फ़ित्न-ए- दौरां में हर लम्हा हवादिस देखिये
अब्र से बरसे है हर दम बर्क़ बारिश देखिये
मुज़्तरिब हो, रो पड़ा है हक़ भी हाल-ए-दहर पर
आदमी का हर कदम है एक साजिश देखिये
इस तरफ़ से उस तरफ़ रक्स-ए-क़यामत हो रहा
उस तरफ़ से इस तरफ़ बिखरी है आतिश देखिये
हर दरो-दीवार पर है दाग़-ए-खून-ए-हुर्रियत
गर्दिश-ए-आलम की ये संगीन क़ाविश देखिये
खौफ़ क्या 'अलबेला' तुमको ख़ंजर-ओ-शमशीर का
तेग़-ए-नज़र-ए-बशर की अब क्या है ख्वाहिश देखिये
अब्र से बरसे है हर दम बर्क़ बारिश देखिये
मुज़्तरिब हो, रो पड़ा है हक़ भी हाल-ए-दहर पर
आदमी का हर कदम है एक साजिश देखिये
इस तरफ़ से उस तरफ़ रक्स-ए-क़यामत हो रहा
उस तरफ़ से इस तरफ़ बिखरी है आतिश देखिये
हर दरो-दीवार पर है दाग़-ए-खून-ए-हुर्रियत
गर्दिश-ए-आलम की ये संगीन क़ाविश देखिये
खौफ़ क्या 'अलबेला' तुमको ख़ंजर-ओ-शमशीर का
तेग़-ए-नज़र-ए-बशर की अब क्या है ख्वाहिश देखिये
11 comments:
तेग-ए-नजर-ए-बशर की अब क्या है ख्वाहिश देखिये,
बहुत ही अच्छे भावों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति ।
बेहतरीन अलबेला जी बेहतरीन...
"आदमी का हर कदम है एक साजिश देखिये"
बेहतरीन!
आज के जमाने में साजिश करने वाला आदमी ही तो सुखी रहता है!
लाजबाब शेर !
waah bahut sundar !!
क्या बात है...बहुत खूब...
नीरज
बहुत उम्दा नज़्म !
अरे!!!क्या गज़ब-गज़ल लिखी है.
आप की गजल पढने से पहले मुझे उर्दु फ़ि से सीखनी पडेगी.. अजी जब लिये इतनी गहरी उर्दु लिखो तो साथ साथ मै कठिन शव्दो का मतलब भी साथ मै लिख दिया करे.... चलिये फ़िर से पढते है.
धन्यवाद
bahut umda.....
लाजवाब गजल्!
हर शेर उम्दा !!
वैसे हमें भी भाटिया जी वाली समस्या से दो चार होना पडा :)
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