धुआं आसमान में शेखी बघारता है
और राख ज़मीन में
कि वे आग के खानदान वाले हैं
- रवीन्द्र नाथ टैगोर
बुद्धिमानी के साथ खर्च करता हुआ आदमी थोड़े खर्चे से भी अपनी
गुज़र कर सकता है । मगर फ़िजूलखर्ची से सारे ब्रह्माण्ड की सम्पदा
भी नाकाफ़ी हो सकती है ।
-अज्ञात महापुरूष
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
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10 years ago
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