प्यारे बन्धुओ व बान्धवियो !
पिछले कई दिनों से अनेक मित्रों की ये शिकायत थी कि मैं अपने ब्लॉग पर
गम्भीर और सार्थक आलेख कम छापता हूँ और हास्य व्यंग्य की हलकी फुलकी
बातें ज्यादा छापता हूँ जिसके चलते साहित्यिक अभिरुचि के गम्भीर पाठक इसे
पसन्द नहीं करते और जुड़ने में संकोच करते हैं । उनका कहना था कि जब मैं
साहित्यिक रचनाएं भी लिखता हूँ तो फ़िर ये कचरा ( हास्य-व्यंग्य ) क्यों फैलाता
हूँ अपने ब्लॉग पर........... मैंने सबकी बात विनम्रता पूर्वक सुनी और अब उसका
जवाब सार्वजनिक तौर पर दे रहा हूँ..........
पहली बात तो मैं कोई साहित्यकार नहीं, एक मामूली तुक्कड़ हूँ जो तुक
मिला मिला कर शब्दों से अर्थ कमाता हूँ और ये केवल मेरी रूचि नहीं
बल्कि रोज़ी-रोटी भी है । भले ही लोग मेरी कविताओं,गज़लों, गीतों तथा
पैरोडियों पर उछल उछल कर दाद देते हैं और खूब पसन्द करते हैं लेकिन मैं
जानता हूँ कि मैं कविता का क भी नहीं जानता हूँ । बस ईश्वर की कृपा है ।
दूसरी बात ये है कि मैं स्वभावतः मौज मस्ती वाला आदमी हूँ और बड़े से बड़े
दुःख को भी एन्जॉय करता हूँ ...उस पर रोता नहीं.........इसीलिए आज तक
टिका हुआ भी हूँ वरना मुझे उठाने में लोगों ने कोई कसर नहीं उठा रखी थी ।
रही बात हास्य व्यंग्य की तो वह मेरे लिए कचरा नहीं है, अगर आपकी नज़रों
में है तो भी मेरे लिए ये हेय नहीं है क्योंकि अभी तक की मेरी सारी यात्रा मैंने
इसी नाव से तय की है ......अब कुछ हासिल होजाने पर मैं इसके साथ कृतघ्नता
कैसे कर सकता हूँ....?
लिहाज़ा आपकी असुविधा व अपनी सुविधा के दृष्टिगत मैंने एक और ब्लॉग
शुरू कर दिया है जिस पर मुख्य रूप से मैं कवि सम्मेलन व अपने विविध
कार्यक्रमों की जानकारी, रिपोर्टें छापूंगा तथा हास्य-व्यंग्य प्रकाशित करूंगा
ताकि ज़माने को हँसाने व ख़ुशी देने का काम अनवरत चलता रहे... मेरे वीडियो
और चुटकुले भी आज के बाद वहीं उपलब्ध रहेंगे ..इस ब्लॉग पर सिर्फ़ गीत,
ग़ज़ल और आलेख इत्यादि ही छापूंगा..........
सो मेरा आप सभी हास्य प्रेमियों व कला प्रेमियों से कर बद्ध निवेदन है कि
कभी कभी मेरे नए ब्लॉग हास्यकवि अलबेला खत्री पर भी पधारते रहें ॥
मेरे नए ब्लॉग का लिंक है
http://hindihasyakavisammelan.blogspot.com/
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
16 comments:
बहुत बढिया अलबेला भाई...मुबारक हो आपको नये ब्लोग की शुरूआत की..और शुभकामना भी
आपके नये ब्लॉग का स्वागत है |
वैसे एक बात बता दू - हमें तो आपके ब्लॉग पर कभी कचरा नजर नहीं आया | पता नहीं किन लोगो को आपकी हास्य कविताए कचरा लगती है |
dHERO BADHAYI .....ALBELA JI
BAHUT BAHUT BADHAYI......ALBELA JI
नए ब्लॉग पर बधाई सन्देश तो हम कल ही दे आये थे, यहाँ भी ले लीजिये....
नए ब्लॉग की बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं |
आप के नए ब्लाग को देख आए हैं। हालांकि मेरा मानना है कि एक ही ब्लाग पर्याप्त होता है। हम अपनी सामग्री को शिड्यूल कर के रख सकते हैं और पूरे माह का क्या चाहें तो पूरे साल का माल डाल कर रख सकते हैं। उस से हमें समय भी मिलता रहता है और ब्लाग भी खाली नही रहता। पोस्ट भी अधिक होती हैं तो पाठक भी अधिक मिलते हैं।
आपका फैसला अति उत्तम है खत्री जी! हम जरूर आते रहेंगे आपके नये ब्लॉग में।
यदि मैं यहाँ पर यह बताऊँ कि वाल्मीकि रामायण में रुचि रखने वाले पाठकों को ध्यान में रखकर आज से एक नया ब्लॉग "संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" शुरू किया है तो मुझे आशा है कि आपको कोई ऐतराज नहीं होगा और आपके नये ब्लॉग के साथ ही साथ लोग मेरे भी इस नये ब्लॉग को जानने लगेंगे।
जनाब हमें तो यह बताइये किधर सांकल नहीं लगी होगी, क्यूंकि मेरी दिली ख्वाहिश है कि आपका ब्लाग पहले की तरह top 40 में रहे, इसके लिये इनमें नहीं तो तीसरा सही एक खुली सांकल का जरूर हो, माले मुफ्त दिले बेरहम ,
स्वागत है खत्रीजी आपके नए ब्लॉग का . शुभकामनाये
बहुत सुन्दर अलबेला जी, आपने कहा की आप कवी नहीं बस हलकी फुल्की तुक बंदी कर लेते हैं ! जिनको आप हलकी पुलकी कहते हैं असल तो वही हैं वरना साहित्यों से कबाट भरे पड़े रहते हैं कौन पढ़ता है ! ये हलकी पुलकी लिखना सबके बस की बात नहीं जो आम और ख़ास दोनों का मनोरंजन करे !!
आपना नया ब्लॉग भी दूधों नहाए...पूतों फले
नये ब्लोग की मुबारकबाद
बधाई हो जी.ब्लोंगो फ़लो पोस्टो नहाओ
नए ब्लॉग की बधाई !!!
किसी को हंसाने जैसे काम से पवित्र कोई काम हो ही नहीं सकता...आप सच में बहुत महान काम कर रहे हैं....इसे कचरा कहना इस कला का अपमान है...ये कला हर किसी को उपलब्ध नहीं होती...रोना तो सब जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग ही दिल से हंस-हंसा सकते हैं...आपने अपना अलग ब्लॉग बनाया है ये बात ठीक है लेकिन हास्य को दोयम दर्जा मानने वालों के कहने पर बनाया है ये बात गलत है...जो हंस नहीं सकता वो ग़ज़ल क्या ख़ाक समझेगा...???
ग़ज़ल समझने के लिए इंसान का जिंदादिल होना लाज़मी है.
नीरज
naya blog start karke ke liye bahut bahut badhayiya
-Sheena
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