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ग़लत गिरेबां पे हाथ डाल दिया मोहम्मद उमर कैरानवी ! जिसे तुम दही समझ कर खाना चाहते हो..वो कपास है

प्यारे भाई मोहम्मद उमर कैरानवी !

बहुत उत्साही लाल दिखते हो,

तुम्हें पता ही नहीं उत्साह में तुम क्या क्या लिखते हो........

____
लेकिन आज तुमने गलती कर दी

____गलती नहीं गलता कर दिया !!!!!

ग़लत गिरेबां पे हाथ डाल दिया.....

तुम जिसे दही समझ कर खाने आए हो, वो दही नहीं कपास है

और ये गलती तुमने इसलिए कर दी क्योंकि

तुमने अभी उड़ती-उड़ती ही देखी है, फँसती हुई नहीं देखी

जिस दिन देख लोगे ..तौबा कर लोगे !

क्योंकि मैं वो नहीं जो ये मानते हैं -


जो ताको काँटा बुवै, ताहि बोव तू फूल

तोहि फूल को फूल है, वाको है तिरसूल


मैं तो ये मानता हूँ कि

जो ताको कांटा बुवै , ताहि बोव तू भाला

वो भी साला याद रखेगा, किससे पड़ा है पाला


तुम्हारी हर टुच्ची बात का मैं जवाब दूँ इतना समय मेरे पास कहाँ ?

आज के दिन कई प्रोग्राम हैं ..........

मुझे इन्दिराजी पर भी बोलना है और सरदार वल्लभ भाई पटेल पर भी

अब तुम इतना तो समझ ही सकते हो कि

समन्दर में तैरने वाले नाले-नालियों में पाँव नहीं धोते....

इसलिए आज तुम्हें समय देता हूँ सुधरने का.........

सुधर जाओ !

ख़ुद भी चैन से रहो और हमें भी सुख से जीने दो.........

रही बात हिन्दुत्व की

तो जल को कहना नहीं पड़ता कि वह मौलिक रूप से जल है.......

बर्फ़ हो

ओले हो

बादल हो

snow हो

शरबत हो

_______
सब बाद में हैं ..पहले सब जल है

इसी भान्ति

इस जग में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति मूल रूप से हिन्दू है

हिन्दू बनना नहीं पड़ता .......बना कर ही भेजता है विधाता

बाकी सब तो यहाँ काट पीट कर बनाना पड़ता है

जिसके अनेकानेक विधि विधान हैं ..खैर


तुम को तो ये भी मालूम होगा कि पाकिस्तान भी मूल रूप से

हिन्दू ही था...

उसे इस्लामी बनाने का काम एक हिन्दू ने किया.......

जानते हो किसने ?

श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने !

सन 1971 की जंग में बांगलादेश रूपी खतना किया होता

तो आज भी पाकिस्तान पूर्ण रूपेण इस्लामी नहीं होता

मैं हिन्दू-मुस्लिम अथवा किसी भी धर्म के वाद -विवाद में नहीं पड़ता


क्योंकि वाणी कहती है

"जात पात पूछे कोय , हर को भजे सो हर का होय

लेकिन चलते चलते हिन्दुत्व की एक परिभाषा देता हूँ ...

तुमने मांगी है इसलिए देता हूँ..........

क्योंकि रहीम ने कहा है :

रहिमन वे नर मर गए, जे कहीं मांगन जाहीं

तिन ते पहले वे मरे , जिन मुख निकसत नाहीं


तो रहीम जी की बात मान कर मैं ना नहीं कर रहा हूँ........

तुम्हारी मांग भर रहा हूँ.......

यों तो ज़रूरत पड़ी तो सैकड़ों उदाहरण दूंगा लेकिन फ़िलहाल ...


हिन्दू वो है प्यारे ! जो इस सूत्र पर चलता है


धर्म की जय हो !

अधर्म का नाश हो !

प्राणियों में सद्भावना हो

विश्व का कल्याण हो !

___इन चारों बातों के विस्तार में जाना और रहस्य समझना इनका...

तुम्हारा जीवन सफल हो जाएगा,,,,,,,,,,,,,


आज जो तुमने मेरी कविता पर टिप्पणी की है उसे मैंने दबाया नहीं,

छाप दिया है और यह जवाब भी जल्दबाजी में दे दिया है


बराय मेहरबानी.......... आईंदा ऐसे मेल मत भेजना,,,,,,,,,,,


खुदा आपको अक्ल और अक्ल में बरक़त अता फ़रमाये

आमीन !

