चूँकि गोंदिया का कवि सम्मेलन अचानक तय हुआ था इसलिए
बनी बनाई सारी रेल टिकटें रद्द करवा के नई बनवानी पड़ीं...........
अब मज़े की बात ये है कि खरगोन में जब मैं टिकट बनवाने गया
गोंदिया से सूरत की तो टिकट खिड़की पर बैठे सज्जन ने कहा कि
8405 पुरी-अहमदाबाद ट्रेन एकदम पैक है ... एसी-2 टायर में 12 और
एसी 3 टायर में 28 waiting है जो कि conform हो ही नहीं सकती,
तो मैंने स्लीपर क्लास में waiting 40 का टिकट निकाल लिया
क्योंकि इसके conform होने के चान्सेस ज़्यादा होते हैं
सुबह पता किया तो conform नहीं हुई थी......... अब रात भर का जागा
हुआ मैं दोपहर एक बजे जब गाड़ी में चढ़ने लगा तो कई दिनों की थकान
असर दिखा रही थी ...भीड़ भी बहुत थी लेकिन मैं चढ़ ही गया s-11 में और
इन्तज़ार करने लगा टिकट चैकर का ताकि मुद्राबाण मार के एक शायिका का
शिकार कर सकूँ ........... लेकिन आधे घंटे तक भी कोई नहीं आया तो मैंने सोचा
क्यों न एसी में try किया जाए,
मैंने सामान रखा और बाजू वाले डिब्बे b-1 में गया जहाँ मुझे देखते ही tti
बोले- आओ कविराज ! मैंने कहा - आप जानते हैं मुझे ? बोले- बिल्कुल
जानते हैं और ये भी जानते हैं कि आप इस वक्त सूरत जा रहे हैं ........
मैं हैरान रह गया। जाइए, 50 नंबर पर आराम कीजिये, मैं बाद में आता हूँ ।
जब tti ने यों कहा तो मेरी बांछें खिल गईं .
चलो काम बन गया, मैं मन ही मन खुश हुआ और अपना सामान वहां से वहां
ला कर आराम से लेट गया...........नागपुर में आँख खुली तो tti मेरे सामने थे
और चाय वाला चाय लिए खडा था.......मैंने चाय पी, लेकिन चाय वाले ने
पैसे नहीं लिए ........खैर मैंने 1000 रूपये का नोट निकाला और टिकट के
साथ tti को थमा दिया। tti ने तुरन्त टिकट को टिक किया और 500-500
के दो नोट मुझे पकड़ा दिए । मैं हैरानी से उन्हें देखने लगा तो बोले- मज़े करो......
मैंने कहा- डिफ़रेंस तो ले लो श्रीमान ! वो बोले - ज़रूरत नहीं..........
बहुत बाद में उन्होंने बताया कि मेरा टिकट अपग्रेड हो कर एसी में conform
हो गया था । फ़िर तो सफ़र बहुत ही शानदार कटा क्योंकि नींद मेरी उड़ गई थी
उस चेहरे को देख कर जिसे मैंने रात भर बड़े नज़दीक से देखा और खूब बातें
भी कीं ।
वो चेहरा मैं शायद कभी न भूल पाऊं ..........उसकी बातें कभी न भूल पाऊं ...लेकिन
मैं चाहता हूँ कि वो मुझे भूल जाए.............क्योंकि वो चेहरा किसी एक के घर की
इज्ज़त है.........और मैं एक आवारा बादल हूँ...........जो जहाँ नमी देखता हूँ,
वहीं बरस जाता हूँ. लेकिन इतना वादा ज़रूर करता हूँ उस चेहरे से कि
तेरा ख्याल सदा मेरे साथ रहेगा.........जो तूने सबकी नज़रों से छिपा कर मुझे
थमा दिया, तेरे मोबाइल नंबर वाला वो गुलाबी रुमाल सदा मेरे साथ रहेगा.....
आपका बहुत बहुत धन्यवाद भारतीय रेल जी ! रेल विभाग जी ! अगर आप
मेरा टिकट अपग्रेड न करते तो न कल मेरी देह को आराम मिलता और न ही
अरमानों को नई उड़ान मिलती..............
रुमाल बहुत प्यारा है .....बहुत प्यारा है
मैं इसे सहेज कर रखूँगा घर में भी.............दिल में भी.......... लेकिन आपको
रुमाल वाले का नाम नहीं बताऊंगा .....हरगिज़ नहीं बताऊंगा.......... वरना आप
गुड्डू कि माँ को बता दोगे ..और वो मेरा ऐसा काव्यपाठ करेगी कि पूरा मोहल्ला
तालियाँ बजायेगा.................हा हा हा हा हा हा हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
9 comments:
हा-हा-हा-हा , तकिया के नीचे गिलाफ के अन्दर रखना श्रीमान, कही श्रीमतीजी न देख ले ! एक रोचक प्रसंग के लिए शुक्रिया !
एक रोचक प्रसंग के लिए शुक्रिया !
हा...हा...हा... बहुत ही रोचक प्रसंग...
आपके मज़े हैँ...अपुन ने तो जब से डेली पैसैंजरी छोड़ी है...किसी बाला के दर्शन ही नहीं होते..अब तो घर से सीधा काम पर और काम से सीधा घर पर :-(
कसम से!...अब तो पूरा एक साल हो गया है किसी बाला को नज़दीक से देखे हुए...उम्मीद है कि आप मेरी व्यथा को समझते हुए अपनी पूरी सहानुभूति मेरे साथ रखेंगे
लगता है अब रेल मे ही सफ़र करना पड़ेगा।
चलिये आप सकुशल घर पहुंच गये बधाई । (इन दिनो ऐसा चलन है कि कोई कवि यात्रा से वन पीस लौटकर घर आ जाता है तो उसे बधाई देते है ,हमारे मित्र नीरज पुरी ,और अन्य नही लौट पाये थे )
हा..हा.. रुमाल वाला बोले तो ... कहीं आप ..... दोस्ताना....नहीं नहीं... भाई ये गड़बड़ झाला है ! वापसी पर आपका जोरदार स्वागत है !!
हरगिज़ नहीं बताऊंगा..........हा हा हा हा हा हा हा हा
बहुत सुंदर लगा, चलिये आप को सीट तो अच्छी मिल गई ओर पडोसी भी....
धन्यवाद
भइया जी!
अब रेल ममतामयी भी है और
ममतामय भी है।
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