माननीय मनमोहनसिंहजी आजकल शर्मिन्दा हैं और घोर शर्मिन्दा हैं। इतने शर्मिन्दा हैं कि दुनिया में किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे। इसलिए वे उसे छुपाते फिर रहे हैं, लेकिन मुंह है कि छुपने का नाम नहीं ले रहा है, जितना छुपाओ उतना ज्य़ादा ज़ूम होकर सामने खड़ा हो जाता है। अब करे तो क्या करे? कैसे आंख मिलाये वे मिस्टर क्वात्रोची से जिसके पीछे भाजपा वाले लट्ठ लेकर पड़े हैं और पूरी दुनिया भारत सरकार पर थू-थू कर रही है। हालांकि शर्मिन्दगी के मामले में मनमोहनजी तन्हा नहीं हैं, अकेले नहीं हैं, सोनियाजी से लेकर कपिल सिब्बल तक सारे के सारे कांग्रेसी लीडर शर्मसार हैं और अपने कर्मों को रो रहे हैं। या यूं कहो कि रो रो कर क्वात्रोची के पांव धो रहे हैं । लेकिन मनमोहनजी शर्मिन्दा होने में टॉप पर हैं। वे सर्वाधिक शर्मिन्दा हैं क्योंकि वे सर्वाधिक ग्लोबलाइज्ड हैं और सोनियाजी द्वारा हाइली ओब्लाइज्ड हैं।
देश के प्रधानमंत्री का यूं शर्मिन्दा होना, जनता के लिए बड़े दुःख की बात होनी चाहिए, लेकिन मुझे कोई दुःख नहीं है। उलटे मुझे तो ख़ुशी हो रही है, ख़ुशी ही नहीं, गर्व हो रहा है कि अभी भी अपने नेताओं में कुछ शर्म बाकी है। पूरी तरह मरी नहीं है। शर्म है, तभी तो शर्मिन्दा हो पा रहे हैं, यदि शर्म ही नहीं होती तो शर्मिन्दा कैसे होते? आने दो मेरी पत्नी को, मैं उसको बताऊंगा कि हमारे देश के नेताओं में अभी भी शर्म बाकी है। सॉरी...आई. एम. रीयली सॉरी मनमोहनजी, मैंने नेताओं को बेशर्म समझ लिया था। अच्छा किया आपने मेरी आंखें खोल दीं।
लेकिन सर.... एक बात तो बताइये, क्या आपने अपनी सारी शर्म मिस्टर क्वात्रोची के लिए ही बचा रखी थी जो आज खर्च कर रहे हैं? क्योंकि इसके पहले आपने कभी कहा नहीं कि आप शर्मिन्दा हैं। मुझे याद है, आपके वित्तमंत्री रहते, सेबी की नाक के नीचे बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं। हर्षद मेहता वाले 10 हजार करोड़ के महा घोटाले ने अनेक लोगों को कंगाल कर दिया था और कितने ही लोगों को आत्म हत्या करनी पड़ी थी, तब तो आप शर्मिन्दा नहीं हुए। स्वर्गीय हर्षद मेहता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय नरसिंहराव को एक करोड़ रिश्वत देने की बात कही, तब भी आप शर्मिन्दा नहीं हुए, एनरान पावर प्रोजेक्ट यानी एक अमेरिकी कम्पनी ने हमें जीभर कर लूटा, तब भी आप शर्मिन्दा नहीं हुए, आदिवासी और गरीब औरतों को अक्सर निवस्त्र करके गांव में घुमाया जाता है पर आपको शर्म नहीं आती, अफज़ल गुरू जैसे दुर्दांत आतंकवादी को अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया गया, इसके लिए भी आप शर्मिन्दा नहीं हैं, शेयर बाजार में भयंकर गिरावट के कारण लोग मरे पर आप तनिक भी शर्मिन्दा नहीं हुए, बाढ़-अकाल-दावानल तथा भूस्खलन के अलावा देश में आग की बड़ी-बड़ी भीषण दुर्घटनाएं घटीं, रेल हादसों में हज़ारों लोग मरे तथा डेंगू, चिकनगुनिया व बर्ड फ्लू जैसी बीमारियों ने देश में कोहराम मचाया व सरकार कुछ नहीं कर सकी, लेकिन आप शर्मिन्दा नहीं हुए और तो और संसद में सरेआम नोटों की गड्डियां दिखाई गयीं तब सांसदों की खरीद फरोख्त पर भी आपको शर्म नहीं आयीं थी
याद करो डा. साहब, याद करो.... मुंबई में पाकिस्तानी आतंकियों के प्रवेश ने पूरी दुनिया के सामने हमें नंगा कर दिया, पाकिस्तानी हत्यारों ने हमारी भारत मां के अनेक वीर सपूतों का खून बहा दिया, लेकिन आपको शर्म नहीं आयी, आपको विदेशी कंपनियां भारत बुलाने में शर्म नहीं आयी, महंगाई की मार से जनता को सताने में शर्म नहीं आयी तथा एक महिला के इशारों पर कठपुतली की तरह नाचने में शर्म नहीं आयी, लेकिन जहां शर्म नहीं आनी चाहिए थी वहां आपको शर्म आ गयी। क्यों डाक्टर साहब, दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है। बोलिये डाक्टर साहब बोलिये, बोलिये ना प्लीज़.... क्या एक क्वात्रोची हम करोड़ों भारतीयों से भी बड़ा है...
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
6 comments:
लेख आपके मन की पीड़ा को जाहिर करता है और साथ ही सरकार की नाकामी को। परंतु आशा की जानी चाहिये की बदलाव आयेगा
Waah ji waah...
Bahut sundar likha hai.
Aanand aa gayaa.
Waise main bhi Dallas IHA se judaa huaa hun aur aapka sammelan dekhaa tha..
Aanand aayaa thaa.
~Jayant
डॉक्टर साहब मैडम से पूछकर बोलेंगे, भाई!! ज्यादा प्रेशर न डालो बोलने के लिए..वैसे भी मेडीकल ग्राऊन्ड पर ज्यादा बोलने के लिए मना है आजकल उन्हें. :)
बहुत खुबसूरत रचना है!
Shayad inko kabhi sharm nahi aayegi
soniya madem ko hi sharm nahi hai to inko kaise aayegi...........
hi auncle deep from jaipur
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