पलक झपकते उजड़ गए हैं कितने घर-परिवार
एक तलातुम ऐसा आया, मच गया हाहाकार
आँगन उजड़ा, छत उजड़ी, हाय! उजड़े दर-दीवार
आँसू रह गए, आंहें रह गईं, रह गई चीख पुकार
एक तलातुम ऐसा आया, मच गया हाहाकार
आँगन उजड़ा, छत उजड़ी, हाय! उजड़े दर-दीवार
आँसू रह गए, आंहें रह गईं, रह गई चीख पुकार
सत्यानाश हो इस आईला का जिसने बंगाल में कोहराम मचा दिया
6 comments:
dard...............
बड़ा जबरदस्त तूफान आया-कितनी तबाही कर गया, बहुत दुखद. रचना सब स्थितियाँ स्पष्ट कर रही है.
ye prkrti ka khel hai bhai....
bhai wah ...kya twarit tippani hai...
बंगाल में तूफ़ान ने तबाही मचाई, चलिए इसे तो प्राकृतिक आपदा मान लिया, परन्तु पंजाब के वर्तमान हालातों को क्या कहा जाएगा?? हिंसा और रोष का यह मानवजनित तांडव निंदनीय है......
साभार
हमसफ़र यादों का.......
बहुत-बहुत-बहुत उम्दा और गहरा सन्देश अलबेला जी....हम तो इसी तर्ज़ पर चलते आयें हैं....और औरों को भी यही कहा है....!!
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