Mohammed Umar Kairanvi has left a new comment on your post "मोहम्मद उमर कैरानवी और सलीम खान साहेब ! क्या क...":

अलबेले ब्लागर जी तुम शायर हो, अपवाद हो उसके कि जो कुछ नहीं बन पाता वह शायर बन जाता है, धर्म का तुमने कैसा मज़ाक उडाया है पुराने लोग सब जाने हैं नहीं जाने उन्‍हें याद दिलादिया जायेगा, हिन्‍दू तो हो ही नहीं सकते अभी यह तै नहीं हो पाया कि कौन हिन्‍दू है, यह शब्‍द तक तुम्‍हारी किसी धार्मिक किताब में नहीं मिलता, तुम पर थोंपा गया है, हिन्‍दूत्‍व की परिभाषा तो और भी उलझी हुई है किसी एक परिभाषा पर टिको और बताओ के यह है हिन्‍दूत्‍व, नारियों को तुम मनु हिन्‍दुत्‍व पर चलकर किया समझते हो यह मैं और मेरे जैसे 35 ब्लागर आपसे 'मां की चौ' गाली खाके समझ गये थे,
आपने हमसे कोई सवाल ही नहीं किया बस शायरी की है, अच्‍छी शायरी की है, दूसरे धर्म के गुणों को अपने गिनने का कमाल दिखाया है,बुगले भगत तो आप नहीं हैं सच कहा, दूसरी बातें खुलकर समझाओ, मुझे समझाने आने के लिये तो घुच्‍ची में आना पडता है, ब्लागवाणी से पूछो एक से एक हरामी को मेम्‍बरशिप देती है फिर साइबर मौलाना को क्‍यूं नहीं?
हम से सवाल करो हम जवाब देंगें मेरे सवाल पर विचार करके बताओ मुझे महाशक्ति ने वाइरस क्‍यूं कहा ? यानि जिस प्रचार लिंक पर कभी आपको आपत्ति नहीं सबको क्‍यूं है?


17 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" October 31, 2009 at 3:58 PM  

खत्री साहब, आपने कीचड के बारे में तो सुना ही होगा, हमारे देश में बहुत मिलता है !

राज भाटिय़ा October 31, 2009 at 4:28 PM  

जो ताको कांटा बुवै , ताहि बोव तू भाला

वो भी साला याद रखेगा, किससे पड़ा है पाला
मान गये कवि महाराज, अब ओर क्या कहे सब कुछ तो आप ने लिख दिया.
धन्यवाद

Unknown October 31, 2009 at 4:49 PM  

जो ताको कांटा बुवै , ताहि बोव तू भाला
वो भी साला याद रखेगा, किससे पड़ा है पाला

वाह खत्री जी! मान गये भई!! क्या बात कही है!!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' October 31, 2009 at 5:10 PM  

इससे अच्छा उत्तर दूसरा नही हो सकता।
आपको साहस को दाद देता हूँ!
अलबेला खत्री जिन्दाबाद!

Anonymous October 31, 2009 at 5:40 PM  

जो ताको कांटा बुवै , ताहि बोव तू भाला

aap kae saath hun

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" October 31, 2009 at 6:17 PM  

हर इन्सान की बर्दाश्त करने की भी एक सीमा होती है.....लेकिन कुछ लोग जानबूझकर उस सीमा को लाँघने का प्रयास करने लगते हैं ।

जो ताको कांटा बुवै , ताहि बोव तू भाला
वो भी साला याद रखेगा, किससे पड़ा है पाला
आपका जवाब दुरूस्त है....

हरकीरत ' हीर' October 31, 2009 at 10:08 PM  

बर्फ हो
ओले हो
बदल हो
स्नो हो
शर्बत हो

सब बाद में है पहले जल है .....वाह ...वाह....क्या बात कही अलबेला जी ....!!

Unknown October 31, 2009 at 10:42 PM  

MITRO !

