बम्बई, बम्बई थी भाई और मुम्बई, मुम्बई है भाई !
27 साल पहले की वो बम्बई जो मैंने पहली बार देखी थी और 20
तक मेरी कर्म-भूमि रही, वो बम्बई और आज की मुम्बई में जो
भयानक अन्तर आया है उसका विकराल सौन्दर्य कल ही मैंने देखा
और इस बात पर भरोसा हो गया कि अब मुम्बई को शंघाई बनने से
कोई नहीं रोक सकता । किसी का बाप भी नहीं रोक सकता ।
कल सुबह - सुबह जब मैं बोरीवली स्टेशन पर उतरा और ऑटो रिक्शा
पकड़ने बाहर सड़क पर आया तो अचानक मांसपेशियों में खिंचाव होने
से बड़ी पीड़ा होने लगी । जल्दी से मैंने वहां पड़े ईंटों के एक चट्टे पर
अपना बैग रखा और जेब से डिस्प्रिन गोली निकाल कर, पानी की
बोतल में डाल दी ताकि उसके घुलते ही पी सकूँ । गोली का चमकीला
कागज़ मैंने फैंक दिया सड़क पर, बस यहीं से मुम्बई शंघाई बनना
शुरू हो गया ।
एक लड़का आया जिसकी कमीज़ पर इंग्लिश में क्लीन-अप लिखा था,
बोला- निकालो दो सौ रुपया...........मैंने पूछा किस बात का ? बोला-
सड़क पर कचरा फैंकने का । मैंने पूछा - कौनसा कचरा ? उस भले
आदमी ने मेरा फैंका हुआ डिस्प्रिन का कागज़ दिखाया । बोला- ये !
और रसीद काट कर मेरे हाथों में थमादी.........जो कि मुम्बई महानगर
पालिका के स्वास्थ्य विभाग की है ।
मैंने कहा - भैया मैं तो बाहर से आया हूँ, दर्द हो रहा था, इसलिए गोली
खा ली, अब कागज़ कहाँ फैंकूं ? तुम बताओ..........वो बोला - ये काम
मेरा नहीं, मेरा काम सिर्फ़ पैसा लेना है क्योंकि मुम्बई को शंघाई बनाना
है और उसमे दो सौ रूपये कम पड़ रहे हैं इसलिए निकालो........जल्दी
जल्दी । मैंने उसे दो सौ रूपये दिए और ख़ुद को शाबासी दी कि चलो
आज अपन किसी काम तो आये अब जब मुम्बई को शंघाई बनाए जाने
का इतिहास लिखा जायेगा तो मेरा भी नाम याद रखा जाएगा ।
भैया, खाना लग चुका है और गुड्डू की माँ छाती पर आ कर खड़ी हो गई
है इसलिए बाकी की बातें अगली पोस्ट में.......लेकिन वो बड़ी रोचक
बातें हैं पढ़ने ज़रूर आना
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13 comments:
खत्री साहब, बात तो आपने बहुत ही बढियां की है...
पर hume to बचपन से ही स्वच्छ रहने का पाठ पढाया जा रहा है...कम से कम हमे तो सुधारना चाहिए| मुझे यदि कोई कूड़ेदान नहीं दीखता तो मैं उस पच्केट को जेब में ही दाल लेता|
मुंबई शंघाई तब ही बन पाए गा, जब शहर का हर व्यक्ति, अपनी ज़िम्मेदारी को समझे गा!!!
मुझे उम्मीद है इस लेख को पढ़ने के बाद मुंबई वाले/घूमने वाले जागरूक ज़रूर हो जायेंगे!!
ये जो रसीद मिली है, इसे संभल कर रखिये गा!!! आगे आप समझ गए होंगे!
प्रयास तो अच्छा है पर पहली गलती पे नामपता लिखकर समझा देना ठीक रहेगा ,क्योकि बहुत लोगों को पता ही नहीं होता की क्या करें,कैसे करें,कचरा और वो भी डिस्प्रिन की गोली के रेपर के लिए 200 रूपये का जुरमाना ये अमानवीय है | अगर कोई रोगी सरक पर उलटी कर दे तो ये मुंबई के महा महा नगर पालिका 108 तो उस रोगी को पता नहीं क्या जुरमाना करे | नियम को व्यवहारिक बनाना व उसे बिना किसी भेद-भाव के लागु किया जाना चाहिए |
और मान लो भाई जी, कि यह पूरा एक नाटक हो सिर्फ़ लोगो से पैसा लेने का तो ..........???
चलिये आपको सीख तो मिली, महंगी ही सही ।
बहुत सुंदर, काश ऎसा हो पुरे भारत मै तो मेरा भारत कितना सुंदर ओर साफ़ हो जाये, हम तो जब भी भारत आये केले के छिलके तक कोट की जेब मै रखे कचरे का डिब्बा ना होने पर, ओर अगर बम्बई मै इतनी ही सख्ती है तो सच मै बम्बई बहुत साफ़ होगा....
Khatri sahev मुम्बई शंघाई ban gayee to jhopadpatti vale kya ghaas charege ? Bhai mumbai me hum gareev log kaise gujara karege, jaha hagte hai bahi khate hai . Jara socho mumbai valo ...
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उस डिस्प्रिन की गोली के कागज़ का उसने क्या किया?...उसे सही ठिकाने याने के कूड़ेदान तक पहुँचाया या फिर उसे वहीँ पड़ा रहने दिया?...
मुंबई नगर पालिका की ये कोशिश तो बढ़िया है बशर्ते ये सब लोगों की जेब से पैसा निकालने का जरिया मात्र ना बन जाए
अब बेशक मुम्बई शंघाई बने चाहे न बने लेकिन् भई हमें तो ये अभियान बहुत अच्छा लगा....कुछ तो फर्क पडेगा ही.
अगर किसी के पास 200 रुपये न हों तो क्या होगा?
वाकई मुंबई को शंघाई बनाना बहुत ही महँगा है, परंतु क्या पहले जनता को प्रशिक्षित किया गया है, नहीं, तो फ़िर ये एकदम पैसा वसूली शुरु करना सरकार का गैरकानूनी कदम है।
अपने आस पास की जगह को साफ़ रखने के लिए ये तो एक बहुत सार्थक पहल है. मुंबई को शंघाई बनने में अभी काफी समय चाहिए. सबसे पहले नगर पालिका को जगह जगह कचरा पात्र रखने चाहिए और उन्हें नियमित रूप से साफ़ करते रहना चाहिए. इसके साथ साथ पोस्टर, विज्ञापन के माध्यम से लोगो को अवगत भी कराना चाहिए कि कचरा केवल कूड़ेदान में ही डाले अन्यथा जुर्माना भरने को तैयार रहे.
अच्छा लिखा . लगभग यही हाल सभी महानगरों का है ।
शैली रोचक ।
200 रुपये देने के बाद तो आपकी तबीयत ओर खराब हो गयी होगी !
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