जाड़े का मौसम, छोटी रजाई
बांहों में भर ले बलम हरजाई
ननद निगौड़ी बाज़ न आए
दरवज्जे पर कान लगाए
सरका दे खटिया,
बिछाले चटाई .............बांहों में भर ले ...........
तू मेरा राजा, मैं तेरी रानी
अब काहे की आना-कानी
काहे का डर
मैं हूँ तेरी लुगाई .........बांहों में भर ले ..........
मेरे दिल का दरद न जाने
मैं जो कहूँ तो बात न माने
बाबुल ने ढूँढा है
कैसा जमाई ..................बांहों में भर ले ............
तेरे ही नाम की बिन्दिया-काजल
झुमका , कंगना,बिछुआ,पायल
तेरे ही नाम की
मेंहदी रचाई ..............बांहोंमें भर ले ..............
अपना हो के यूँ न सज़ा दे
प्यासी हूँ मैं मेरी प्यास बुझा दे
मर जाऊंगी वरना
राम दुहाई ....................बांहों में भर ले.................
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
6 comments:
बहुत खूब बांहो में भरने योग्य
मेरी सीळी पड़ी रिजाई, मै टोहुं नणद को भाई
तु कर जा रे मन की चाही, मै होज्जां रोज लुगाई
मेरी सीळी पड़ी रिजाई,
जय हो
और जिन्दगी की, क्या थी सच्चाई
जाड़े का मौसम, छोटी रजाई
जमाना बुरा था, भला मेरा सनम था
जहां तक हुआ था, वफा थी निभाई
सब पढ़ लिया था, बिना खोले लिफाफा
समझ जाते हैं अब वो मेरी लिखाई
वो ब्याही गई तो, हम ले आए लुगाई
हमने वही की, जो तुमने सिखाई
अलबेली रचना थी खत्री जी आपकी
हमने भी अपनी कोशिश आजमाई
वाह राजे शा जी...............
कमाल कर दिया आपने..........
छा गए
भा गए
आपतो ऐसे उमड़ते हुए आ गए
कि अलबेला पर गज़ब ढा गए
खा गए
खा गए
सारी कि सारी रजाई ही खा गए,,,,,,,,,,,,,,हा हा हा
ye kya kar dala aapne....
jaade se pehle hi
बहुत खूब !
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