AAPNE KHOOB TIPPANIYAAN BHEJEEN MUJHE SHAABAASI DENE KE LIYE...MAIN UNHEN CHHAAPNAA BHI CHAAHTAA HOON ,,,LEKIN UNMEN BHAAVAAVESH ME KUCHH SHABD AAPNE AISE LIKH DIYE HAIN JO MAIN CHHAP NAHIN SAKTAA ...

YADI AAP APNI TIPPANIYAN GAALIYAAN HATAA KAR LIKHENGE TOH MAIN ZAROOR KAAM ME LOONGAA...

DHNYAVAD IS PURZOR SAMARTHAN KE LIYE

-ALBELA KHATRI

राजीव तनेजा October 31, 2009 at 10:43 PM  

दर्द तभी तक सहन होता है जब तक वो काबिले बर्दाश्त हो...जब घाव नासूर बन के बहने लगे तो उसका इलाज ज़रूरी हो जाता है

ब्लॉ.ललित शर्मा October 31, 2009 at 11:22 PM  

दर्द तभी तक सहन होता है जब तक वो काबिले बर्दाश्त हो...जब घाव नासूर बन के बहने लगे तो उसका इलाज ज़रूरी हो जाता है
गुमड़ा फ़ुटना चाहिए।

Anil Pusadkar November 1, 2009 at 12:00 AM  

अलबेला खतरा यानी खत्री ज़िंदाबाद।

Mohammed Umar Kairanvi November 1, 2009 at 4:40 AM  

आप दही नहीं कपास हो बता रहे हो, किसकी मजाल जो आपके गिरेहबां पर हाथ डाल दे, ठीक कहते हैं, हालांके दही हो के कपास दोंनों को धुनकर फनकार कुछ हासिल कर लेते हैं, मैं तो इतना जानता हूं हम जैसों के आप प्रेरक हो, ब्लागरों को कैसा रूलाया था आपने मुझे याद है, गौर करो तो मैंने धर्म पर सरसरी सी बातें लिखी हैं क्‍यूंकि मैं जानता हूं आप जवाब शायरी में दोगे, मैं घुच्‍ची में दूंगा तो नतीजा कुछ नहीं निकलेगा, आपसे धर्म बहस अगर कोई कर सकता है तो केवल शायर ही कर सकता है, जो कि पता नहीं क्‍या क्‍या बनने के बावजूद मैं ना बन सका, हां आपसे प्रेरणा ली जाती रहेगी,

आप सरदार पटेल और इंदिरा जी में मंच पर व्‍यस्‍त हैं तो
साइबर मौलाना 3 नवम्‍बर के देवबंद सम्‍मेलन में मंच के पीछे व्‍यस्‍त है

आज की कविता भी शानदार रही पर अफसोस चिटठा चर्चाओं में मामा चाचा भांजे की चर्चा में सम्म्लिलित नहीं की जायेगी, उनकी तरफ से भी मैं आपसे माफी चाहता हूं,

आपके साथ सदैव
मेरे प्रेरक भैया

Aadarsh Rathore November 1, 2009 at 11:15 AM  

कैरानवी जैसे मूर्ख लोग मुस्लिम विचारक कहलाना चाहते हैं। मूर्ख हैं, ज़रा सी भी बात नहीं समझ पाते।

निशाचर November 1, 2009 at 11:19 AM  

अभी तक तुमने उड़ती-उड़ती देखी है, फंसती हुई नहीं देखी..........

भैया कहाँ से दूंढ़ लाते हो ये सब. खैर.........इसीलिए तो आपका नाम "अलबेला" है. बहुत अच्छे......

Urmi November 1, 2009 at 12:03 PM  

अरे वाह खत्री जी क्या बात है! एकदम अलग सा पोस्ट है! बहुत अच्छा लगा!

दिनेशराय द्विवेदी November 1, 2009 at 2:52 PM  

जय!अलबेला!

प्रिया November 1, 2009 at 7:22 PM  

aapki post bahut pasand aayi nahi.... isliye nahi kyoki ye ek particular religion par hain. Isliye bhi nahi ki ham hindu hai.....balki isliye ki aapne hindu ka vastvik arth batayha hai....hindu ek sanskriti hai .....jeevan jeene ki padvti hai.... aur sanatan dharm ......vastav mein hindustan ka har nagrik hindu hi hai........yahi baat agar log samajh le tab kya......aur neta samjhne dein

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