अगर तुम घर में शान्ति चाहते हो,
तो तुम्हें वह करना चाहिए जो गृहिणी चाहती है
-डेनिश कहावत
मौन के वृक्ष पार शान्ति का फल उगता है
-अरबी कहावत
आनन्द उछलता - कूदता जाता है ;
शान्ति मुस्कुराती हुई चलती है
-हरिभाऊ उपाध्याय
दादा कोंडके और अलबेला खत्री फ़िल्म येऊ का घरात ?
के हिन्दी संस्करण " चिट्ठी आई है " की ऑडियो रिकोर्डिंग
के अवसर पर मुम्बई के एम्पायर स्टूडियो में
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
बिलकुल सही बात.
वाह वाह वाह जी
आज सुबह दादा कोंड़के जी मिलवा दिया,
अंधेरी रात में,दिया तेरे हाथ में।
कुछ नाम भूल रहा हूँ।
क्या फ़िल्मे बनाई इन्होने।
आपका आभार
यह शांति क्या साली है, जिसे पाने के लिये बीबी की गुलामी करनी पडे :) अजी हमे नही चाहिये शांति...हम ठहरे शरीफ़ आदमी, बीबी के भगत
अपनी इच्छाओं को कम कर दो, “शांति” अपमे आप मिलने लगेगी ,कही एक दिन ऐसा ना हो कि गृहिणी की इच्छाओं को पूरा करते करते तुम हमेशा के लिए “शांत” हो जाओ !
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