ताऊ रामपुरिया का फोन
इन्दौर से बड़वानी जाना था...... सोचा था कि ताउजी के दर्शन करता चलूँ ,
लेकिन ताउजी ने कह दिया कि वे तो चार बजे के बाद फ्री होते हैं लिहाज़ा
मैंने रेलवे स्टेशन पर उतरते ही टैक्सी का पता कर लिया और अपने अन्य
कवि मित्रों का इंतज़ार करने लगा जो कि आधा घंटे तक वहाँ पहुँचने वाले थे ।
तभी ताउजी का फोन आगया..." कहाँ हो ?" मैंने कहा- आपकी नगरी में हूँ
और टैक्सी वाले से माथा मार रहा हूँ तो उन्होंने कहा- " आजाओ, मेरे यहाँ
आजाओ, टैक्सी भी यहीं बुलवा लेंगे.........मैं पहुँच गया ताऊजी के सामने,
मुलाक़ात हुई और बहुत बढ़िया मुलाक़ात हुई...........बहुत सी सार्थक बातें हुईं
मज़ा आया......... ताउजी ने कहा किसी भी ब्लोगर को फोन करलो... उनके
यहाँ से सबके तार जुड़े हुए हैं ........ तभी एक वरिष्ठ ब्लोगर का फोन आया ,
ताउजी ने मुझे उठाने के लिए कहा , मैंने उठाया और ताऊ बन के बात की,
बताया कि अलबेला खत्री आए हुए हैं । संयोग से वे मुझ पर कृपालु निकले॥
बोले- बहुत टैलेंटेड लड़का है..........मैंने भी हाँ में हाँ मिलादी और फोन ताऊ को
पकडा दिया ..यह कह कर कि लो अलबेला से बात करो...
ताऊ ज़ोर से हँसे और बोले कि ताऊ तो मैं बोल रहा हूँ अभी तक आप अलबेले
से ही बात कर रहे थे.........खैर ताउजी ने जब कहा कि भोजन तैयार है तो
आनन्द दुगुना हो गया क्योंकि भोजन भी दुगुना हो गया था - ताऊ के यहाँ
भी भोजन और वहां कवि मित्र अतुल जवाला के घर भी भोजन ..सो मैंने
अल्पाहार लिया तब तक ताउजी ने बढ़िया टैक्सी बुलवा दी ..वो भी कम बजट
में ....... टैक्सी इतनी बढ़िया थी कि जब तक उसमे मेरे साथ एक कवयित्री बैठी
थी, उसने कोई न नुकुर नहीं की, लेकिन जैसे ही अगले दिन सुबह कवयित्री को
वापस अतुल जवाला के घर छोड़ कर मैं एयर पोर्ट की तरफ़ बढ़ा ...ससुरी पंक्चर
हो गई, वो तो चालक ने तुरन्त चक्का बदल दिया वरना रायपुर की उड़ान छूट ही
जाती........
बहुत बहुत आभार और धन्यवाद ताउजी...............राम राम .......
अनिल पुसदकर का फौव्वारा
रायपुर पहुँचते ही बी एस पाबला जी का फोन आ गया कि वे और
शरद कोकास दुर्ग से रवाना हो रहे हैं और अनिल पुसदकर जी ने रायपुर प्रेस
क्लब में प्रेस मीटिंग रख दी है । मैं झटपट जयस्तंभ चौक पर राधिका होटल
पहुंचा, तब तक पाबलाजी और कोकासजी आ धमके... बोले - चलो, प्रेस मीट
का टाइम हो गया । मैंने कहा भले आदमियों ! नहाने तो दो, कुछ खाने तो दो,
वे बोले - खाना वहीं खाएँगे, केवल नहा भर लो... तो बन्धुओ, मैं जल्दी से तैयार
हुआ और नीचे पाबला जी के सौजन्य से कई गिलास अनार जूस पिया और
पहुँच गए भारत के सबसे शानदार, जानदार और वैभव सम्पन्न प्रेस क्लब
यानी रायपुर प्रेस क्लब........पत्रकार संघ के अध्यक्ष अनिलजी पुसदकर ने
बड़ी गर्म जोशी से मेरा स्वागत और अभिनन्दन किया तथा पत्रकार बन्धुओ
ने खूब खोद खोद कर मुझसे प्रश्न किए जिनके मैं जवाब देता गया और महफ़िल
जवान होती गई......... अन्त में श्री पुसदकर ने RPC का स्मृति चिन्ह भेन्ट किया
तब तक राजकुमार ग्वालानाजी व ललित शर्मा जी भी आ गए और जलपान भी........ पुसदकरजी
ने जब बोलना शुरू किया तो हँसते हँसते पेट में बल पड़ गए...पाबलाजी ने अपने
ख़ास कैमरे द्वारा ख़ास अन्दाज़ में सबके फोटो खींचे और रायपुर प्रेस क्लब का समूचा
परिसर हमारे ठहाकों और जुमलों से गूंज उठा...........
