वतन की राह में बलिदान करने चल दिए
हम अपने आपको क़ुरबान करने चल दिए
वतन की राह में...
ख़ुदारा अब हमारे दुश्मनों की ख़ैर हो
नहीं मुमकिन हमारी सरज़मीं पे ग़ैर हो
हम उनकी मौत का सामान करने चल दिए
हम अपने आपको क़ुरबान करने चल दिए
वतन की राह में...
किसी में दम हो तो आकर हमें अब रोक ले
पीया हो दूध मॉं का तो हमें अब टोक ले
कि वन्दे मातरम् का गान करने चल दिए
हम अपने आपको क़ुरबान करने चल दिए
वतन की राह में...
जो अब टकराएगा हमसे वो मारा जाएगा
कि सीधा मौत के रस्ते उतारा जाएगा
जहां में आज ये ऐलान करने चल दिए
हम अपने आप को क़ुरबान करने चल दिए
वतन की राह में...
बड़ा अरमान था जिसका ये दिल वो पा गया
लो अब फ़ौजी को सरहद से बुलावा आ गया
फ़तेह अब हम विजय अभियान करने चल दिए
हम अपने आप को क़ुरबान करने चल दिए
वतन की राह में...
* यह गीत उन जांबाज़ सैनिकों की ओर से है जिन्हें सरहद से बुलावा आया है और वे घर से निकल कर पूरे उत्साह के साथ सीमा की ओर जा रहे हैं अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए तैनात होने को
-अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
2 comments:
bahut badhiya geet likha hai aapne. yadi koi sainik ise padhega to uska utsaah jarur badhega..
और नेताओं के जो दामाद यहां फांसी के इंतज़ार में बैठे हैं, तिहाड़ में, उनके लिए भी तो कुछ लिखिए.
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