पाप इसलिए दु:खद नहीं है कि वह मना है,
बल्कि इसलिए मना है क्योंकि वह दु:खद है ।
कर्त्तव्य भी
इसलिए हितकर नहीं हैं कि उनका आदेश दिया गया है,
बल्कि उनका आदेश इसलिए दिया गया है
क्योंकि वे हितकर हैं
- फ्रैंकलिन
www.albelakhatri.com
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
-
शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
अच्छी सीख !
आभार !
इस महान उक्ति को पढवाने का शुक्रिया।
………….
दिव्य शक्ति द्वारा उड़ने की कला।
किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?
सत्य वचन महाराज !
सत्य वचन आभार।
Post a Comment