्रक्षुब्ध ही होता है
इसलिए उनके वर्तन की ओर लक्ष्य न दे कर,
अथवा उनकी चर्चा करने न बैठ कर,
उनकी उपेक्षा करना ही अपने लिए श्रेयस्कर है ।
-स्वामी विवेकानन्द
www.albelakhatri.com
तब तक तुझ में दुष्टता बाकी है ।
-हरि भाऊ उपाध्याय
दुष्टों के दोषों की चर्चा करने से अपना चित्त प्रक्षुब्ध ही होता है
इसलिए उनके वर्तन की ओर लक्ष्य न दे कर,
अथवा उनकी चर्चा करने न बैठ कर,
उनकी उपेक्षा करना ही अपने लिए श्रेयस्कर है ।
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1 comments:
कमाल की सूक्तियां लाते हो भाई जी
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