ना तो आपने बुलाणा है, ना ही मुझे आणा है। ना मुझे प्रीतिभोज खाणा है, न बारात में जाणा है, ना तो मुझे सेहरा गाणा है और ना ही आपकी घोड़ी के आगे भंगड़ा पाणा है। फिर मैं क्यूं फोकट में परेशान होऊं भाई? मुझे क्या मतलब है आपकी शादी से ? हां...आप अपनी शादी के स्वागत समारोह में कोई हास्य कवि-सम्मेलन कराने का ठेका मुझे दो, तो मैं कुछ सोचूं। अब मैं देश के अन्य लोगों की तरह फ़ुरसितया तो हूं नहीं कि लट्ठ लेके आपके पीछे पड़ जाऊं या हाथ जोड़ के गिड़गिड़ाऊं कि राहुल बाबा शादी करा लो ! शादी करा लो!!
भई आप बालिग हैं, अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं, अपने निर्णय स्वयं कर सकते हैं। जीवन आपका वैयक्तिक है, घर-संसार आपका वैयक्तिक है और शरीर भी आपका ही वैयक्तिक है तो हम कौन होते हैं आपकी खीर में चम्मच चलाने वाले... यदि आपको लगता है कि सब कुछ ठीक-ठाक है, कहीं कोई प्रोब्लम नहीं है तथा शादी के बाद आप सारी ज़िम्मेदारियां अच्छे से निभालेंगे तो कर लीजिए... और यदि ज़रा भी सन्देह हो तो मत कीजिए... इसमें कौनसा पहाड़ उठा के लाना है। ये कौनसा राष्ट्रीय चर्चा का विषय है जो देश के करोड़ों लोगों ने हंगामा कर रखा है और आपकी माताश्री पत्रकारों को जवाब देते-देते थक गई हैं कि भाई उसे जब शादी करानी होगी, करा लेगा। अब आपकी दीदी प्रियंका यदि घर में भाभी लाने को उतावली हों, तो ये उनका अपना निर्णय है और उनको पूरा अधिकार है कि वे आप पर दबाव बना कर, अथवा प्यार से पुचकार कर आपको ब्याह के लिए राज़ी कर ले, लेकिन आम जनता ख़ासकर टी.वी. चैनल वालों को क्या मतलब है यार ? क्यों उनसे आपका सुख बर्दाश्त नहीं हो रहा ? क्यों वे आपकी आज़ादी और उन्मुक्तता झेल नहीं पा रहे ?
ये सच है सोनियानंदन ! कि जिसने शादी नहीं की उसने अपना जीवन बिगाड़ लिया, लेकिन मज़े की बात तो ये है, जिसने की उसने भी क्या उखाड़ लिया ? सो हे राजीवकुलभूषण ! आप शादी कराओ तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता और न करवाओ तो भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मैं तो केवल और केवल इतना कहना चाहता हूं कि यदि आपको ऐसा लगे कि आप शादी कराने के योग्य हो और वाकई गृहस्थी का भार उठाने के काबिल हो, तो करा ही लेना, ज्य़ादा देर मत करना। क्योंकि कुछ कार्य ऐसे होते हैं जो समय पर ही कर लेने चाहिए वरना कभी नहीं होते। शादी भी उन्हीं में से एक है, सही समय पे शादी हो गई तो ठीक, वरना सारी ज़िन्दगी यों ही रहना पड़ता है। मेरी बात का भरोसा न हो तो अपने आस-पास नज़र दौड़ाओ.... अनेक उदाहरण मिल जाएंगे... एपीजे अब्दुल कलाम, अटल बिहारी वाजपेयी, नरेन्द्र मोदी, ममता बनर्जी, जयललिता व मायावती जैसे कितने ही उदारहण आपके सामने हैं। ये लोग राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तो बन गए लेकिन शादीशुदा नहीं हो सके...क्योंकि इन लोगों ने केवल एक गलती की थी... अरे वही ...समय पर शादी नहीं करने की। अब ये लोग बहुत पछताते हैं...रात-रात भर मुकेश के दर्द भरे गाने गाते हैं... अरे भाई फूट-फूट के रोते हैं अपनी तन्हाई पर... लेकिन इनके आंसू पोंछने वाला, इनकी पप्पी लेकर जादू की झप्पी देने वाला कोई नहीं है.... अब नहीं है तो नहीं है, यार इसमें मैं क्या करूं ? मैं आऊं क्या ? मैंने कोई ठेका ले रखा है इनके आंसू पोंछने का ?
मैं तो ख़ुद अपनी शादी करा के पछता रहा हूं.... जब तक कुंवारा था, शेर था शेर.... किसी की परवाह नहीं करता था....जैसे आप नहीं करते हैं लेकिन जब से ब्याहा गया हूं एकदम पालतू खोत्ता हो गया हूं। पहले इतनी आज़ादी थी कि पलंग के दोनों ओर से चढ़ सकता था और दोनों ओर से उतर भी सकता था... अब तो ज़रा सी जगह में दुबक कर सोना पड़ता है क्योंकि बाकी जगह पर तो वो हाथी का अण्डा कब्ज़ा कर लेता है।
लोगबाग़ मुझे छेड़ते हैं। कहते हैं यार खत्री ! तेरी पत्नी तो तूफ़ान है तूफ़ान, पूरे मौहल्ले को हिला रखा है.. मैं कहता हूं यार, बधाई मुझे दो जो इस तूफ़ान में भी दीया जला रखा है। सो हे इन्दिराजी के लाडले पौत्र... मिलाओ जल्दी से कुण्डली व गौत्र और हो जाओ हमारी तरह ज़ोरू के गुलाम। हो जाओ ना भाई.... प्लीज......
