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Albela Khatri

रह गई चीख पुकार

पलक झपकते उजड़ गए हैं कितने घर-परिवार


एक तलातुम ऐसा आया, मच गया हाहाकार


आँगन उजड़ा, छत उजड़ी, हाय! उजड़े दर-दीवार


आँसू रह गए, आंहें रह गईं, रह गई चीख पुकार


सत्यानाश हो इस आईला का जिसने बंगाल में कोहराम मचा दिया

6 comments:

cartoonist ABHISHEK May 26, 2009 at 8:22 PM  

dard...............

Udan Tashtari May 26, 2009 at 9:07 PM  

बड़ा जबरदस्त तूफान आया-कितनी तबाही कर गया, बहुत दुखद. रचना सब स्थितियाँ स्पष्ट कर रही है.

लोकेन्द्र विक्रम सिंह May 26, 2009 at 9:31 PM  

ye prkrti ka khel hai bhai....

योगेन्द्र मौदगिल May 26, 2009 at 9:48 PM  

bhai wah ...kya twarit tippani hai...

Anonymous May 27, 2009 at 11:58 AM  

बंगाल में तूफ़ान ने तबाही मचाई, चलिए इसे तो प्राकृतिक आपदा मान लिया, परन्तु पंजाब के वर्तमान हालातों को क्या कहा जाएगा?? हिंसा और रोष का यह मानवजनित तांडव निंदनीय है......

साभार
हमसफ़र यादों का.......

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) May 28, 2009 at 8:41 AM  

बहुत-बहुत-बहुत उम्दा और गहरा सन्देश अलबेला जी....हम तो इसी तर्ज़ पर चलते आयें हैं....और औरों को भी यही कहा है....!!

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