मै सूरत में रहता हूँ । मेरे बड़े भाई साहेब जयपुर में और मेरी माताजी भी
वहीं रहती हैं । हर बार दिवाली पर मैं वहाँ जाता हूँ और सब लोग एक साथ
त्यौहार का आनन्द लेते हैं लेकिन इस बार कविसम्मेलनों की तारीखें
ऐसी फँसी कि दुविधा में पड़ गया............
17 की दिवाली थी और 18 को वरुड (महाराष्ट्र) में प्रोग्राम था, 19 और 20
को भुवनेश्वर - कोलकाता और 23 को छिंदवाडा में कवि-सम्मेलन था.....
....अगर माँ से मिलने जयपुर जाता हूँ तो कम से कम दो प्रोग्रामों का
नुक्सान होता है और प्रोग्राम करता हूँ तो माँ की खुशियों का नुक्सान होता है
.......बड़ी मुश्किल में था..........आख़िर निर्णय लिया कि प्रोग्राम छोड़ कर
जयपुर ही जाऊंगा,,,,,,,,,,,, प्रोग्राम तो फ़िर आते जाते रहेंगे.............माँ तो
बस जब तक है तभी तक उसके श्रीचरणों को दबाने का सुख मिलेगा....
बाद में चाहे कितना ही रोऊँ वो नहीं आएगी......
मैं चला गया जयपुर ....हालाँकि दिवाली के दिन नहीं बल्कि दो दिन बाद ही
गया लेकिन तब भी माँ बहुत खुश हुई
भले ही मैं दुनिया का सबसे नालायक बेटा हूँ लेकिन माँ को
अपने बेटे में कोई बुराई दिखती ही नहीं .....
तीन दिन बाद जब मैं छिन्दवाडा गया तो ....जैसे चमत्कार हो गया.....
वेस्टर्न कोल फील्ड की मोहन कोलरी में जहाँ प्रोग्राम था वो एक ऐसी
जगह थी जहाँ पहुंचना ही मेरे लिए सौभाग्य की बात थी.............
क्योंकि वह स्थान था हिंगलाज ! हिंगलाज यानी हमारी कुलदेवी माँ
हिंगलाज का विश्वप्रसिद्ध शक्तिपीठ जहाँ माँ जगदम्बा की उपस्थिति
का आभास साक्षात् होता है.......
मैंने दर्शन किए.......आँसू थम नहीं रहे थे हर्ष के और भवानी की अनुकम्पा
के..........बहुत आनन्द आया........और ये आनन्द इस लिए आया क्योंकि
मैंने जयपुर जा कर पहले सगी माँ को नमन कर लिया था.......
वरना ये भी कहाँ हो पाता ..
घणी खम्मा माँ.................thank you maa !
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
8 comments:
waah! aapko aapki kuldevi ke darshan hue saubhagya ki hi baat hai....ishwar aap par sadaiv kripa banaye rakhe
sadar
priya
बिलकुल सही कहा आपने...माँ के चरणों में जो सुख मिलता है...वो कहीं और नहीं मिलता लेकिन कई बार हम में से बहुत से..अनजाने में या फिर जानबूझ कर माँ की महत्ता को अनदेखा कर उसे भूलने में ही अपना गौरव समझते हैँ
वन्दे मातरम् - माँ तुझे सलाम !!
अलबेला जी आने तो मुझे भी भावुक कर दिया....आपका फैसला बिलकुल ठीक था...ये सारी उपलब्धियां जो आपको मिलती हैं, वो माँ ही तो बरसाती है.....
अरे वाह!! हिंगलाज के दर्शन हो गये..जय हो!!
माता जी का प्यार खींच कर घर में लाया।
माँ के आँचल में ही मिलती आशीषों की छाया।
श्रद्धा और स्नेह की मूरत जग में केवल माँ है,
माता के चरणों में ही सबका स्वर्ग समाया।।
दोनों माँओं के दर्शन कर लिए ..अच्छा किया.
अभिनंदन है।
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