गुलकन्द है मकरन्द है साँसों में आपकी
ज़ाफ़रान की सुगन्ध है साँसों में आपकी
दुनिया में तो भरे हैं ज़ख्मो-रंजो-दर्दो-ग़म
आह्लाद और आनन्द है साँसों में आपकी
कितनी है गीतिकाएं,ग़ज़लें और रुबाइयां
कितने ही गीतो-छन्द हैं साँसों में आपकी
कहीं और ठौर ही नहीं है जाऊंगा कहाँ ?
मेरे तो प्राण बन्द हैं साँसों में आपकी
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
6 comments:
वाह खत्री जी! बहुत सुन्दर!!
नीरज जी की ये पंक्ति याद आ गई
साँस तेरी मधुर-मधुर जैसे रजनीगन्धा ...
बहुत खूब लिखा है आपने शुभकामनाएं !
बहुत खूब अलबेला भाई।
बहुत लाजवाब लिखा है ......... उम्दा ग़ज़ल .........
अलबेला जी बहुत सुंदर लिखा, बहुत लाजवाब जी.धन्यवाद
साँसो मे जब प्राण बन्द हो जाये
जज्बात और स्वच्छन्द हो जाये
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