भई आप बालिग हैं, अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं, अपने निर्णय स्वयं कर सकते हैं। जीवन आपका वैयक्तिक है, घर-संसार आपका वैयक्तिक है और शरीर भी आपका ही वैयक्तिक है तो हम कौन होते हैं आपकी खीर में चम्मच चलाने वाले... यदि आपको लगता है कि सब कुछ ठीक-ठाक है, कहीं कोई प्रोब्लम नहीं है तथा शादी के बाद आप सारी ज़िम्मेदारियां अच्छे से निभालेंगे तो कर लीजिए... और यदि ज़रा भी सन्देह हो तो मत कीजिए... इसमें कौनसा पहाड़ उठा के लाना है। ये कौनसा राष्ट्रीय चर्चा का विषय है जो देश के करोड़ों लोगों ने हंगामा कर रखा है और आपकी माताश्री पत्रकारों को जवाब देते-देते थक गई हैं कि भाई उसे जब शादी करानी होगी, करा लेगा। अब आपकी दीदी प्रियंका यदि घर में भाभी लाने को उतावली हों, तो ये उनका अपना निर्णय है और उनको पूरा अधिकार है कि वे आप पर दबाव बना कर, अथवा प्यार से पुचकार कर आपको ब्याह के लिए राज़ी कर ले, लेकिन आम जनता ख़ासकर टी.वी. चैनल वालों को क्या मतलब है यार ? क्यों उनसे आपका सुख बर्दाश्त नहीं हो रहा ? क्यों वे आपकी आज़ादी और उन्मुक्तता झेल नहीं पा रहे ?
ये सच है सोनियानंदन ! कि जिसने शादी नहीं की उसने अपना जीवन बिगाड़ लिया, लेकिन मज़े की बात तो ये है, जिसने की उसने भी क्या उखाड़ लिया ? सो हे राजीवकुलभूषण ! आप शादी कराओ तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता और न करवाओ तो भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मैं तो केवल और केवल इतना कहना चाहता हूं कि यदि आपको ऐसा लगे कि आप शादी कराने के योग्य हो और वाकई गृहस्थी का भार उठाने के काबिल हो, तो करा ही लेना, ज्य़ादा देर मत करना। क्योंकि कुछ कार्य ऐसे होते हैं जो समय पर ही कर लेने चाहिए वरना कभी नहीं होते। शादी भी उन्हीं में से एक है, सही समय पे शादी हो गई तो ठीक, वरना सारी ज़िन्दगी यों ही रहना पड़ता है। मेरी बात का भरोसा न हो तो अपने आस-पास नज़र दौड़ाओ.... अनेक उदाहरण मिल जाएंगे... एपीजे अब्दुल कलाम, अटल बिहारी वाजपेयी, नरेन्द्र मोदी, ममता बनर्जी, जयललिता व मायावती जैसे कितने ही उदारहण आपके सामने हैं। ये लोग राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तो बन गए लेकिन शादीशुदा नहीं हो सके...क्योंकि इन लोगों ने केवल एक गलती की थी... अरे वही ...समय पर शादी नहीं करने की। अब ये लोग बहुत पछताते हैं...रात-रात भर मुकेश के दर्द भरे गाने गाते हैं... अरे भाई फूट-फूट के रोते हैं अपनी तन्हाई पर... लेकिन इनके आंसू पोंछने वाला, इनकी पप्पी लेकर जादू की झप्पी देने वाला कोई नहीं है.... अब नहीं है तो नहीं है, यार इसमें मैं क्या करूं ? मैं आऊं क्या ? मैंने कोई ठेका ले रखा है इनके आंसू पोंछने का ?
मैं तो ख़ुद अपनी शादी करा के पछता रहा हूं.... जब तक कुंवारा था, शेर था शेर.... किसी की परवाह नहीं करता था....जैसे आप नहीं करते हैं लेकिन जब से ब्याहा गया हूं एकदम पालतू खोत्ता हो गया हूं। पहले इतनी आज़ादी थी कि पलंग के दोनों ओर से चढ़ सकता था और दोनों ओर से उतर भी सकता था... अब तो ज़रा सी जगह में दुबक कर सोना पड़ता है क्योंकि बाकी जगह पर तो वो हाथी का अण्डा कब्ज़ा कर लेता है।
लोगबाग़ मुझे छेड़ते हैं। कहते हैं यार खत्री ! तेरी पत्नी तो तूफ़ान है तूफ़ान, पूरे मौहल्ले को हिला रखा है.. मैं कहता हूं यार, बधाई मुझे दो जो इस तूफ़ान में भी दीया जला रखा है। सो हे इन्दिराजी के लाडले पौत्र... मिलाओ जल्दी से कुण्डली व गौत्र और हो जाओ हमारी तरह ज़ोरू के गुलाम। हो जाओ ना भाई.... प्लीज......
4 comments:
ये ्पढ़ कर तो राहुल मान जायेगें..
अलबेला जी,
इस लेख से पहले तो शायद राहुल बाबा इस विषय में सोचते भी , लेकिन अब कोई चांस नहीं है | ये तो अब ओखल में सर डालने वाली बात हो गयी है | बच्चे को तो डरा ही दिया आपने !!
बहुत बढ़िया
स्वप्न मंजूषा
ha ha ha ha
bhai waah ab to rahul baba ko manna hi padega
Rahul g kaam chal raha hoga varna hame barati banane me kya nuksaan bhala...? khair... Sateek evm Saamyik...
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