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Albela Khatri

बाद में झुनझुना बजाने से अच्छा है, अभी से डंका बजादो

जैसा कि मैंने पिछली पोस्ट में कहा था


http://albelakhari.blogspot.com/2010/07/blog-post_3512.html


आओ..........कुछ ख़ास बिन्दुओं पर ध्या दें :



हर तरफ़ एक ही समाचार

......मिलावट ! मिलावट !! मिलावट !!!


एक ही तरीके से मिलावट !

एक साथ पूरे देश में मिलावट !


दूध में यूरिया, सब्जियों पर रंग, फलों में घातक रसायन,

घी में चर्बी, मसालों में लकड़ी बुरादा और मिटटी- सीमेन्ट के

साथ साथ मावा में, पानी में शीतल पेयों में जानलेवा

केमिकल्स........


रोज़ कहीं कहीं, कुछ कुछ पकड़ा जाता है और रोज़ वह हर

चैनल की मुख्य खबर बनती है आमतौर पर होता ये आया है कि

हर चैनल की अपनी एक अलग और ख़ास न्यूज़ होती है, अलग

हैड लाइन होती है लेकिन मिलावट के मामले में मैंने अनुभव

किया है कि सभी बड़े चैनल्स पर एक ही अन्दाज़ में, वही वही

फुटेज़ और वही वही शब्दावली एक साथ एक ही टाइम पर

दिखती है अर्थात कोई भी चैनल लगाओ, वही नज़ारा दिखता है

मानो सभी चैनल एक ही जगह से चल रहे हों


इसका मतलब क्या है ?


मेरे ख्याल में इसका मतलब ये है कि सब कुछ एक साजिश

के तहत पूर्वनिर्धारित है


और खुल के बताऊँ तो यों समझो कि ये काम आम भारतीय

व्यापारियों का नहीं है बल्कि बाहरी ताकतों का है जो हमें

डरा डरा कर मारना चाहती है डराती है मीडिया के ज़रिये और

मारती है मिलावट के ज़रिये भारत का कोई भी देशवासी इतना

कमीना नहीं हो सकता कि चन्द पैसों के लिए खाद्य वस्तुओं को

ज़हर बनादे


अरे ये तो वो धर्म-भूमि है जहाँ लोग दूसरों के प्राण बचाने के

लिए अपनी जान पर खेल जाते हैं कोई रक्तदान करता है, कोई

नेत्रदान करता है, कोई अंग दान करता है, कोई देह दान करता

है.........संकट के समय लोगों के लिए अपने घर के सब दरवाज़े

खोल देने वाला यहाँ का व्यापारी बन्धु इतना निर्मम नहीं हो

सकता, ऐसा मेरा दृढ विश्वास है



अब यों भी सोचा जाये कि जब दुश्मन देश हमें ख़त्म करने के

लिए अथवा बर्बाद करने के लिए यदि आतंकवादी भेज सकता

है, नक्सलवादियों और अलगाववादियों को मदद कर सकता है,

नकली करंसी भेज सकता है, गोला बारूद भेज सकता है और

जासूस भेज सकता है तो वो नियोजित रूप से मिलावट क्यों

नहीं कर सकता ?


सतर्कता विभाग और गुप्तचर एजंसियों को इस ओर तुरन्त

ध्यान देना चाहिए और जो भी मिलावट के लिए दोषी मिले उसे

देशद्रोही मान कर मौके पर ही गोली मार देने का प्रावधान तुरन्त

संविधान में पारित होना चाहिए.....जहाँ तक मेरा यकीं है, सब के

सब बंगलादेशी या अन्य देशों के लोग ही मिलेंगे रही बात

मीडिया की, तो इस मामले में भी गड़बड़ है अरे जब

फार्मास्युटिकल कम्पनियां डाक्टरों से मनमानी दवाइयाँ लिखवा

कर अपना माल बेच सकती हैं तो पैसे के दम पर एक ही न्यूज़ को

हाईलाईट करना कौनसा मुश्किल काम है


कुल मिला कर इस मिलावट को महज़ मिलावट नहीं, बल्कि देश

के विरुद्ध युद्ध के रूप में देखा जाना चाहिए दुश्मन का लक्ष्य ये

है कि हम इतना डर जाएँ मिलावट से कि सब कुछ खाना छोड़ दें,

खाना पीना छोड़ देंगे तो कमज़ोर हो जायेंगे और अगर खायेंगे तो

बीमार होकर मर जायेंगे.....दोनों ही तरफ़ दुश्मन का उल्लू सीधा

होता है तीसरा एक अमोघ बाण है उनके पास जिससे बचना

नामुकिन है वो ये है कि जब रोज़-रोज़ मिलावट करने वाले पकड़े

जायेंगे और सरकार कोई ठोस कारवाही नहीं करेगी तो किसी किसी

दिन पब्लिक भड़केगी और कानून अपने हाथ में ले लेगी.........इस से

देश में अराजकता गृहयुद्ध की स्थिति भी बन सकती है....ये सारी

बातें ध्यान में रख कर यदि सरकार अपने तंत्र को काम में लगाये

तो लोकतन्त्र बचेगा वरना मेरे भाई ! लोक बचेगा और तन्त्र



बाद में झुनझुना बजाने से अच्छा है,

अभी से डंका बजादो


जय हिन्दी !

जय हिन्द !!


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www.albelakhatri.com

2 comments:

Murari Pareek July 14, 2010 at 12:22 PM  

sach me sajag hone ki jarurat hai dekh parakh ki milaawat sachmuch ho rahi hai ya milawat media me ho rahi hai

Rajeysha July 14, 2010 at 5:18 PM  

हमने भी कई पोस्‍ट पर काफी मेहनत की यहां वहां से तथ्‍य ढूंढे, तलाशे, पूछे और बड़ी गंभीरता की रजाई ओढ़कर लेख लि‍खा.... बाद में पता चला कि‍ हम ही गाफि‍ल थे, उस वि‍षय पर तो 1 अरब लोग पीएचडी कर चुके होते हैं, कम्‍बख्‍त एक्‍को कमेंटवा ना मि‍लब....पर यारी दोस्‍ती भी कोई चीज होती है, प्रेमि‍का के वायु प्रसाद भी बर्दाश्‍त कि‍ये जाते हैं... क्‍यों सर।

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