आज देव उठनी एकादशी है
यानी आज देवता उठ गए हैं
चार माह की नींद पूरी करके..............
उठते ही पहला काम ये किया कि
तुलसी विवाह में सम्मिलित हुए..........
वाह जी वाह !
अब कल से लोगों की शादियाँ शुरू
ये तो बड़ी भारी गड़बड़ होगई गुरू
क्या कुंवारों का सुख देखा नहीं जाता दुनिया वालों से..........
क्या जल्दी थी देवताओं को उठाने की.........
करने देते थोडा आराम !
आख़िर ऐसा क्या है हमारे पास
जिसे देख कर वे प्रसन्न होंगे..........
वेदना ही होगी उन्हें हमारे हालत देख कर.........
___मगर ये प्रोब्लम तो देवताओं की है, वे निपट लेंगे इस से
मेरी जिज्ञासा तो ये है कि
देवता अगर आज तक सो रहे थे तो हम पूज किसे रहे थे ?
कृष्णाजी सोये थे और हमने जन्माष्टमी मनाई........
सरस्वतीजी सोयी थीं
और हमने बसंत पंचमी को उनका हैप्पी बर्थ डे मना लिया
गणेश जी सोये थे और हमने ११ दिन तक
ढोल बजा बजा कर उनकी नींद ख़राब की
और तो और स्थापना से ले कर विसर्जन भी कर दिया
भवानी सोयी रह गईं और हमने नवरात्रि में गरबा गा लिए
और तो और
दिवाली की रात महालक्ष्मी जी आराम से निद्रा मग्न थीं
और हम बाट जोहते रहे कि अब आएँगी अब आएँगी..........
आती कैसे....
उन्हें ख़बर ही कहाँ...कि मैं बुला रहा था दीये बाल बाल कर......
यानी मेरा आह्वान बेकार गया...........
मेरे पटाखे फोकट ही खर्च हो गए ?
तभी मैं सोचूं कि लक्ष्मी जी आई क्यों नहीं.........
अगली बार ध्यान रखूंगा,,,,,,,,,,
आप भी याद रखना,,,,,,,,,,
देवताओं के उठने के बाद ही दिवाली मनाना
पर यार !
क्या देवता भी सोते हैं ?
क्या ये भी आराम करते हैं.........
समझ नहीं आ रहा भाई .पूछना होगा किसी विद्वान् से
संगीता जी सुनती हो.....................
वत्स जी सुनते हो............
कृपया इस बालक की जिज्ञासा मिटाइये
शास्त्र क्या कहता है, ज़रा हमें भी बताइये
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
-
शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
6 comments:
अलबेला जी भगवानो के नोअकर बगेरा सारा हिसाब किताब देखते है, ओर भगवान सोते रहते है, अब देखो सारे भारत मै लोग भोपू की तत्रह से चीख चीख कए पुकारते है, कई तो सुबह सुबह स्पीकर से आवाजे देते है, अब भगवान कब सोये,
हम ने सलाह दी कि है भगवान जी आप दो चार नोकर रख लो, बस तभी से भगवान चादर ओर ओड कर मस्ती से सोते है, जब कभी आंख खुली तो भांग पी फ़िर से मस्त, अगर जनता ज्यादा चिलाती है तो ऊपर से सारे साल का पानी एक बार मै ही फ़ेंक दिया... ओर फ़िर मस्त
अल्बेला जी, आपकी जिज्ञासा का समाधान ये रहा हर साल ये देवता सोने क्यूँ चले जाते हैं? (देवशयन)
भई हम तो रोज मन्दिर के सामने से गुजरते हुए देखते है वहाँ 9 बजे के बाद पर्दा लगा होता है एक दिन पुजारी से पूछ तो उसने बताया रात को वह तो डेली सोते है । और सुबह उठते भी है ।
आपका चिंतन बिल्कुल सही है !!
मनुष्य में बस गए हैं देवता
जो सोते भी हैं जागते भी हैं
जब जागना होता है
भ्रष्टाचार के खिलाफ
तो सो जाते हैं
जब सोना होता है
नहीं लेना चाहिए रिश्वत का माल
तब जाग जाते हैं
मनुष्य इसीलिए देवता नहीं हो पाया
देवता मनुष्य हो गए हैं
मुझे नहीं लगता कि आपको
अब भी कुछ और जवाब की दरकार है
न वत्स जी और न संगीता जी
किसी को भी परेशान मत कीजिएगा
दोनों ने और देवताओं ने
मुझे ही अपना वकील मुकर्रर किया है।
अलबेलाजी, दरअसल देवता तो कब के सोये हुए हैं !! ताज्जुब की बात ये हैं की हम कहते हैं उठ गए !! नहीं उठे ये जब उठेंगे तो अपने आप पता चल जाएगा !!अगरबती जलाने से महक अपने आप आ जाती है !!!
Post a Comment