शाम ढलते ही पुसदकरजी हमें ले गए अपने फार्म हाउस ...जहाँ शाम-ए-जश्न की
रंगीनियाँ हमारा इन्तज़ार कर रही थी...चार घंटे चले इस मौज मेले में हम सबने
खूब आनन्द लिया ..हम सब का मतलब , हमारे अलावा अनिलजी के और भी
अनेक मित्र सम्मिलित थे........उनका फॉर्म हाउस भी उनके प्रेस क्लब की
भान्ति अनूठा है........अभिनव है और सुन्दर है.....सबसे अलबेली बात तो ये है
कि उनके फार्म हाउस में बे मौसम भी मेंढकों की टर्र टर्र सुनी जा सकती है।
क्योंकि वहाँ एक ऐसे अद्भुत फौव्वारे को स्थापित किया गया है जिसकी बौछार
मेंढकों को बरसात का ही आभास कराती है..........कमाल का है वो फौव्वारा....
कभी जाइयेगा..और देखिएगा..मज़ा आ जाएगा...
धन्य हो पुसदकर जी ! आपने मेरी रायपुर यात्रा को यादगार बना दिया.......
___________शेष विशेष अगले अंक में...........
____अरे भाई, गुड्डू की माँ को भी तो सम्हालना है...
कहीं ऐसा न हो कि यात्रा का इतिहास लिखते लिखते
मेरे घर का भूगोल बिगड़ जाए.......हा हा हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
11 comments:
गज़ब की रही ये यात्रा तो. इतने सारे मित्र ब्लोगर्स से मुलाकात और रंगीनियाँ. बधाई
बढ़िया टूर रहा आपका, आनंद आ गया पढ़ कर !
बहुत सुंदर अलबेला जी मजा आ गया, कभी मिलेगे जरुर...
धन्यवाद
बहुत बढिया अलबेला जी
चलो इस बहाने आपके टूर का कुछ आनन्द हमने भी ले लिया.
चल फिर कभी मिलेंगे किसी मोड़ पर..हम भी इंदौर में ही रहते हैं, लेकिन ताऊ से बड़े नहीं इस लिए याद नहीं रहे होंगे।
वाह बधाई हो !! लगता है हम भी जाकर आ गए !!
पढते वक्त ऐसा लग रहा था जैसे मैँ भी आप ही के साथ घूम रहा हूँ ...बहुत ही बढिया वृतांत
यह बात् हुई ना अलबेला भाई । वरना आप भी कहाँ आते ही किन किन लोगो को याद करने लगे .. छोड़िये उन्हे और सुनाइये आगे के हाल । रायपुर के बाद ,चारामा धमतरी,कांकेर फिर दुर्ग भिलाई तक के गवाह तो हम है .. उसके बाद ?
अपना ताऊ तो जिन्दादिल है और यारों का यार भी है।
आप दोनों को बहुत बधाई!
आपका रायपुर का संस्मरण पढ़कर तो अपना भी मन हो आया है कि
श्री पाबला जी, शरद कोकास और अनिल पुसदकर जी के यहाँ हो आया जाए।
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