काश!
हम इतने समर्थ होते
काश!
यह हमारे वश में होता
तो वह मनहूस घड़ी
कभी आने नहीं देते
आपको इस तरह,
असमय जाने नहीं देते
भिड़ जाते हम नियति से,
घमासान मचा देते
खेल जाते प्राणों पर...
आपकी जान बचा देते
लेकिन नहीं ...
कोई उपाय नहीं था
इस विडम्बना से बचने का
कोई तोड़ नहीं था हमारे पास
काल रूपी उस काले अजगर का
जो देखते ही देखते
निगल गया,
समूचा निगल गया
लील गया
हमारी आंखों के सपनों को
उन सपनों के
कुशल चितेरे को
सम्भावनाओं के
भव्य सवेरे को
और हम
ठगे से रह गए
कुछ भी न कर सके
सिवा संताप के
सिवा रुदन के
काश!
हमारी भी कुछ चल जाती
काश!
यह दुःखान्तिका टल जाती
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
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