शहर में ऑटो रिक्शा और taxi की हड़ताल के कारण रंगलाल
और उसका बेटा नंगलाल रात को ग्यारह बजे पैदल ही चल कर घर
जा रहे थे । अब रात के सन्नाटे में बूढ़े रंगलाल की लाठी ठक ठक
की ज़ोरदार आवाज़ कर रही थी......जो कि नंगलाल को अत्यन्त
कर्कश लग रही थी और बर्दाश्त नहीं हो रही थी ।
नंगलाल : बापू, तुममे भी अक्ल नहीं है .....अरे ज़रा सा रबड़ चढ़ा लेते
तो ये लाठी घिसती भी नहीं और इतनी आवाज़ भी नहीं होती ।
रंगलाल : ठीक कहा बेटा ! थोड़ा सा रबड़ चढ़ा लेता तो बाप को
बेअक्ल कहने वाली तुझ जैसी नालायक औलाद भी नहीं होती ।
ख्याली सहारण और अलबेला खत्री अहमदाबाद में
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hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
10 comments:
बाप........बाप ही होता है .........क्या जवाब दिया है !
ha ha ha ha
हाय दईया!!!!
हा हा हा
आज नंगलाल की फ़ोटो भी लगा दी है जी आपने।
राम राम
जवाब नही सर जी!
दुखी पिता !
हा-हा-हा
सही कहा
प्रणाम
The Ultimate One...
Regards
Ram K
सही में बाप तो बाप ही है ,बेटा तो बेटा ही रहेगा ...अच्छी प्रस्तुती लेकिन द्विअर्थी भावनात्मक संबाद को ब्लॉग पर दूसरे तरीके से लिखने का प्रयास करें खत्री साहब तो ज्यादा अच्छा रहेगा ....
बाप को उसी वक्त वो लाठी भी नालायक बेटे को मारनी थी , क्योकि जो अपने माँ बाप का सम्मान न करें वो “ जानवर” के समान होता है ओर जानवरों को सिर्फ लाठी से ही हाँका जाता है
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